आगरा. ब्यूरो कालिंदी का कलंक दूर करने की लंबे समय से मांग की जा रही है. लेकिन अब तक जीवनदायिनी यमुना को पुनर्जीवित करने के लिए लंबित बैराज की आस पूरी नहीं हो सकी है. इसके चलते यमुना जहां सूखी रहती है वहीं शहर का ग्राउंड वॉटर लेवल भी प्रभावित है. मौजूदा समय में सिंचाई विभाग की ओर से रबर डैम के लिए रिपोर्ट एनएमसीजी नेशनल मिशन फॉॅल क्लीन गंगा को भेज दी गई है. जिससे रबर डैम के निर्माण का कार्य जल्द गति पकड़ सके.

तीन बार हो चुका शिलान्यास
आगरा में यमुना बैराज का मुद्दा सबसे पहले 1975 में उठा था। तब शहर को जल संकट से निजात दिलाने के लिए बैराज बनाए जाने की मांग की गई। जानकारों की मानें तो यमुना बैराज का तीन बार शिलान्यास हो चुका है। मनोहरपुर में पहला शिलान्यास वर्ष 1986-87 में तत्कालीन मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी ने किया था। जबकि दूसरा शिलान्यास 1993 में तत्कालीन राज्यपाल रोमेश भंडारी ने बहादुरपुर और मनोहरपुर के बीच में किया था। जबकि 26 अक्टूबर 2017 को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने तीसरा शिलान्यास नगला पैमा में किया था।

बैराज में अड़चन क्या?
जनप्रतिनिधियों की अलग-अलग राय के कारण कभी बैराज पोइया घाट, तो कभी ताजमहल के पास बनाने की बात उठती रही। इसके बाद सिकंदरा पर इसके निर्माण की बात कही गई। कभी सिंचाई विभाग के अफसरों ने कह दिया कि बैराज से बाढ़ का खतरा बनेगा तो कभी इसमें उलझ गया कि यमुना की डाउन स्ट्रीम में बने या अपस्ट्रीम में। स्थान बदलते रहे, लेकिन बैराज का निर्माण नहीं हो सका। शहर के लिए जरूरी इस प्रोजेक्ट को पूरा नहीं किया जा सका।

मॉन्यूमेंट को सेफ रखने के लिए जरूरी नदी में पानी
रिवन कनेक्ट मुहिम के अध्यक्ष व पर्यावरणविद् ब्रज खंडेलवाल ने बताया कि शहर में नदी के किनारे कई मॉन्यूमेंट्स बने हुए हैं। ताजमहल, आगरा किला, महताब बाग, रामबाग आदि इनमें शामिल हैं। इनकी सुरक्षा के लिए नदी में पानी होना जरूरी है। ताजमहल की चारों ओर की नींव लकड़ी के खंभों पर है। ऐसे में ताज को सुरक्षित बनाए रखने के लिए नींव की लकडिय़ों में नमी का होना काफी जरूरी हो जाता है। इसलिए ताजमहल को मजबूती देने के लिए ताजमहल के पीछे यमुना का उपयुक्त पानी होना जरूरी है। उन्होंने बताया कि बैराज तो कभी डैम, नाम बदले लेकिन बना कुछ नहीं। जनप्रतिनिधियों को एकजुट होकर प्रयास करने चाहिए। हम कई वर्ष से रिवर कनेक्ट मुहिम चला रहे हैं। इसका मकसद यही है कि यमुना में पानी रहे जो स्वच्छ हो। इसके लिए बैराज जरूरी है लेकिन यह फाइलों से बाहर नहीं निकल रहा है। जबकि पुरातत्व विभाग और सेंट्रल वॉटर कमीशन ने पहले ही एनओसी दे दी है।

वाटर टेबल 300 फीट के नीचे
आगरा में 15 में 14 ब्लॉक डार्क जोन में है। पर्यावरणविद् ब्रज खंडेलवाल ने बताया कि शहर का वाटर टेबल 300 फीट के नीचे पहुंच गया है। नदी के सूखे रहने की वजह से एनवायरमेंट भी ड्राइनेस है। ह्यूमिडिटी नहीं होने से एयर क्वालिटी भी प्रभावित हो रही है। बैराज का निर्माण नहीं होने से इसका खामियाजा पूरे शहर को भुगतना पड़ रहा है।

कब तक रहेंगे गंगाजल पर डिपेंड
वाटर सप्लाई के लिए कब तक गंगाजल पर डिपेंड रहेंगे। जबकि शहर से इतनी बढ़ी नदी गुजर रही है। पर्यावरणविद् ब्रज खंडेलवाल ने कहा कि शहर में नदी होने के बाद भी करोड़ों रुपए खर्च कर सैकड़ों किमी दूर से गंगाजल लाने के लिए पाइपलाइन डाली गई। लेकिन ये सोर्स कब तक रहेगा।

पहला शिलान्यास: मनोहरपुर में वर्ष 1986-87 में तत्कालीन मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी ने बैराज का शिलान्यास किया था।
दूसरा शिलान्यास: वर्ष 1993 में तत्कालीन राज्यपाल रोमेश भंडारी ने बहादुरपुर और मनोहरपुर के बीच में बैराज का शिलान्यास किया।
तीसरा शिलान्यास: 26 अक्टूबर 2017 में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने स्ट्रीम में नगला पैमा में रबरडैम का शिलान्यास किया।


पैसा आया, वापस चला गया
- 1993 में केंद्रीय जल आयोग ने बैराज के लिए 134.8 करोड़ स्वीकृत किए थे, लेकिन काम नहीं हुआ। पैसा वापस गया।
- पर्यावरण मंत्रालय ने वर्ष 1999 में आगरा बैराज की स्वीकृति दी थी। 24 अगस्त, 2001 को यह स्वीकृति इस आधार पर कैंसिल कर दी गई कि बैराज बनने से जल की गुणवत्ता खराब हो जाएगी।
- 2001-02 में सिंचाई विभाग को 16 करोड़ जारी कर दिए गए। 4.84 करोड़ रुपए सिंचाई विभाग ने खर्च कर दिए थे। ताज ट्रेपेजियम जोन के अंतर्गत बैराज नहीं बनने का फैसला होने पर बाकी रकम वापस कर दी गई।
- इसके बाद दो बार डीपीआर बनी, पहले अखिलेश सरकार और फिर योगी सरकार ने बनवाई, लेकिन अभी तक बैराज का निर्माण शुरू नहीं हो पाया है।

यमुना सूख कर कांटा बन गई है। शहर से निकलने वाले बिना ट्रीटमेंट के नालों ने यमुना को नाले में तब्दील कर दिया है। यमुना को साफ रखने के लिए लंबे समय से सरकार के आगे मांग उठाते रहे हैं। हर साल करोड़ों रुपए यमुना की सफाई पर खर्च होते हैं, लेकिन कोई फायदा नहीं होता है। जल्द से जल्द बैराज का निर्माण होना चाहिए।
ब्रज खंडेलवाल, पर्यावरणविद्


जीवनदायिनी यमुना नदी लगातार सूख रही है। नदी में गिरने वाले नालों को रोकने के साथ इस पर बैराज का निर्माण होना चाहिए। जिससे शहर का वातावरण भी सुधरे और नदी को भी बचाया जा सके।
डॉ। देवाशीष भट्टाचार्य,

यमुना पर ताज रबर डैम प्रस्तावित है। प्रोजेक्ट से जुड़ी एनएमसीजी ने कई जानकारी मांगी थी, जो उन्हें भेज दी गई हैं। आगामी बैठक में अब आगे की प्रक्रिया पर निर्णय लिया जाएगा।


केपी सिंह, अधिशासी अभियंता, ताज बैराज

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Posted By: Inextlive