ALLAHABAD::एक महीना. तीन महिलाओं की बेरहमी से हत्या. बॉडी को इस अंदाज में निबटाया गया था कि सच कभी सामने ही न आ सके. लेकिन सब कुछ हत्यारों की इच्छा के मुताबिक ही नहीं हुआ. चौंकाने वाला तथ्य यह है कि तीनों महिलाओं की हत्या साफ फेरे लेकर जीवनभर साथ निभाने का दंभ भरने वालों ने ही की थी. इन घटनाओं ने बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है आखिर क्यों खत्म हो रही है रिश्तों में गर्माहट? कब मिलेगा तीनों को इंसाफ और इंसानियत के हत्यारे जेल जाएंगे.


बच्चे भी हो चुके थे.

प्रतिक्षा जैकब, नीता और मीना। तीनों की हत्या हो चुकी है। इनके खून से उसी शख्स के हाथ सने हुए हैं जिनके साथ सात फेरे लेकर इन्होंने नई जिंदगी की शुरुआत की थी। पिछले एक महीने में हुई इन तीन घटनाओं ने पति-पत्नी के भरोसे के रिश्ते को कटघरे में खड़ा कर दिया है। खूनी रिश्तों में तब्दील हो चुके इन रिश्तों में सबसे अहम बात यह रही कि अच्छा-खासा वक्त दोनों साथ बिता चुके थे। तीनों के बच्चे भी हो चुके थे। इसके बावजूद हुई इन बड़ी घटनाओं ने समाज शास्त्रियों के चेहरे पर शिकन ला दी है। सभी के जेहन में एक ही सवाल है आखिर क्यों?

 एक गिरफ्तार, दो फरार

मीना के पति को पुलिस गिरफ्तार कर चुकी है जबकि प्रतिक्षा और नीता की हत्या के आरोपी पति जोसेफ जैकब और राजेंद्र पटेल पुलिस की गिरफ्त से बाहर हैं। मीना के पति ने पुलिस को बयान दिया था कि वह उससे आजिज आ चुका था, जिस काम को मना किया जाता था उसी को करती थी। इसलिए तंग आकर मैंने उसे गोली मार दी। जोसेफ जैकब और राजेंद्र पटेल की गिरफ्तारी नहीं होने खून से हाथ रंगने के पीछे उनके क्या तर्क थे? पता नहीं चल पाया है। इनकी गिरफ्तारी के बाद ही हत्या के कारण का स्पष्ट तौर पर पता चल पाएगा। धूमनगंज और कीडगंज पुलिस ने बताया कि दोनों को गिरफ्तार करने के लिए दबिश दी जा रही है। लेकिन अभी तक कुछ पता नहीं कर पाया है.

 आखिर क्यों?

करीब एक महीने के भीतर तीन हत्याएं और तीनों में आरोपी पति। यह घटना खुद समाज के सामने बड़ा सवाल खड़ा करती है। प्रतिक्षा और नीता दोनों के मामले में स्थिति यह थी कि बकायदा प्लानिंग के साथ उन्हें मौत के घाट उतारा गया। इतनी जबरदस्त प्लानिंग थी कि आसपास रहने वाले किसी भी शख्स तक को इसका अंदाजा तक नहीं लग पाया। वह तो कहिए इन दोनों की मौत का राज खुल गया वरना दूर-दूर तक कोई गुजाइंश ही नहीं बनती थी। समाजशास्त्री हेमलता श्रीवास्तव बताती है कि ये घटनाएं इस ओर साफ इशारा कर रही हैं कि पति-पत्नी के रिश्ते में जो इमोशनल टच होता है वह इन रिश्तों में था ही नहीं.

 भरोसे की नहीं थी जगह

इन रिश्तों में भरोसे का कोई नामो निशान नहीं है। हेमलता बताती हैं कि भरोसा खत्म होते ही ऐसे प्रगाढ़ रिश्तों में नफरत का जन्म होने लगता है। यही नफरत एक दिन इस कदर बढ़ जाती है कि लोग हत्या जैसा गुनाह तक कर देने से पहले इसका अंजाम भी नहीं सोचते। उन्होंने यह भी कहा कि आमतौर पर इस तरह के रिश्तों का खत्म करने का कानूनी तरीका भी है। लेकिन, जब रिश्ता काफी आगे बढ़ जाता है तो फिर सिरफिरे टाइप के लोग इस तरह का कदम उठा लेते हैं। इन तीनों ही मामलों में शादी के पांच साल से ज्यादा बीत चुके थे। मीना वाले मामले में तो 20 साल से ज्यादा बीत चुके थे.

Posted By: Inextlive