आगरा में बंदरों की दहशत, घरों में कैद होने को मजबूर लोग
कई दशकों से नही मिली बंदरों से आजादी
-घरों की खिड़कियां, दरवाजे हर वक्त रखने पड़ते है बंद आगरा। प्रशासन के लिए जो बंदर पिछले कुछ महीनों से समस्या बने हुए हैं, वह शहर के कई इलाकों में दशकों से लोगों को परेशान किए हुए हैं। बंदरों का आतंक इस कदर है कि वह घर का दरवाजा, खिड़की खुली दिखते ही अंदर घुस आते है। सामान उथल-पुथल कर देते हैं। कई बार बच्चों के हाथ से सामान छुड़ा कर बच्चों को घायल भी कर देते है। बंदरों के आतंक से परेशान लोहामंडी, बांगता, बागराम सहाय, कटघर एवं नयाबांस, घास की मंडी के लोग बेहद परेशान है। लोग घरों में कैद होकर रह गए हैं। बच्चे खेलने के लिए बाहर नही जा पाते है। महिलाएं बच्चों को समझा बुझाकर घर में ही रखने का प्रयास करती हैं। सब्जी मंडी के कारण आते है ज्यादा बंदरक्षेत्रीय निवासी बताते है कि सब्जी मंडी पास होने के कारण हजारों की संख्या में बंदरों का जमावड़ा यहां रहता है। सब्जी मंडी से यह क्षेत्र लगे हुए है। इन क्षेत्रों में काफी आबादी है। जिनमें दुकानें और घर दोनों है। छतों पर कपड़े फैलाना भी दूभर है। सालों से चली आ रही समस्या से लोग परेशान हो चुके हैं। आज तक इस परेशानी का कोई समाधान नही निकला है।
लड़ते-लड़ते हो जाते हैं आक्रामक बंदर अक्सर आपस में लड़ते-लड़ते कभी-कभी आक्रामक हो जाते हैं। किसी की भी हिम्मत नही पड़ती कि बंदरों को भगा पाएं। ऐसे में लोगों को अपने सामान का अपनी ही आंखों के समाने नुकसान होते देखना पड़ता है। कई बार छोटे बच्चों को बंदर काट जाते हैं, बच्चों को घर में ही कैद करके रखना पड़ता है। बच्चे न बाहर निकल सकते, न छत पर खेल सकते और न ही बालकनी में खड़े हो सकते है। घर पर जेल की तरह से कैद होकर रहना पड़ता है। बाहर बैठ नही सकते। बच्चे खेल नही सकते। बंदरों का बहुत आतंक मचा हुआ है। मोहन कुमार शुक्ला, क्षेत्रीय निवासी घरों की छतें हैं, लेकिन हमारे लिए बेकार हैं। बंदरों का झुंड हर वक्त बैठा रहता है.सर्दी हो या गर्मी हमेशा हम लोग कमरों में ही कैद रहते हैं। हीरा लाल, क्षेत्रीय निवासी सकरी गलियों में बंदरों का आतंक है। हर घर जाल से पूरा पैक है। लोग उन जाल के झरोखों से बस बाहर का देख पाते है। अशोक कुमार, क्षेत्रीय निवासीदुकानों पर से बंदर सामान उठाकर ले जाते है। कोई भी चीज कभी खुला नही छोड़ सकते। चोरों से ज्यादा बंदरों का भय हर वक्त बना रहता है।
सुशील, क्षेत्रीय निवासी