प्राइवेट की हड़ताल, सरकारी का सिरदर्द
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इलाहाबाद में कुल प्राइवेट नर्सिग होम्स 1100 इलाहाबाद मेडिकल एसोसिएशन के सदस्य 80 फीसदी नर्सिग होम्स रहे हड़ताल में शामिल Clinical establishment act के विरोध में बंद रहे नर्सिग होम्स Government hospitals में बढ़ गई भीड़, इलाज के लिए भटकते रहे मरीज ALLAHABAD: प्राइवेट नर्सिग होम्स की क्लीनिकल स्टैब्लिशमेंट एक्ट के विरोध में एक दिनी स्ट्राइक के चलते मरीज झेल गए। प्राइवेट ओपीडी में इलाज न मिलने से सरकारी हॉस्पिटल्स पर प्रेशर बढ़ गया। यहां डेढ़ गुना तक मरीजों की संख्या बढ़ी रही। हड़ताल के चलते 80 फीसदी प्राइवेट नर्सिग होम्स में मरीजों को भर्ती नही किया गया। केवल पहले से भर्ती मरीजों का इलाज चलता रहा। भीड़ होने से डॉक्टरों पर बढ़ा दबाव एसआरएन हॉस्पिटल में 4500 मरीजों को ओपीडी में देखा गया शाम तक यहां ढाई सौ से अधिक मरीजों को भर्ती किया जा चुका थाबेली हॉस्पिटल में 2400 मरीज ओपीडी में देखे गए
कॉल्विन हॉस्पिटल में 2000 पेशेंट ओपीडी में देखे गए चिल्ड्रेन हॉस्पिटल में तकरीबन 1300 मरीजों को देखा गया। चिल्ड्रेन हॉस्पिटल में मजबूरी में एक बेड पर दो बच्चों को भर्ती किया गया प्राइवेट हॉस्पिटल्स में इमरजेंसी सेवाएं जारी थीं 'सर, देख लीजिए प्लीज'सोरांव के विकास चंद्रा को कान में तेज दर्द था। परिजन उसे लाउदर रोड स्थित एक प्राइवेट हॉस्पिटल ले गए वहां डॉक्टर ने देखने से मना कर दिया। इसके बाद विकास को एसआरएन हॉस्पिटल जाना पड़ा।
जार्जटाउन के एक हॉस्पिटल से बिना इलाज वापस किए गए भिखारीलाल को बेली हॉस्पिटल जाना पड़ा झूंसी से आई रानी को पेट में तेज दर्द हुआ तो परिजन उसे लेकर नजदीक के एक नर्सिग होम में गए। यहां उसे भर्ती नही किया गया। बाद में प्राइवेट एंबुलेंस के जरिए रानी को एसआरएन हॉस्पिटल ले जाया गया। ऐसे सैकड़ों मरीजों को हड़ताल के चलते खासी परेशानी झेलनी पड़ी। बैठक में बनाई गई रणनीति क्लीनिकल स्टैब्लिशमेंट एक्ट का हास्पिटल संचालक कड़ा विरोध कर रहे हैं। मंगलवार को बंदी में इलाहाबाद के करीब 300 प्राइवेट हॉस्पिटल और तकरीबन 1100 डॉक्टर शामिल रहे। 40 डॉक्टर्स दिल्ली में मंगलवार को आयोजित हुए राष्ट्रीय सम्मेलन में भाग लेने गए हैं। इलाहाबाद मेडिकल एसोसिएशन सभागार में मंगलवार सुबह हुई बैठक की अध्यक्षता कर रहे डॉ। अनिल शुक्ल ने कहा कि केंद्र सरकार पूंजी पतियों के लाभ के लिए कानून बना रही है। डॉक्टर्स डिमांड स्वास्थ्य विभाग के कानूनों को एक समान केंद्रीय कानून के अंतर्गत लाया जाए। प्रशासनिक कमियों के चलते डॉक्टरों पर दर्ज आपराधिक मामले वापस हों।डॉक्टरों एवं अस्पतालों में हिंसा के खिलाफ एक समान केंद्रीय अधिनियम लागू हो, जिसमें दंडात्मक कार्रवाई का प्रावधान होना चाहिए।
पश्चिम बंगाल के क्लीनिकल स्टैब्लिशमेंट एक्ट में संशोधन किया जाए। एक दवा-एक कंपनी का कानून बनाया जाए। 13 नवंबर 2015 मंत्री परिषद की रिपोर्ट को तुरंत लागू किया जाए। चिकित्सा संस्थानों के पंजीकरण के लिए एकल खिड़की का प्रावधान हो। हमारी हड़ताल पूरी तरह सफल रही है। जो लोग एएमए के आहवान के बावजूद अपना नर्सिग होम संचालित कर रहे हैं, उनको मांगों के बारे में सोचना चाहिए। इससे उनका ही नही, बल्कि गरीब मरीजों का भी हित होगा। -डॉ। बीके मिश्रा, पूर्व सचिव, एएमए केंद्र सरकार पूंजी पतियों के लाभ के लिए कानून बना रही है। इससे गरीब और असहाय मरीजों को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा। डॉ। अनिल शुक्ल केंद्र सरकार से एक्ट को लेकर रणनीति में बदलाव किए जाने की मांग की गई है। सरकार का रुख अभी पॉजिटिव नहीं है इसीलिए विरोध किया जा रहा है। डॉ। अनूप चौहान