गोरखपुर (ब्यूरो)। ऐसे खाने की आदत कई बार बीमारी में तब्दील हो जाती हैं जिसे इटिंग डिसऑर्डर कहा जाता है। इटिंग डिसऑर्डर सेहत के लिए हानिकारक हो सकता है। गोरखपुर यूनिवर्सिटी की प्रो। दिव्या रानी के गाइडेंस में डॉ। वंदना गोस्वामी ने 15 से 18 साल के यूथ में इटिंग डिसऑर्डर पर स्टडी की गई, जिसमें ये निकल कर सामने आया कि इटिंग डिसऑर्डर की सबसे ज्यादा शिकार लड़कियां है।

स्टूडेंट्स पर की गई स्टडी

स्टडी में 300 टीनेज (150 पुरुष और 150 महिला) शामिल थे। 15-18 वर्ष की आयु सीमा में 11वीं और 12वीं क्लास में पढऩे वाले स्टूडेंट्स पर सर्वे किया गया। गोरखपुर शहर में स्टडी के लिए रैंडम सैम्पलिंग का इस्तेमाल किया गया। उत्तर देने वाले स्टूडेंट्स को दो प्रश्नावली दी गईं, पहली जनरल डेमोग्राफिकल थी। जिसमें उनकी उम्र, वर्ग, लिंग संबंध में प्रश्नावली तैयार की गई।

26 टेस्ट पर निकला आकलन

परीक्षण (ईएटी-26) का उपयोग के भोजन के प्रति दृष्टिकोण और उनकी व्यस्तता का आकलन करने के लिए किया गया था। जिसमें आहार, खान-पान, शारीरिक बनावट और खान-पान के नियंत्रण पर आकलन किया गया।

ईटी-26 को दो श्रेणी में बांटा

इटिंग एटिट्यूड टेस्ट में 0-19 को लो रिस्क को दर्शाते हैं और 20 या अधिक हाई रिस्क का संकेत देते हैं। जिसमें पता चला कि 24 प्रतिशत इटिंग डिसऑर्डर में हाई रिस्क ग्रेड के थे और 75.67 परसेंट किशोर लो रिस्क ग्रेड के थे।

16-17 साल के उम्र वालों में ज्यादा इटिंग डिसऑर्डर

रिसर्च से पता चलता है कि 16 और 17 साल के लड़के-लड़कियां उच्च जोखिम श्रेणी के थे। डिसऑर्डर और उच्च जोखिम श्रेणी के 12.33 परसेंट रिस्पांस देने वाले 15 वर्ष के थे। 18 परसेंट पुरुष और 20.67 परसेंट महिलाएं भोजन विकार के लिए हाई रिस्क ग्रेड में थीं। जबकि 82 प्रतिशत पुरुष और 69.33 परसेंट महिलाएँ लो रिस्क ग्रेड में थीं।

पिछले स्टडी की तुलना में बढ़ गई संख्या

पिछले स्टडी की तुलना में इस स्टडी में रिसर्चर ने इटिंग डिसऑर्डर की संख्या बढ़ती हुई देखी गई और स्टडी में ये देखा गया कि महिलाओं में पुरुषों की तुलना में ईएटी-26 कट-ऑफ स्कोर का जोखिम अधिक था। जबकि 82 परसेंट पुरुष और 69.33 परसेंट महिलाएं कम जोखिम वाली श्रेणी में थीं। जिससे रिसर्च में ये पाया गया कि लड़कियां इटिंग डिसऑर्डर की सबसे ज्यादा शिकार हैं।

इटिंग डिसआर्डर का एक कारण जंक फूड है, जो बच्चों को सबसे ज्यादा पसंद आता है, इस डिसऑर्डर को मॉनिटर किया जाए तो इसमें जरूर फर्क आ सकता है, एक्सरसाइज से इसे कंट्रोल कर सकते हैं।

प्रो। दिव्या रानी सिंह, एचओडी गृह विज्ञान विभाग

इटिंग डिसऑर्डर किशोरों में पाई जाने वाली एक गम्भीर समस्या है, आजकल वो अपने बॉडी इमेज को लेकर ज्यादा कॉनसियश रहते हैं और इसका जिम्मेदार सोशल मीडिया भी है।

डॉ। वंदना गोस्वामी, रिसर्चर