अर्थवाद के इस दौर में महिलाएं हर फील्ड में पैठ बना चुकी हैं. पुरुषों की तरह वे नौकरी भी कर रहीं और बाजार हॉट में शॉपिंग भी. इन सब के बीच घूरती आंखों से खुद को बचाने का इनके सामने एक बड़ा चैलेंज है. बढ़ते क्राइम में हर जगह महिलाएं और युवतियों की सुरक्षा का खतरा बना रहता है. इस भौतिक वाद वाले दौर में समाज के अंदर रियल लाइफ में रील लाइफ दल दे चुकी है. यही वजह है कि घूमने फिरने के लिए निकलने पर भी सिक्योरिटी सस्पेंस बना रहता है. ऐसे हालात में छिछोरे किस्म के असामाजिक तत्वों को सबक सिखाने का जज्बा भी महिलाओं व युवतियों में होना चाहिए. खुद से सुरक्षा करने का हौसला रखने वाली इन महिलाओं और युवतियों के पास कई आप्शंस हैं. आज 'दैनिक जागरण आईनेक्स्टÓ इन्हीं सारे टिप्स पर आप से बात करेगा. जिसे सीख कर स्वयं अपनी ही नहीं महिलाएं व युवतियों दूसरों की भी हिफाजत कर सकती हैं. इन्हें सीखने में थोड़ी मेहनत और वक्त जरूर लगेगा. मगर पारंगत होने के बाद किसी भी कुत्सित सोच को चोट पहुंचाने देने में वक्त नहीं लगेगें.


प्रयागराज (ब्‍यूरो)। महिलाएं हों या युवतियां, सेल्फ डिफेंस के लिए किसी को तलवार या बंदूक चलाने की जरूरत नहीं है। इसके लिए आप को अपने कदम कुछ खेल तरफ ले जाने होंगे। कई गेम ऐसे हैं जिन्हें एम बनाकर महिलाओं व युवतियां सेल्फ सिक्योरिटी के साथ कॅरियर को भी संवार सकती हैं। मदन मोहन मालवीय स्टेडियम के सेल्फ डिफेंस गेम सिखाने शानदार कोच मौजूद हैं। कोच की मानें तो सेल्फ डिफेंस में महिलाओं व युवतियों यहां कई आप्शंस हैं। इनमें सबसे पहले जूडो का नाम बताया गया। जूडो के साथ ताइक्वांडो, कराटे और बॉक्सिंग जैसी विधा सीख कर कोई भी दुश्मनों को धूल चटा सकता है। इन विधाओं को सीखने के लिए यहां एडमिशन लेने पड़ते हैं। बताते हैं कि फिलहाल कराटे और बाक्सिंग के कोच स्टेडियम में नहीं हैं। मगर, प्राइवेट कई संस्थाएं हैं जहां आप इन दोनों विधाओं की ट्रेनिंग ले सकती हैं।

जूडो

इस गेम में सेफ एण्ड अटैक दोनों तरीके सिखाए जाते हैं। जूडो में ज्यादातर हाथ और कमर का प्रयोग किया जाता है। इसमें अटैक अटेंप्ट कम और सेफ्टी टिप्स ज्यादा अपनाए जाते हैं। यह एक ऐसी विधा जिसे एक कुश्ती की तरह काफी नजदीक सेफ एण्ड अटैक पोजीशन होती है। इसमें पहले खुद की सेफ्टी फिर अटैक के टिप्स सिखाए जाते हैं।

ताइक्वांडो

यह एक ऐसी विद्या है जिसका फार्मूला अटैक से पहले अटैक होता है। ताइक्वांडो में 10 प्रतिशत हाथ तो 90 फीसदी पैर से आत्मरक्षा के तरीके अपनाए जाते हैं। इसमें सबसे ज्यादा नजर यानी आंख और पैर का ही कमाल होता है। इस विधा में यह सिखाया जाता है कि सामने वाला हमला करे इसके पहले अटैक कर दो। हमला होने वाला यह बातें आप को इस विधा में सामने वाले की नजर व बॉडी लैंग्वेज देख कर मालू हो जाता है।

कराटे

यह भी सेल्फ डिफेंस का एक शानदार तरीका है। जिसे सीख कर महिलाएं व युवतियां किसी को भी मात दे सकती हैं। कोच बताते हैं कि कराटे में सुरक्षा करने वाला शख्स हाथ और पैर दोनों का इस्तेमाल करता है। यह विधा भी एक खतरनाक टिप्स के रूप में जाना जाता है। क्योंकि कराटे और ताइक्वांडो दो ऐसे टिप्स हैं जिसमें सामने वाले को अटैक और पास आने का मौका तक नहीं मिला। इसे सीखकर महिलाएं व युवतियां बड़े से बड़े दिग्गज को मात दे सकती हैं। क्योंकि इसमें सिखाए गए तरीकों का सामना करने की क्षमता किसी भी अप्रशिक्षित में नहीं होती।

बॉक्सिंग

यह एक ऐसा तरीका है जिसमें ताकत की जरूरत ज्यादा पड़ती है। बाक्सिंग में सिर्फ हाथ से पंच यानी मुक्के का इस्तेमाल किया जाता है। हर पंच कहां और कैसे मारना एक्सपर्ट कोच इस बात की ट्रेनिंग देते हैं। पांव का इस्तेमाल केवल पैतरे के लिए होता है। कहते हैं कि बाकी अटैक के सारे काम हाथ से पंच में रूप में ही किया जाता है। इसमें ज्यादातर हमला अटैक के बाद बताया जाता है। क्योंकि हमले के बाद वक्त ही सामने वाला आप के पास आकर अटैक करने का मौका देता है।

जानिए कोच की क्या है स्थिति

कोई भी महिला हो या फिर युवती यदि जूडो और ताइक्वांडो सेल्फ डिफेंस के लिए सीखना चाहती है उसके लिए मदन मोहन मालवीय स्टेडियम में उम्दा व्यवस्था है।

यहां जूडो के कोच संजय कुमार गुप्ता और ताइक्वांडो कोच रंजीत कुमार हैं। दर्जनों युवक व युवतियां इनकी ट्रेनिंग से इन विधाओं में पारंगत होकर नेशन व इंटर नेशनल गेम में प्रतिभाग करके मेडल तक हासिल कर चुकी हैं।

उतने ही आज भी यहां इनसे ट्रेनिंग ले रहे हैं। इस स्टेडियम में कराटे और बाक्सिंग के गेम भी सिखाए जाते हैं।

कराटे और बॉक्सिंग कोच के न होने से स्टेडियम में फिलहाल आप इन तरीकों की ट्रेनिंग नहीं ले सकती हैं।

प्राइवेट भी ले सकती हैं ट्रेनिंग

शहर में जूडो, कराटे, ताइक्वांडो हो या फिर बाक्सिंग महिलाएं व युवतियां प्राइवेट भी ट्रेनिंग ले सकती हैं। शहर में कई एक्सपर्ट जगह-जगह कोचिंग खोलकर ट्रेनिंग दे रहे हैं। फर्क इतना है कि इनसे ट्रेनिंग लेने के लिए हर महीने हजार डेढ़ हजार रुपये फीस देनी पड़ेगी। किसी भी कोच से संपर्क कर इनके कोचिंग सेंटर की जानकारी आप ले सकती हैं।

सेल्फ डिफेंस के कई गेम स्टेडियम में सिखाए जाते हैं। महिलाएं हों या कोई युवती एडमिशन लेकर प्रशिक्षण ले सकती हैं। जितनी मेहनत व लगत वह दिखाएंगी उतनी जल्दी इन तरीकों को सीख सकती हैं। सेल्फ डिफेंस की कई विधाओं में ही एक ताइक्वांडों भी है। जिसे हम बेहतर मानते हैं।

रंजीत कुमार ताइक्वांडो कोच, मदन मोहन मालवीय स्टेडियम

मेरा अपना मानना है कि महिलाओं व युवतियों के लिए सेल्फ डिफेंस में जूडो एक बेहतर आर्ट है। क्योंकि उन्हें सेल्फ डिफेंस की जरूरत तभी पड़ती है जब कोई पास आकर उन पर अटैक करता है। सेल्फ डिफेंस के अन्य गेम भी काफी अच्छे और बेस्ट हैं। इनमें से कोई भी टिप्स सीख कर कोई भी अपनी बेहतर तरीके से सुरक्षा कर सकता है।

संजय कुमार गुप्ता जूडो कोच मदन मोहन मालवीय स्टेडियम

Posted By: Inextlive