जुर्म और जरायम की टहनी से तोड़कर फिरोज अहमद जिन बच्चों को मीठे फल खिलाना चाहता था. आज उन्हीं को कोई सूखी रोटी भी देने वाला नहीं बचा. बेगुनाह होते हुए भी बच्चे बाप के गुनाहों की सजा भुगतने को मजबूर हैं. फिरोज के गुनाहों की फेहरिश्त जितनी लंबी है उसका परिवार भी उतना ही लंबा है. मेहनत की कमाई से परिवार को पालने में नाकाम रहे फिरोज के कुल आठ बच्चे हैं. इनमें पांच बेटियां और तीन बेटे शामिल हैं. बेटे नाबालिग हैं जबकि दो बेटियां बालिग बताई जाती हैं. जी हां हम उसी फिरोज अहमद के परिवार की बात कर रहे हैं जिसने खुद की पहचान छिपाने के लिए बिहार के निर्दोष सूरज गुप्ता की नृशंस हत्या कर दी थी. उसे लगा था कि कानून के हाथ उस तक नहीं पहुंच सकेंगे. मगर शायद वह ये बात भुल गया था कि पाप का घड़ा कभी न कभी भरता जरूर है. उसके पाप से भरा घड़ा फूटा तो पूरा परिवार तिनकों की तरह बिखर गया.

प्रयागराज (ब्‍यूरो)। शातिर और खूंखार अपराधी फिरोज अहमद का पैतृक गांव यमुनापार के करछना थाना क्षेत्र स्थित पुरैनी में है। आर्थिक रूप से कमजोर फेमिली से विलांग करने वाले फिरोज के पास जमीन भी बहुत नहीं है। पुलिस की तफ्तीश पर गौर करें तो किसी तरह पिता दाऊद अहमद अंसारी बेटे फिरोज की शादी पचदेवरा में करा दी थी। शादी के बाद उसे फेमिली प्लानिंग करना वह भूल गया। बच्चे हुए और खर्च बढ़े तो परिवार में किचकिच शुरू हो गई। पारिवारिक विवाद को देखते हुए वह पत्नी व बच्चों को लेकर ससुराल पचदेवरा आ गया। ससुराल के लोग मेहनतकश हैं, लिहाजा उनकी मालीहालत भी थोड़ी ठीक है। पत्नी व उसके बच्चों का खर्च मायके वाले अपने सिर ले लिए। वक्त बीतता गया और फिरोज आठ बच्चों का बाप बन गया। पुलिस की स्क्रिप्ट पर गौर करें तो इन बच्चों में सबसे बड़ी शाहीन (21), सबरीन (20), अब्दुल रहमान (17), रोशनी (16) महजबी (13), इनायत (3) नुमान (5) व अरसलाम (7) शामिल है। फिरोज पत्नी मायके में इन बच्चों के साथ गुजर-बसर कर रही थी। उसे क्या पता था कि पति द्वारा की गई निर्दोष सूरज की हत्या के खून पर पर्दा डालना महंगा पड़ेगा। सूरज के खून से सने पति के कपड़े व शूज को तालाब में फेकने के जुर्म में पुलिस उसे भी जेल भेज दिया। भागा-भागा फिर रहा पति फिरोज भी मुठभेड़ में पकड़ा गया। इलाज बाद पुलिस उसे भी जेल भेजेगी। अब मां और बाप दोनों के जेल जाने के बाद आठों बच्चे बेसहारा हो गए।

बाप के गुनाहों की सजा भुगतेंगे बेगुनाह

फिरोज अहम जुर्म की जो स्क्रिप्ट गढ़ा था उसमें वह अपने परिवार की बर्बाद को नहीं देख सका।
उसके एक गुनाह से परिवार के कुल दस लोगों की जिंदगी बर्बाद हो गई। उसकी एक छोटी बेटी सबरीन की शादी हो गई है।
जबकि अन्य सारे बच्चे अविवाहित हैं। पुलिस के मुताबिक अब्दुल रहमान नाई की दुकान पर काम सीखने के लिए जाता है।
वह भी इतना मजबूत नहीं कि बहनों और भाइयों का पालन पोषण कर सके।
ननिहाल के लोग इन्हें रोटी कपड़ा और छत भले उपलब्ध करा दें। मगर, उन बच्चों के दर्द और समस्याओं को कौन सुनेगा।
फिरोज खुद का जीवन तो बर्बाद किया ही थी, पत्नी व आठ बच्चों को भी उसका अपराध कहीं का नहीं छोड़ा।

मुठभेड़ में पकड़े गए शातिर अपराधी फिरोज के कुल आठ बच्चे हैं। उसकी एक बेटी की शादी हो चुकी है। बाकी सात अविवाहित हैं। उसे बचाने में पत्नी पहले से ही जेल में हैं। फिरोज परिवार संग ननिहाल में ही रहता था।
विश्वजीत सिंह, थाना प्रभारी करछना

Posted By: Inextlive