-दूर-दराज से पहुंचे बड़ी संख्या में अकीदतमंद

-रात तक चला जश्न व रिवायती रश्मों का सिलसिला

GORAKHPUR: सूफी संत हजरत सैय्यद सालार मसऊद गाजी रहमतुल्लाह अलैह उर्फ बाले मियां का 1013वां उर्स मेला रविवार को शुरू हो गया। गोरखपुर ही नहीं बल्कि पूरे पूर्वाचल का ऐतिहासिक व हिन्दू-मुस्लिम एकता का प्रतीक इस मेले की तैयारी पिछले एक माह से चल रही थी। सुबह होने के साथ ही मेले में लोगों की चहल-पहल शुरू हो गई। पूरे साल सुनसान रहने वाले मैदान में एक माह तक चहल-पहल होगी। दिन में मेला घूमने वालों की भीड़ रहेगी तो रात का जश्न व रिवायती रस्मों का सिलसिला चलेगा। पहले दिन अकीदतमंदों की भीड़ उमड़ी रही।

प्रशासन की भी तैयारी पूरी

मेला में आने वाले अकीदतमंदों को कोई परेशान न हो इसके लिए प्रशासन भी पिछले एक माह से तैयारी शुरू कर दिया था। रविवार के पहले प्रशासन की तैयारियां पूरी हो गई। मुतवल्ली मुहम्मद इस्लाम हाशमी ने बताया कि यह मेला पूर्वाचल का ऐतिहासिक मेला है। जेठ के प्रथम रविवार से मेला शुरू होता है और एक माह तक चलता है। मेले में अकीदतमंदों कोई प्रॉब्लम न हो इसके लिए नगर निगम की ओर से पेयजल और साफ-सफाई का इंतजाम किए गए थे। शनिवार की रात में हुई बारिश से मेला स्थल में जगह-जगह कीचड़ और दलदल बन गया था, जहां सुबह अकीदतमंदों के आने के पहले बालू डालकर नगर निगम ने ठीक कर दिया। मेले में अस्थाई पुलिस चौकी बनाई गई है जो पूरे मेले भर एक महीने तक रहेगी। हर तरफ सीसीटीवी कैमरे लगाने के साथ ही साथ एक सर्च टॉवर भी बनाया गया है, जिससे हर आने-जाने वाले पर नजर रखी जा रही है। दोपहर में अधिकारियों ने मेले की व्यवस्था का जायजा लिया।

पूरे प्रदेश से आए हैं व्यापारी

गोरखपुर में धूमधाम से मनाया जाने वाला बाले मियां मेले की प्रसिद्ध का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि मेले में लगने वाली दुकान पूरे प्रदेश के व्यापारियों ने लगाया है। मेले में आगरा, लखनऊ, कानपुर, गाजीपुर, इलाहाबाद, बनारस सहित प्रदेश के कई हिस्सों में आए व्यापारी दुकान लगाए हुए हैं। मेले में युवाओं को खाने के लिए दुकानदारों की परम्परागत खजला, रेवड़ी, पराठा हलवा की दुकानें हैं, घरेलू जरुरत के लकड़ी और लोहे के सामानों के साथ ही साथ बच्चों के मनोरंजन के लिए जगह-जगह झूले, जादू घर और प्ले सेंटर्स भी खुले हुए हैं।

Posted By: Inextlive