मोबाइल का पता नहीं लगा पा रही पुलिस
ड्डद्दह्मड्ड@द्बठ्ठद्ग3ह्ल.ष्श्र.द्बठ्ठ
न्द्दक्त्रन् (24 छ्वह्वठ्ठद्ग): भरतपुर हाउस में हुई घटना को पूरे पांच दिन बीत चुके हैं लेकिन पुलिस की विवेचना में अभी तक गायब मोबाइल व संजीव रस्तोगी के हाथ में लगे कागजातों पर फोकस नहीं है। अभी पुलिस यह पता नहीं कर सकी है कि वह कागज कहां गए और मोबाइल किसके पास है। संजीव के चालक को बेगुनाह मानकर चल रही है। फिर भी उससे अभी तक पूछताछ चल रही है। मोबाइल का नहीं लगा सुराग घटनास्थल से राजकुमार लालवानी का पर्सनल मोबाइल गायब है। उससे में हर कॉल की वॉयस रिकॉर्डिग रखता था। परिजनों ने भी बताया कि अभी तक मोबाइल नहीं मिला है। लेकिन पुलिस ने अभी तक इस मामले में लूट की धारा नहीं बढ़ाई है। अब पुलिस इस बात पर विचार कर रही है कि मामले में लूट की धारा को बढ़ाया जाए। कागज के बारे में नहीं लगा पतासंजीव रस्तोगी के हाथ में एक कागज लगा हुआ है दो गोली लगने के बाद भी उसने कागज छोड़े नहीं। पुलिस अभी तक उन कागजों के बारे में पता नहीं कर सकी है। जबकि चालक से पुलिस लगातार पूछताछ कर रही है। कार से निकलने के बाद कागज किस के हाथ में गया यह भी पुलिस को पता नहीं चला है। चालक ने भी पुलिस के सामने स्थिति क्लियर नहीं की।
एक्सपर्ट भी बोल रहे हत्या हुई भरतपुर हाउस में हुई सोल कारोबारी की मौत पर पुलिस ने पूरी तरह से हत्या की मोहर लगा दी है। अभी तक की उलझनों को दूर करने के लिए पुलिस ने जब फॉरेंसिक एक्सपर्ट से चर्चा की। वहां से भी हत्या के फैक्ट ही सामने आए। मौके पर रिवॉल्वर की नाल भी विपरीत दिशा में थी जबकि मृतक विपरीत दिशा में पड़ा हुआ था। एक्सपर्ट से की पुलिस ने बातपुलिस शुरू से इस मामले में हत्या को लेकर जांच कर रही है। फिर भी इस मामले में एक्सपर्ट से बात की गई। एक्सपर्ट ने पुलिस द्वारा बताई गई मौके की स्थिति पर चिंतन-मनन किया तो एक भी बात सुसाइड की नहीं निकली। एक्सपर्ट की मानें तो 32 बोर की रिवाल्वर से फायरिंग करने पर डेढ़ इंच से चलाई गई गोली में ?लैकनिंग व बर्निग आता है। डेढ़ से सवा इंच से ?लैकनिंग आता है। एक से सवा फीट तक से किए फायर में टटोइंग आ सकता है। लेकिन इस मामले में प्रकाश में आया था कि छह फीट से गोली चली है। ऐसी स्थिति में इसे सुसाइड नहीं माना जा सकता। सुसाइड की बात को मनोवैज्ञानिक ने भी खारिज किया है। पुलिस ने जब मनोवैज्ञानिक से इस मसले पर बात की तो उन्होने भी अपना अध्ययन कर इसे हत्या ही करार दिया चूंकि उनका मानना है कि पारिवारिक मामलों को छोड़ कर जो युवक मर्डर कर चुका है वह एकदम से सुसाइड नहीं कर सकता। यदि उसे सुसाइड करना भी है तो वह उस समय नहीं करेगा। इसके लिए वह 20 से 25 मिनट का समय सोचने में लेगा साथ ही सुसाइड के लिए दूसरा स्थान तय करेगा।
रिवॉल्वर नाल विपरीत दिशा में घटना के दौरान राजकुमार लालवानी का शव जिस दिशा में पड़ा था। कार पर रखा रिवॉल्वर उससे विपरीत दिशा में थी। यदि वह खुद को गोली मारता तो रिवॉल्वर की नाल सामने की तरफ होती लेकिन नाल उसकी की तरफ है। मौके की स्थिति दर्शा रही है कि फायर सामने की तरफ से हुआ है। चूंकि रिवॉल्वर भी फायर करने के बाद उसी दिशा में रखा था।