- नाट्य महोत्सव के अंतिम दिन 'किसी और का सपना' नाटक का जीवंत मंचन

ALLAHABAD: यहां कोई सपना देखता है, तो कोई दूसरे के सपने को चुरा कर अपने सपने को साकार करता है। यही इंसान की फितरत है। इंसान की इसी फितरत को नाट्य समारोह के अंतिम दिन नाटक 'किसी और का सपना' के जरिये कलाकारों ने व्यंग्यात्मक तरीके से प्रस्तुत किया। जिसने लोगों को काफी प्रभावित किया।

एनसीजेडसीसी में नाट्य समिति बीकानेर की प्रस्तुति किसी और का सपनानाटक की शुरुआत रंग कर्म का अभ्यास कर रहे पांच रंग कर्मियों से होती है। जो नाटक की तैयारी तो करते हैं, लेकिन उन्हें नाटक के लिए एक बेहतरीन कहानी नहीं मिलती है। वहीं रंगकर्मियों के मोहल्ले में ही एक कबाड़ी रहता है, जिसे कहानी लिखने का शौक है। वो कहानियों को लिख कर अपनी दुकान पर ही छोड़ देता था। एक दिन रंग कर्मियों को कबाड़ी की दुकान से एक कहानी मिल जाती है। वे उसे पढ़ते हैं और कहानी अच्छी लगने पर उसे चुरा लेते हैं। फिर कहानी के आधार पर ही नाटक का मंचन करते हैं। कबाड़ी को जब पता चलता है कि उसने जो कहानी लिखी थी, उसका मंचन हो रहा है तो वो उस नाटक की कहानी पर अपना अधिकार जताता है। लेकिन उसके इस अधिकार को दबाने के लिए रंग कर्मी तरह-तरह की साजिश रचने के साथ ही कई जुगत लगाते हैं। नाटक के जरिये यह बताया कि आज के जमाने में आदमी ही आदमी का शत्रु है। एक दूसरे को दबाने के लिए लोग किस तरह की साजिश रचते हैं।

Posted By: Inextlive