- छोटे लीकेज में पांच-छह हजार रुपये और बड़े लीकेज पर 50 हजार से पांच लाख रुपये तक होते हैं खर्च

- लीकेज के चलते हर दिन बर्बाद होता है 60 से 75 लाख लीटर गंगाजल

आगरा। जर्जर पाइप लाइनों से शहर की जलापूर्ति को झटका लगा है। दो माह में 1200 लीकेज हुए हैं। इनकी मरम्मत में आठ लाख रुपये खर्च हुए हैं जबकि लीकेज के चलते हर दिन 60 से 75 लाख लीटर गंगाजल बर्बाद हुआ है। जलापूर्ति लड़खड़ाने के चलते हर दिन किसी न किसी क्षेत्र में हजारों लोगों को पानी के लिए परेशान होना पड़ता है। छोटे लीकेज में पांच से छह हजार रुपये और बड़े लीकेज में 50 हजार से पांच लाख रुपये तक खर्च होते हैं।

सबसे अधिक इन क्षेत्रों में हुए लीकेज

गोबर चौकी, आवास विकास कालोनी सेक्टर एक, तीन, 14, 15, 16, जीवनी मंडी रोड, कमला नगर मुख्य रोड, बल्केश्वर रोड, सिकंदरा से बोदला रोड, तहसील सदर के आसपास, शाहगंज रोड, पचकुइयां से अशोक नगर रोड, कमला नगर, दयालबाग, यमुनापार क्षेत्र में सीता नगर, रामबाग रोड, नुनिहाई, ट्रांस यमुना कालोनी प्रमुख रूप से शामिल हैं।

फैक्ट फाइल

- हर दिन शहर को 400 एमएलडी पानी की जरूरत है।

- शहर में एक वाटरव‌र्क्स और दो पानी के प्लांट हैं। जीवनी मंडी वाटरव‌र्क्स की क्षमता 225 एमएलडी, सिकंदरा स्थित गंगाजल और एमबीबीआर प्लांट की क्षमता 144-144 एमएलडी है।

- पालड़ा फाल, बुलंदशहर से आगरा को हर दिन 350 एमएलडी गंगाजल मिलता है।

- नगर निगम के सौ वार्डों में 3.20 लाख भवन हैं। पांच हजार मुहल्ले हैं।

- शहर में 1300 किमी लंबी पानी की पाइप लाइन हैं।

- 35 फीसद पाइप लाइन 40 साल पुरानी, 30 फीसद पाइप लाइन 35 साल पुरानी, 20 फीसद पाइप लाइन 20 साल पुरानी, 10 फीसद पाइप लाइन 10 साल पुरानी और पांच फीसद पाइप लाइन दो से नौ साल तक पुरानी हैं।

- जर्जर पाइप लाइनों के चलते क्षेत्र में आए दिन लीकेज हो जाते हैं। इससे लाखों लीटर पानी बर्बाद होता है। इसकी कई बार शिकायत की जा चुकी है।

रवि माथुर, पार्षद

- राजनगर सहित शहर में कई ऐसे क्षेत्र हैं, जहां अभी तक पानी की लाइन नहीं बिछी है। जिन स्थलों पर लाइनें हैं, वहां पर आए दिन लीकेज होते हैं।

बंटी माहौर, पार्षद

- जर्जर पाइप लाइनों के चलते लीकेज अधिक होते हैं। लीकेज की मरम्मत के लिए 12 टीमें गठित हैं। अगर लीकेज की संख्या बढ़ जाती है तो टीमों में बढ़ोतरी की जाती है।

आरएस यादव, महाप्रबंधक जल संस्थान

Posted By: Inextlive