- बारिश के चलते जलभराव से जगह-जगह धंस रही सड़क

- सड़क धंसने से हो रहे हादसे जा रही लोगों की जान

आगरा। जान जोखिम में डालकर ही अपने घर से निकलें। बारिश में जगह-जगह जलभराव होने से मुख्य सड़कों के अलावा सर्विस रोड भी धंस रहीं हैं। इसके चलते आए दिन हादसे हो रहे हैं। अभी आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे पर 50 फीट गहरी खाई में गिरी कार के हादसे को लोग भुला भी नहीं पाए थे, कि गुरुवार को कमलानगर के सुभाष नगर में सड़क धंसने के कारण ट्रक पलट गया, जिसके कारण एक शख्स की मौत हो गई। बड़ा सवाल ये हैं कि इसके लिए जिम्म्मेदार कौन है। इन्हीं सभी बिन्दुओं की पड़ताल करती ये रिपोर्ट

रोड के सरकारी गड्ढे जोखिम में जान

शहर में हर रोड पर सरकारी गड्ढे लोगों की जान को सांसत में डाल रहे हैं। शहर की सड़कों को अभी गत वर्ष 15 जून को गड्ढामुक्त किया गया था। इसमें करोड़ों रुपये की लागत से सड़कों को दुरुस्त किया गया था, लेकिन करोड़ों रुपये सरकारी गड्ढों में बह गए। स्थिति जस की तस बनी हुई है।

रोड धंसने की ये हैं मुख्य वजह

प्रॉपर ड्रेनेज सिस्टम न होना: जो सड़कें बनाई गई हैं। उनके पास जलनिकासी के लिए प्रॉपर ड्रेनेज सिस्टम नहीं बनाया गया है। बारिश में पानी भर जाता है। इससे मिट्टी का कटान होता है। रोड धंस जाती है।

घटिया निर्माण सामग्री का इस्तेमाल: रोड निर्माण में घटिया सामग्री का इस्तेमाल किया जाता है। आईआरसी इंडियन रोड कांग्रेस के मानकों के अनुसार रोड निर्माण के समय स्थान की मिट्टी की जांच, बिटुमिन व गिट्टियों की जांच होनी चाहिए। ऐसा नहीं किया जाता है। एक ड्रम बिटुमिन से आधा दर्जन ड्रम कोलतार बना लिया जाता है। उसे रोड निर्माण में प्रयोग किया जाता है।

सड़क की मोटाई भी मानक से कम: आईआरसी ने रोड निर्माण के समय उसकी मोटाई के मानक निर्धारित किए हैं, लेकिन उनका ध्यान नहीं रखा जाता है। मानक के अनुसार मोटाई 50 मिमी। तक होनी चाहिए। वैसे रोड की कैपेसिटी के हिसाब से मोटाई निर्धारित की जाती है।

जलभराव: रोड पर जलभराव होने से तारकोल गिट्टियों से पकड़ छोड़ने लगता है। इसके चलते गड्ढे हो जाते हैं। आपको बता दें अभी तक रोड गुणवत्ता की जांच के लिए पहले लोक निर्माण विभाग की टीम उस स्थान का औचक निरीक्षण करती है। इसके बाद वहां पर गड्ढा खोदकर सैंम्पल लिया जाता है। पूरे मटेरियल मिक्सर की लैब में जांच की जाती थी। ये प्रक्रिया इतनी लम्बी होती थी, महीनों गुजर जाते थे, लेकिन रिपोर्ट नहीं आती थी। न ही मामले में दोषियों पर कार्रवाई हो पाती थी।

बिना सैम्पल जांच के नहीं हो सकता भुगतान

नियमानुसार रोड निर्माण के दौरान बिना सैम्पल जांच के भुगतान नहीं किया जा सकता है, लेकिन जिले के लोक निर्माण विभाग में इसका अनुपालन नहीं हो रहा है। बिना रोड सैम्पल की गुणवत्ता की जांच किए ही निर्माणदायी एजेंसिंयों को भुगतान कर दिया जाता है। यही कारण है कि रोड चंद दिनों में ही क्षतिग्रस्त हो जाते हैं। सैम्पल टेस्ट के लिए यहां कोई कोर कटर मशीन भी उपलब्ध नहीं है। नियमानुसार सैम्पल लेने के लिए मौके पर कोरकटर मशीन से सैम्पल लिया जाता है। लैब में बिटुमिन की जांच उसकी गुणवत्ता, गिट्टियां के घिसने की समयावधि, उनके वेट सहने की क्षमता आदि का परीक्षण किया जाता है।

Posted By: Inextlive