शहर की हवा में 'जहर'
-सामान्य मानक से अधिक है इलाहाबाद शहर में एयर पॉल्यूशन का लेवल
-वाहनों से निकलने वाला धुआं फेफड़ों को पहुंचा रहा नुकसान -बारिश थमने के बाद लोगों को आगोश में लेने लगा है धूल का गुबार vineet.tiwari@inext.co.in ALLAHABAD: शहर की आबोहवा जहरीली हो चुकी है। बारिश थमने के बाद धूल का गुबार सेहत को नुकसान पहुंचा रहा है तो जाम में फंसी गाडि़यों से निकलने वाला धुआं भी पॉल्यूशन लेवल बढ़ाने में लगा है। इसका खुलासा कैंपेनर क्लाइमेट एजेंडा संस्था की रिपोर्ट में हुआ है। संस्था द्वारा शहर के तमाम स्थानों पर लगाई गई मशीनों से पॉल्यूशन लेवल चेक किया जा रहा है। इसकी रिपोर्ट के मुताबिक एयर पॉल्यूशन धीरे-धीरे हवा को जहरीला बनाने में लगा है। यहां है सर्वाधिक जहरीली हवामौजूदा रिपोर्ट के मुताबिक शहर का पॉल्यूशन लेवल मापने के लिए संस्था ने मुंडेरा और राजापुर में मापक यंत्र लगाए हैं। इनकी रिपोर्ट के मुताबिक दोनों इलाकों में पीएम 2.5 और पीएम 10 का लेवल बढ़ा हुआ मिला है। पीएम 2.5 के जरिए वाहनों के धुएं और पीएम 10 के जरिए धूल के कणों के घनत्व को मापा जाता है। पिछले 12 दिनों के आंकड़ों पर नजर डालें तो लगातार हवा में पॉल्यूशन का लेवल बढ़ा हुआ है।
मुंडेरा में पॉल्यूशन लेवलडेट पीएम 2.5 पीएम 10
25 सितंबर 76 158 26 सितंबर 78 162 27 सितंबर 80 164 28 सितंबर 81 181 29 सितंबर 86 195 30 सितंबर 69 182 1 अक्टूबर 72 187 2 अक्टूबर 87 216 3 अक्टूबर 79 184 4 अक्टूबर 102 170 5 अक्टूबर 108 171 6 अक्टूबर 94 166 पीएम 2.5 का निर्धारित मानक: 60 पीएम 10 का निर्धारित मानक: 100 राजापुर में पॉल्यूशन लेवल डेट पीएम 2.5 पीएम 10 25 सितंबर 121 126 26 सितंबर 68 127 27 सितंबर 76 14128 सितंबर 72 136
29 सितंबर 84 169 30 सितंबर 76 152 1 अक्टूबर 78 154 2 अक्टूबर 76 155 3 अक्टूबर 91 176 4 अक्टूबर 76 143 5 अक्टूबर 76 146 6 अक्टूबर 79 132 बॉक्स इतना खतरनाक है पॉल्यूशनरिपोर्ट से साफ है कि शहर का पॉल्यूशन लेवल अपने निर्धारित मानक से डेढ़ गुना से अधिक हो चुका है। जो सांस हम ले रहे हैं वह हमारे फेफड़ों सहित पूरे शरीर को नुकसान पहुंचाने के लिए काफी है। यह भी बता दें कि जबसे शहर में विकास के कार्य (सड़क चौड़ीकरण, पुल निर्माण, सीवर लाइन आदि)) की शुरुआत हुई, लोगों को धूल और वाहनों के धुएं से दो चार होना पड़ रहा है। बारिश का मौसम बीतने के बावजूद सड़कों पर धूल के कारण चलना भी मुश्किल होता जा रहा है।
बॉक्स 15 फीसदी बढ़ गए सांस के मरीज सबसे अहम यह कि पिछले एक साल में आठ माह में शहर में सांस के मरीजों की संख्या 15 फीसदी तक बढ़ गई है। इनमें अस्थमा के अलावा धूल से एलर्जी के मरीजों की संख्या खासी है। इन मरीजों को धूल और धुएं से सांस नली में सूजन और संक्रमण की शिकायत है। जिससे उनको खांसी, बलगम और कमजोरी की समस्या से जूझना पड़ रहा है। जल्द ही पॉल्यूशन पर लगाम नहीं लगी तो स्थिति अधिक गंभीर हो जाएगी। वर्जन हमारी संस्था ने शहर का पॉल्यूशन लेवल मापने के लिए राजापुर और मुंडेरा में यंत्र लगाए हैं। इनकी रिपोर्ट बताती है कि धूल और धुएं की अधिकता से हवा जहरीली होती जा रही है। रोकथाम के प्रबंध नहीं किए गए तो भविष्य में समस्या अधिक गहरा सकती है। -ओमप्रकाश, कैंपेनर क्लाइमेट एजेंडा संस्था मौजूदा एयर पॉल्यूशन सेहत के लिए ठीक नही है। लगातार मरीजों की संख्या बढ़ रही है। गले में संक्रमण आम बात हो गई है। धूल और धुएं के कणों से अस्थमा और सीओपीडी के मरीज अधिक परेशान हो रहे हैं। पॉल्यूशन से बचने के लिए उन्हें प्रॉपर इलाज की सलाह दी जा रही है।-डॉ। आशुतोष गुप्ता, चेस्ट स्पेशलिस्ट