मासूम की मजबूरी
सेंट पीटर्स का छात्र है बागेश
सिक्स्थ क्लास में पढऩे वाला बाघेश जज कंपाउंड में अपनी फैमिली के साथ रहता है। उसकी मदर वर्षा सीडीओ में जॉब करती हैं। जबकि फादर राकेश चौधरी का बिजनेस है। दादा आर्मी से रिटायर्ड सूबेदार मेजर हैं। आर्मी बैकग्राउंड से होने के चलते परिवार में अनुशासन को काफी प्रमुखता दी जाती है।
क्या हुआ थर्सडे मार्निंग
बाघेश के पेरेंट्स के मुताबिक, थर्सडे सुबह वह नहाने के लिए बाथरूम में गया था। उसनेअंदर से दरवाजा लॉक कर लिया। करीब दस मिनट बाद उसके फादर ने बाथरूम में भगोना गिरने की आवाज सुनी। उन्हें लगा कि हो सकता है कि बाघेश को इलेक्ट्रिक शॉप लग गया है। उन्होंने घर की सारी एमसीवी गिरा दी।
खोला दरवाजा
बाघेश के पिता राकेश ने बसूली की मदद से दरवाजे का लॉक तोड़ दिया। अंदर जाते ही उनके होश फाख्ता हो गए। बाथरूम में एक तरफ स्टूल गिरी पड़ी थी और शॉवर के पाइप पर लटके हुए फंदे पर उनका लाडला झूल रहा था। आनन-फानन में उन्होंने बाघेश को नीचे उतारा।
सांसे थम चुकी थी
नीचे उतारने के बाद बाघेश की गर्दन एक तरफ लुढ़क गई। उसकी सांसे लगभग बंद हो चुकी थी। दिल की धड़कन भी सुनाई नहीं दे रही थी। कोई अनहोनी टालने के लिए राकेश ने बाघेश की छाती को पंप किया और उसे आर्टिफिशियल रेस्पिरेशन देना शुरू कर दिया। कई बार सांस देने के बाद उसके जिस्म में हरकत हुई।
अस्पताल पहुंचने पर आया चैन
राकेश तुरंत अपनी पत्नी वर्षा के साथ बाघेश को लेकर अस्पताल की तरफ भागे। इस बीच उनका दिल जोर जोर से धड़क रहा था। तरह-तरह के मन में ख्याल आ रहे थे कि आखिर ये हुआ तो क्यों हुआ और क्या हुआ। हॉस्पिटल में डॉक्टर्स ने बाघेश को फस्र्ट ऐड देने के बाद जब राकेश को कहा कि उनके बेटे की जान अब खतरे से बाहर है, तब कहीं जाकर उनकी जान में जान आई। उसके बाद राकेश और वर्षा ने चैन की सांस ली।
होश आने पर पता चली हकीकत
थोड़ी देर बाद जब बाघेश को होश आया तो वह सहमा हुआ था। करीब दो घंटे बाद उसने अपने पेरेंट्स को बताया कि स्कूल में एक टीचर उसे साथ ठीक से बिहेव नहीं करती है। उसकी सीट को फिक्स कर दिया गया है। हर छोटी बात पर उसे डांटा जाता है। पिछले काफी टाइम से उसके साथ टीचर उसे इग्नोर कर रही है यहां तक कि कुछ सवाल पूछने पर उसका जवाब भी नहीं देती है। यही वजह है कि उसने अपनी जान देने की कोशिश की।
सुसाइड के लिए की प्लानिंग
बाघेश ने अपनी जिंदगी को फनाह करने का इरादा महज एक दिन में ही नहीं कर लिया था। फैमिली और स्कूल की डिस्पिलिन लाइफ के बीच वह इस कदर फंस चुका था कि उसने सुसाइड के लिए पूरी प्लानिंग की। पहली रात उसने पैराशूट की रस्सी काटी। उसके बाद रस्सी को पेरेंट्स की नजर से बचाकर उसे वाशिंग मशीन के नीचे छिपा दिया। उसके बाद थर्सडे सुबह उसने सुसाइड करने की कोशिश की। खुशकिस्मती रही कि वह बच गया.
'मुझे कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था कि मुझे क्या करना चाहिए। मम्मी को भी कई बार बोला कि मेरी क्लास टीचर मेरे साथ अच्छे से बिहेवियर नहीं करती हैं। जब टीचर ने मम्मी-पापा को स्कूल आने के लिए कहा तो मैं बहुत डर गया था। मैंने बिना कुछ सोचे-समझे फांसी लगाने की प्लानिंग कर ली.Ó ये वे अल्फाज हैं, जो बाघेश ने बयां किए हैं। चेहरे पर मासूमियत के भाव झलक रहे थे। लेकिन, साथ ही वह दर्द था, जो वह काफी पहले ही अपने माता-पिता को बता देना चाहता था। हर दिन स्ट्रेस उसके ऊपर हावी होता जा रहा था। टीचर का डर भी उसके बाल मन को झकझोर के रख देता था। अंत में स्ट्रेस के चलते उसने आत्महत्या जैसा कदम उठाने का निर्णय किया।
निगेटिव था बिहेवियर
बाघेश की क्लास टीचर उसको मोरल साइंस, केमिस्ट्री और फिजिक्स पढ़ाती हैं। उन्होंने क्लास में सबसे आगे बाघेश की सीट परमानेंट फिक्स कर दी थी। एवरेज माक्र्स लाने वाले बाघेश को उसके फादर एक्स्ट्रा एक्टिविटीज में आगे देखना चाहते थे। एक टीचर उसको घर पर ट्यूशन पढ़ाने आते हैं। उसने बताया कि क्लास में उसको कई सब्जेक्ट को लेकर प्रॉब्लम थी। वो जब भी अपनी प्रॉब्लम क्लास टीचर को बताता तो वो उसको इग्नोर कर देती थीं।
बनाई प्लानिंग
वेडनसडे नाइट को बाघेश अपने पेरेंट्स के साथ पार्टी में गया था। उसने बताया कि दिन में उसने रस्सी को काटकर बाथरूम में वाशिंग मशीन के नीचे रख दी थी। थर्सडे मॉर्निंग नहाने से पहले वो एक छोटा स्टूल लेकर बाथरूम में गया और शॉवर के पाइप से फांसी लगा ली।
नहीं निकली आवाज
बाघेश ने बताया कि फांसी लगाने के बाद उसे दर्द हुआ। वह अपनी मां को आवाज देना चाहता था। मगर, उसकी आवाज नहीं निकली। 15 मिनट बाद स्टूल गिरने की आवाज सुनकर उसके पापा ने दरवाजा तोड़ा और उसे बाहर निकाला और उसे हॉस्पिटल में एडमिट करवाया।
जब इस केस के बारे में सिटी के साइकोलॉजिस्ट से बात की गई तो उन्होंने बताया कि पेरेंट्स की एक्स्ट्रा एक्सपेक्टेशंस और क्लास में सबसे ज्यादा माक्र्स लाने की चाहत बच्चों को डिप्रेशन का शिकार बना देती है। यह भी पॉसिबल है कि अपनी प्रॉब्लम्स को पेरेंट्स और स्कूल मैनेजमेंट तक पहुंचाने के लिए बच्चे ने ऐसा कदम उठा लिया हो। यह सुसाइड न होकर बच्चे की तरफ से मैन्युप्युलेशन भी हो सकता है।
इन बातों पर रखें ध्यान
- अगर बच्चे ने अकेले रहना शुरू कर दिया हो।
- बच्चा टाइम से खाना खाने से बच रहा हो।
- बात-बात पर बच्चा गुस्सा कर रहा हो।
- पेरेंट्स से अच्छे से बात न करना।
- स्कूल जाने से मना करना और बहाने बनाना।
- होमवर्क टाइम से कंपलीट न करना।
- बाकी बच्चों के साथ खेलना बंद कर देना।
- सिर दर्द और फीवर की बात करना।
- गुमसुम रहना और मदर को अवॉइड करना।
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वर्जन
स्कूल के स्टूडेंट ने जो किया वो दुर्भाग्यपूर्ण है। हमने उन स्टूडेंट्स की लिस्ट बनाई थी, जो स्टडी में वीक हैं और उनसे पेरेंट्स को बुलाने के लिए कहा गया था। उनमें से एक बाघेश भी था। क्लास टीचर ने बताया कि वो उसके साथ बाकी बच्चों से अलग बिहेवियर नहीं करती थीं।
- फादर जॉन फरेरा, प्रिंसीपल, सेंट पीटर्स
स्कूल और पेरेंट्स की ज्यादा उम्मीदों के चलते बच्चे ने अपनी बात को सभी के सामने लाने के लिए ऐसा कदम उठाया होगा। ऐसा अचानक नहीं हो सकता। यह सब उसके मन में कई दिन से चल रहा होगा।
- डॉ। यूसी गर्ग, साइकोलॉजिस्ट
बच्चे का मेडिको लीगल करवा दिया गया है. 48 घंटे बाद उसको डिस्चार्ज कर दिया जाएगा। वह पूरी तरह से नॉर्मल है।
- डॉ। एनसी प्रजापति, प्रिंसीपल, एसएन मेडिकल कॉलेज