हास्टल में सांप-बिच्छू का डेरा
गंदगी में जीने को मजबूर हैं मेडिकल स्टूडेंट
मेडिकल कॉलेज में नही हो रही सुनवाई चोक पड़ा है शौचालय, सांप-बिच्छू के बीच रहना मजबूरी vineet.tiwari@inext.co.in ALLAHABAD: दूसरे के स्वास्थ्य की देखरेख की पढ़ाई करने वाले मेडिकल स्टूडेंट्स के खुद की सेहत महफूज नही है। इन भावी डॉक्टर्स के लिए सिरदर्द बना है उनका हास्टल। जहां, चारों ओर भीषण गंदगी के बीच रहना उनकी मजबूरी बन चुका है। इस बारे में उन्होंने कॉलेज प्रशासन से शिकायत भी की लेकिन सुनवाई नही हुई। कहने पर उठता है कूड़ाहॉस्टल में कूड़े का अंबार स्टूडेंट्स के कई बार कहने पर उठाया जाता है। स्टाफ की संख्या अधिक नही होने पर कमरों और गलियारों की सफाई भी ठीक से नही होती है। स्टूडेंट्स का कहना है कि जूनियर और सीनियर्स की विंग अलग-अलग है और सभी जगह का शौचालय की स्थिति ठीक नही है। अधिकतर शौचालय चोक रहते हैं जिसके चलते रोजाना दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।
कब खत्म होगा कंस्ट्रक्शन का कामएमएलएन मेडिकल कॉलेज कैंपस में ही हास्टल के बगल कंस्ट्रक्शन का काम चल रहा है। नए हास्टल के साथ अलग-अलग भवन बनाए जा रहे हैं। इसकी वजह से भी हास्टल में गंदगी फैल रही है। रॉ मॅटेरियल अक्सर हास्टल में रख दिए जाने से वहां रहने वालों को परेशानी से दो चार होना पड़ता है। बता दें कि इनमें फर्स्ट से लेकर फिफ्थ इयर तक के छात्र रहते हैं।
अक्सर हो जाता है सामना ग्राउंड फ्लोर पर रहने वाले स्टूडेंट्स को अक्सर कैंपस के भीतर सांप-बिच्छू जैसे जहरीले जंतुओं का सामना करना पड़ता है। गनीमत है कि कोई स्टूडेंट इनकी चपेट में नही आया है। उनका कहना है कि कैंपस में पेड़ और झाड़ी अधिक होने की वजह से बारिश में इनमें जीव-जंतु छिपे रहते हैं और कदमों की आहट होने पर बाहर निकल आते हैं। इनसे बचाव का भी कॉलेज प्रशासन ने कोई खास इंतजाम नही किया किया है। विवाद में फंस गया निर्माण कार्यहास्टल का रेनोवेशन का काम लंबे समय से चल रहा है। कार्यदायी संस्था की लेटलतीफी के चलते कॉलेज प्रशासन को परेशानी हुई। इस पर पत्र व्यवहार भी किया गया लेकिन बहुत अधिक फायदा नही हुआ। बताया जा रहा है कि सरकार ने निर्माण की ग्रांट संस्था को दे दी है। कॉलेज प्रशासन और संस्था के बीच हुए विवाद में संस्था ने असिस्टेंट वार्डेन पर वसूली और धमकाने का आरोप लगाया गया। जिसकी मजिस्ट्रेटी जांच चल रही है। जबकि असिस्टेंट वार्डेन का कहना है कि लेटलतीफी का विरोध करने पर यह कदम उठाया गया।
200 कुल कमरे हैं मेडिकल कॉलेज के हॉस्टल में 550 बच्चों को रहने का ठिकाना मिलता है इन हॉस्टल्स में 05 विंग में डिवाइडेड है हॉस्टल प्रिमाइस 05 टायलेट हैं प्रत्येक विंग में छात्रों के इस्तेमाल के लिए 20 बच्चे औसत इस्तेमाल करते हैं टायलेट