मिट्टी के गहने में पधारेंगे गजानन
दुर्गा पूजा तक बंगाल के कलाकार इलाहाबाद में रहेंगे
ALLAHABAD: सिद्धि विनायक भगवान गणेश का उत्सव महाराष्ट्र में सबसे अधिक मनाया जाता है। इलाहाबाद में भी इसकी परंपरा दिनोंदिन बढ़ रही है। इस बार भी कोलकता के कारीगर गणेश की प्रतिमाएं तैयार करने में जुटे हैं। इस बार की खासियत ये है कि प्रतिमाओं में गहने भी मिट्टी के ही बनाए जा रहे हैं। इसके लिए कोलकता से सौ यहां दिन रात मेहनत कर रहे हैं। जुलाई के पहले सप्ताह में आए कोलकता के कारीगर जुलाई के पहले सप्ताह में शहर पहुंचे थे। ये लोकमान्य तिलक सेवा ट्रस्ट, सीएमपी डिग्री कॉलेज के पीछे, रामबाग रेलवे स्टेशन व गऊघाट मछली बाजार में रहकर भगवान गणेश की मूर्तियां बना रहे हैं। ये अक्टूबर में दुर्गा पूजा महोत्सव के समापन के बाद वापस कोलकता लौट जाएंगे। दफ्ती की जगह मिट्टी का गहनागणेश महोत्सव को भव्यता प्रदान करने के लिए इलाहाबाद में पिछले पांच वर्षो से कोलकता के कारीगर आ रहे हैं। ये पहली बार है कि कारीगर कोलकता से दफ्ती लेकर नहीं आए हैं। ये झलवा व फाफामऊ गंगा के किनारे की मिट्टी से मूर्तियां बना रहे हैं। मिट्टी से ही भगवान के गले का आभूषण भी तैयार कर रहे हैं।
25 अगस्त को प्रतिमाओं की स्थापनालोकमान्य तिलक सेवा ट्रस्ट सहित शहर के विभिन्न संगठनों और घरों में गणेश चतुर्थी यानि 25 अगस्त को भगवान गणेश की मूर्तियां स्थापित की जाएंगी। पांच सितम्बर अनंत चर्तुदशी के दिन मूर्तियों का विसर्जन किया जाएगा।
500 में मिलेगी 15 इंच की भगवान गणेश की प्रतिमा 5000 में मिलेंगी चार फुट की भगवान गणेश की प्रतिमाएं 6500 रुपये रखी गई है सात फुट की प्रतिमा की कीमत 15000 रुपये सबसे बड़ी नौ फुट की प्रतिमा की कीमत कारीगरों ने रखी है 100 कलाकार कोलकाता ये यहां आकर प्रतिमाएं तैयार करने में जुटे हैं भगवान गणेश जी की मूर्तियों को तराशने का काम अंतिम चरण में है। इस बार 15 इंच की मूर्तियां और गले का आभूषण मिट्टी का बनाया जा रहा है। पिछले वर्ष एक फुट की मूर्तियों की बिक्री अधिक हुई थी। गौतम पॉल, कारीगर