महिलाओं में बांझपन की समस्या कंसीव करने के कुछ टाइम बाद ही मिसकैरेज होना. महिलाओं में यह समस्या तेजी से बढ़ी है. आगरा के एसएन मेडिकल कॉलेज में गर्भधारण में समस्या और बार-बार मिसकैरेज से पीडि़त मरीजों पर स्टडी की गई. इसमें सामने आया है कि जिन महिलाओं में थायराइड पेरोक्सीडेज टीपीओ एंटीबॉडी थे उन्में मिसकैरेज होने का खतरा सबसे ज्यादा है.


आगरा(ब्यूरो)। एसएन के मेडिसिन विभाग और स्त्री रोग विभाग की ओर से 2022- 23 साल में जिन महिलाओं को कंसीव करने में दिक्कत हो रही थी या फिर बार-बार मिसकैरेज हो रहा था। उन पर स्टडी की गई। मेडिसिन विभाग के प्रो। प्रभात अग्रवाल और स्त्री रोग विभाग की प्रो। रुचिका गर्ग ने बताया कि स्टडी में 300 महिलाओं को शामिल किया गया। इन्हें हाइपोथाइरोडिज्म की समस्या थी। इन 300 महिलाओं को थायराइड का स्तर नियंत्रित करने के लिए दवा लेने के बाद भी 10 प्रतिशत महिलाओं में बार-बार मिसकैरेज की समस्या हो रही थी। इन सभी महिलाओं की टीपीओ एंटीबाडीज की जांच की गई। जिसमें से 290 महिलाओं में टीपीओ एंटीबॉडीज मिली। ये ऑटो इम्यून होती हैं। इन महिलाओं को थायराइड के साथ ही टीपीओ एंटीबॉडीज की भी दवा दी गई। इसके बाद कंसीव करने में उन्हें काफी हेल्प मिली। उनका बार-बार मिसकैरेज भी नहीं हुआ। पिछले कुछ साल में बांझपन और प्रेग्नेंट लेडीज की की थायराइड की जांच कराई जा रही है लेकिन टीपीओ एंटीबाडीज की जांच नहीं कराई जाती है। जबकि एंटीबाडीज की जांच भी करानी चाहिए।

वजन भी बन रहा है कंसीविंग में मेन प्रोब्लम
थायराइड की समस्या तेजी से बढ़ रही है। इसका एक प्रमुख लक्षण वजन बढऩा है। 50 साल के बाद महिलाएं और 65 वर्ष के बाद पुरुषों में से 10 प्रतिशत में थायराइड की समस्या मिल रही है। थायराइड की जांच जरूरी नहीं है कि खाली पेट कराई जाए। इसकी दवा भी डॉक्टर की सलाह के बिना बंद नहीं करनी चाहिए।
हाइपरथाइरोडिज्म में वजन होने लगता है कम
हाइपरथाइरोडिज्म में थायराक्सिन हार्मोन का स्तर बढ़ जाता है। इसमें वजन कम होने लगता है। आंखें उभर आती हैं। 30 प्रतिशत मरीज दो वर्ष में ठीक हो जाते हैं, 70 प्रतिशत मरीजों को रेडियोएक्टिव आयोडीन दी जाती है।
थाइराक्सिन हार्मोन का स्राव कम होने से हाइपोथाइरोडिज्म की बीमारी होती है। दवा से थायराइड हार्मोन का स्तर नियंत्रित रहता है। यह बीमारी महिलाओं में ज्यादा हो रही है, 50 की उम्र के बाद महिलाओं को थायराइड की जांच करा लेनी चाहिए।
- डॉ। एके गुप्ता, पूर्व विभागाध्यक्ष मेडिसिन विभाग, एसएन मेडिकल कॉलेज

बच्चों में थायराइड की समस्या अनुवांशिक हो सकती है, इसके साथ ही समय पूर्व प्रसव सहित अन्य कारणों से भी बीमारी हो सकती है। मोटापे की समस्या, त्वचा के शुष्क रहने पर शारीरिक और मानसिक विकास ठीक से न होने पर थायराइड की जांच करा लेनी चाहिए।
डॉ। नीरज यादव, अध्यक्ष बाल रोग विभाग, एसएन मेडिकल कॉलेज

थायरायड के प्रति करेंगे जागरूक
एसएनएम समेत अन्य प्राइवेट डॉक्टर्स भी शनिवार को थायराइड दिवस पर डॉक्टर थायराइड की बीमारी के लिए जागरूक करेंगे। इसके अलावा
शहर की गायनिक भी इसमें मुख्य भूमिका निभाते हुए लोगों को इसके प्रति अवेयर करेंगी।

थायराइड गर्भपात का कारण बन सकता है? जानें प्रेग्नेंसी में इसके कारण होने वाली 6 समस्याएं

थायराइड प्रेग्नेंसी की स्थिति को अलग-अलग तरीके से प्रभावित करता है। इसको कुछ तरीकों से कंट्रोल किया जा सकता है।

प्रेगनेंसी में थायराइड के नुकसान
1. प्रीक्लेम्पसिया
प्रीक्लेम्पसिया तब होता है जब प्रेगनेंसी में हाई ब्लड प्रेशर की समस्या हो जाती है। ये 20वें सप्ताह के बाद या जन्म देने के बाद हो सकती है। इसके कारण कई बार गुर्दे और लिवर सामान्य रूप से काम नहीं कर पाते और इसका असर पेट में पल रहे बच्चे पर होता है। साथ ही यह मां के दिल पर दबाव डाल सकता है और प्रेग्नेंसी में समस्याएं पैदा कर सकता है।

2. अचानक से प्लेसेंटा का अलग हो जाना
यह एक गंभीर स्थिति है जिसमें जन्म से पहले प्लेसेंटा गर्भाशय की दीवार से अलग हो जाता है। प्लेसेंटा आपके गर्भाशय में बढ़ता है और गर्भनाल के माध्यम से बच्चे को भोजन और ऑक्सीजन की आपूर्ति करता है।

3. समय से पहले जन्म और घेंघा रोग
प्रेगनेंसी में थायराइड की समस्या होने पर कई बार समय से पहले जन्म की समस्या हो जाती है। साथ ही ऐसे बच्चों में घेंघा रोग (गोयटर) होने की संभावना भी ज्यादा होती है।

4. पलमोनरी हाइपरटेंशन
पलमोनरी हाइपरटेंशन वो हाई ब्लड प्रेशर है जो आपके फेफड़ों में और आपके दिल के दाहिनी ओर धमनियों में होता है। ये प्रेगनेंसी के दौरान थायराइड की समस्या होने पर होने लगता है और मां और बच्चे दोनों के लिए खतरनाक हो सकता है।

5. ग्रेव्स डिसीज
ग्रेव्स रोग का कारण बनने वाले एंटीबॉडी गर्भावस्था के दौरान प्लेसेंटा को पार कर जाते हैं। अगर आपको गर्भावस्था के दौरान ग्रेव्स रोग है, तो आपके बच्चे को जन्म के दौरान और बाद में थायराइड की स्थिति होने का खतरा है।

6. नवजात में हाइट और वेट से जुड़ी समस्याएं
प्रेगनेंसी में थायराइड की समस्या होने पर कई बार बच्चों में छोटी हाइट और कम वेट से जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं। ऐसे बच्चे अंडरवेट हो सकते हैं या सामान्स से भी कम इनकी हाइट हो सकती है।

थायराइड से छुटकारा पाने के लिए यह योग है लाभदायक
भ्रस्त्रिका - इस प्राणायाम को तीन तरह से किया जाता है। पहले पांच सेकेंड में सांस लें और पांच सेंकेंड में सांस छोड़ें। दूसरे में ढाई सेकेंड सांस लें और ढाई सेकेंड में छोड़ें। तीसरा तेजी से सांस लें और छोड़ें। इस प्राणायाम को लगातार पांच मिनट करें। इस आसन को रोजाना 5-10 मिनट तक करें।
कपालभाति - योग विशेषज्ञ के अनुसार कपालभाति करने से शरीर में इम्यूनिटी बढ़ता है। इसके साथ ही शरीर से अशुद्ध् तत्व बाहर निकल जाते हैं। इससे थायराइड से छुटकारा मिलता है।
उज्जायी - इस आसन में गले से सांस अंदर भरकर ऊं का उच्चारण किया जाता है। इससे थायराइड को काफी लाभ मिलता है। इस आसान नियमति रूप से 7-11 बार करना चाहिए।
अनुलोम-विलोम - अनुलोम-विलोम करने के लिए सबसे पहले पद्माशन की मुद्रा में बैठ जाएं। अब दाएं हाथ की अनामिका और सबसे छोटी अंगुली को मिलाकर बाएं नाक पर रखें और अंगूठे को दाएं नाक पर लगा लें। तर्जनी और मध्यमा को मिलाकर मोड़ लें। अब बाएं नाक की ओर से सांस भरें और उसे दाएं नाक से अंगूठे को हटाकर सांस को बाहर निकाल दें। इस आसन का 15 मिनट से लेकर आधा घंटा तक करें। इससे थायराइड में लाभ होगा।
सिंहासन - इस आसन को थायराइड के लिए सबसे अच्छा माना जाता है। इस आसन को करने के लिए दोनों पैरों को सामने की ओर फैलाकर बैठ जाएं। अब अपने दाएं पैर को मोड़ें और उसे बाएं पैर की जांघ पर रख लें और बाएं पैर को मोड़ें और उसे दाएं पैर की जांघ पर रख लें। इसके बाद आगे की ओर झुक जाएं। दोनों घुटनों के बल होते हुए अपने हाथों को सीधा कर फर्श पर रख लें। इसके बाद अपने शरीर के उपर के हिस्से को आगे की ओर खीचें। अपने मुंह को खोलें और जीभ को मुंह से बाहर की ओर निकालें। नाक से सांस लेते हुए मुंह से आवाज करें। इसे रोजाना 7-11 बार करें।

Posted By: Inextlive