गलत सवालों का पंच मारना आयोग की बनी आदत

छात्रों को पता है पर आयोग को नहीं पता सवालों के जवाब

हर परीक्षा में एक जैसा हाल, कभी दो उत्तर तो कभी गलत सवाल

vikash.gupta@inext.co.in

ALLAHABAD: उत्तर प्रदेश पब्लिक सर्विस कमीशन लापरवाही की बुनियाद पर पीसीएस व पीपीएस जैसे जिम्मेदार अधिकारियों के सृजन कर रही है। प्रदेश स्तर की महत्वपूर्ण परीक्षा में गलत सवालों का पंच मारने की आयोग को आदत हो गई है। इससे प्रदेश की सबसे बड़ी प्रतिष्ठित संस्थाओं में एक यूपीपीएससी की सुचिता दांव पर लग गई है।

पीसीएस प्री के 11 सवालों का विवाद

पीसीएस प्री 2016 की परीक्षा इसका ताजा उदाहरण है। इसमें कुल 11 प्रश्नों के जवाब को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। आयोग की ओर से जारी की गई रिवाइज्ड आंसर की में पांच प्रश्न डिलीट किए गए हैं। आपत्तियों के बाद आयोग ने प्रश्नों को डिलीट कर स्वीकार किया कि पूछे गए सवाल गलत थे। यही नहीं आयोग ने दो सवालों के दो-दो उत्तर बता दिए। ऐसे में यह सवाल खड़ा हो गया है कि क्या आयोग के पास ऐसे विशेषज्ञों का टोटा हो गया है,जो सवालों की प्रमाणिकता सिद्ध कर सकें? छात्रों के दावों के अनुसार चार सवाल और ऐसे हैं, जिनके उत्तर पहले कुछ और थे, वर्तमान में कुछ और हैं।

गलत सवालों की परंपरा

रिवाइज्ड आंसर-की के बाद पैदा हुए हालात पर मंथन जरूरी है। प्रतियोगी इस बात को लेकर चिंतित है कि जिन्हें खुद उत्तर नहीं पता वे कैसे इतनी बड़ी परीक्षा और साक्षात्कार करा रहे हैं। पीसीएस प्री में गलत सवालों का पंच पहला मामला नहीं है। अब यह आयोग की परंपरा बन चुकी है। पिछले कुछ वर्षो में आयोग की ऐसी कोई परीक्षा नहीं रही, जिसमें गलत जवाब न दिए गए हों। इसमें पीसीएस, पीसीएस जे, समीक्षा अधिकारी एवं सहायक समीक्षा अधिकारी तथा कम्बाइंड लोअर सबआर्डिनेट की प्रमुख परीक्षाएं शामिल हैं। इसे लेकर लेकर प्रतियोगियों ने हंगामा भी किया।

कोर्ट को करना पड़ा थ हस्तक्षेप

इसकी शुरुआत पीसीएस जे 2013 की परीक्षा से हुई थी। जिसमें आयोग को हाईकोर्ट की फटकार के बाद 11 प्रश्नो के उत्तर बदलने पड़े थे। वहीं समीक्षा अधिकारी एवं सहायक समीक्षा अधिकारी 2013 परीक्षा में न्यायालय ने आयोग के तत्कालीन अध्यक्ष को तलब किया था। जिसके बाद आयोग ने उत्तर कुंजी जारी किए जाने के अपने प्रस्ताव को ही छिपा लिया। छात्रों के हाथ उत्तर कुंजी जारी किए जाने का प्रस्ताव लगा तो पीसीएस 2015 में माननीय न्यायालय के माध्यम से उत्तर कुंजी जारी करवाई जा सकी। उसमें पता चला कि आयोग ने नौ प्रश्नों का गलत उत्तर दिया था। छात्रों ने गलत उत्तर के मामले में पीसीएस 2015 को भी हाईकोर्ट में चुनौती दी।

सुप्रीम कोर्ट में अटका रिजल्ट

वहीं कंबाइंड लोअर सबआर्डिनेट 2015 प्री परीक्षा परिणाम को रद करने के लिए भी कोर्ट में याचिका दाखिल की गई। छात्रों का कहना था कि लोअर 2015 की संशोधित उत्तर कुंजी में पांच सवाल डिलीट किए गए। जबकि चार सवालों के दो उत्तर सही माने गए। जबकि इनमें से आठ प्रश्नों के उत्तरों का स्पष्ट प्रमाण पुस्तकों में है। आरोप था कि जब बुकलेट के अनुदेश में एक बबल को काला करने की बात कही गई है तो फिर दो उत्तर कैसे रखे जा सकते हैं? करेंट में पीसीएस जे 2015 का फाइनल रिजल्ट भी फंसा हुआ है। हाईकोर्ट का आदेश है कि प्री परीक्षा में पूछे गए गलत सवालों के आधार पर परिणाम को संशोधित किया जाए। जबकि इसका इंटरव्यू हो चुका है। अब आयोग खुद को बचाने के लिए सुप्रीम कोर्ट की शरण में है।

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सीबीआई जांच ही स्थाई समाधान

इस बावत प्रतियोगी छात्र संघर्ष समिति के मीडिया प्रभारी अवनीश पांडेय का कहना है कि 11 प्रश्नों की मार खाए छात्र किससे व्यथा कहें? यहां मामला असफलता का नहीं बल्कि पारदर्शिता का है। इसका स्थायी समाधान आयोग की सीबीआई जांच द्वारा ही सम्भव है। प्रत्येक रिजल्ट को माननीय न्यायालय द्वारा रद कराने से ही प्रतियोगियों का आत्मविश्वास मजबूत होगा। भ्रष्टाचार मुक्ति मोर्चा के अध्यक्ष कौशल सिंह ने बताया कि पीसीएस प्री 2016 के तीन छात्र ऐसे हैं, जिन्हें चयन से बाहर किए जाने का उनके पास स्पष्ट प्रमाण हैं। इसमें एग्रीकल्चर ग्रुप में विजय बहादुर सिंह 139 अंक पाकर भी चयनित नहीं हो सके। जबकि इसका कट ऑफ 137 है। इसी तरह एग्रीकल्चर ग्रुप में एससी वर्ग में 126 अंक पाने वाले बीर बहादुर का चयन नहीं हो सका। जबकि इसका कट ऑफ 123 है। परीक्षा देने वाले दीपक कुमार सिंह को परीक्षा से ही अनुपस्थित कर दिया गया है।

पीसीएस प्री के ये सवाल हुए डिलीट

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इनके जवाब माने गए दो

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Posted By: Inextlive