Allahabad: आखिरकार वही हुआ जो छात्र चाहते थे. जो न्याय था. जिससे ऑफिसर बनने की मंशा लेकर इलाहाबाद तैयारी के लिए आने वाले छात्र अपराध के रास्ते पर चल निकलने से बच गए. आई नेक्स्ट ने इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाया और पिछले दिनों में हुई ऐसी ही घटनाओं को नजीर के रूप में रखा तो पुलिस ऑफिसर भी हरकत में आ गए. उन्होंने भी मान लिया कि स्टूडेंट्स के साथ गलत हो रहा है. वे कोई क्रिमिनल्स नहीं जिस पर संगीन धाराओं में मुकदमा चलाकर सलाखों के पीछे रखा जाए. विवेचना रिपोर्ट को आधार बनाकर पुलिस ने संगीन धाराओं को हटाने का फैसला लिया तो जेल में बंद छात्रों के साथ ही उनके समर्थन में विरोध कर रहे छात्रों के भी चेहरे खिल उठे. फ्राइडे को नैनी जेल में ही अदालत लगी और सभी को बेल मिल गई. हालांकि बेल बांड न भरने से उनकी रिहाई अब कल होगी.

जेल में हुई बहस 

एयू के स्टूडेंट लीडर व एडवोकेट विजय द्विवेदी ने बताया कि पुलिस ने 22 जुलाई को सलोरी में हुई घटना के बाद 22 स्टूडेंट्स को पकड़ा था। उन्हें पहले शांति भंग के अंदेशे में जेल भेज दिया और दूसरे दिन संगीन धाराएं लाद दी गईं। उनकी जमानत के लिए एयू लीडर व एडवोकेट लगातार प्रयास कर रहे थे। फ्राइडे को जेल में एक बार फिर अदालत लगी। विजय द्विवेदी अपने कई एडवोकेट साथियों के साथ वहां बहस करने पहुंचे थे। कोर्ट के अंदर एसीजेएम एमआर अहमद ने केस की सुनवाई की। बचाव पक्ष की ओर से बताया गया कि स्टूडेंट्स  सिर्फ विरोध प्रदर्शन कर रहे थे। उन्होंने ऐसा कोई काम नहीं किया जिसके आधार पर पुलिस ने संगीन धाराओं में रिपोर्ट दर्ज किया है।

पुलिस का भी मिला साथ

पुलिस ने भी इस केस में स्टूडेंट्स का साथ दिया। आईओ एसआई एमपी सिंह ने बताया कि जांच में क्लीयर हो गया कि स्टूडेंट्स ने ऐसी कोई गलती नहीं की है जिसके आधार पर उन्हें संगीन धाराओं में आरोपी बनाया जाए। आईपीसी की धारा 148 और 149 तक लगाया जाता है जब कोई उपद्रवी बंदूक से फायरिंग और हंगामा करता। स्टूडेंट्स के इस आंदोलन में ऐसा कुछ नहीं हुआ था, इसलिए ये दोनों धाराएं हटा दी गईं। पुलिस टीम पर हमला हुआ था लेकिन चोट किसी को नहीं लगी ऐसे में आईपीसी की धारा 332 भी हटा ली गई। जब किसी को चोट ही नहीं लगी तो जान लेवा हमला कहां से होता। ऐसे में उनके ऊपर लगी सबसे गंभीर आईपीसी की धारा 307 भी हटा ली गई। अब बात थी 7 सीएलए एक्ट की तो यह इसलिए हटा दिया गया क्योंकि वहां कोई आतंक का माहौल नहीं था। हालांकि इन संगीन धाराओं को हटाने के बाद भी कई संगीन धाराएं स्टूडेंट्स पर अभी भी लगी हैं. 

बांड न भरे जाने से नहीं हो सके रिहा

जेल में शाम को अदालत लगी थी जिसके कारण स्टूडेंट्स की बेल होने के बाद भी बांड नहीं भरा जा सका। दरअसल जमानत होने के बाद जेल से रिहा करने से पहले बांड भरा जाता है। जो कि कोर्ट खुले रहने पर ही संभव है। इसके चलते अब बेल बांड सैटरडे को भरा जाएगा। इसके बाद स्टूडेंट्स जेल से रिहा हो जाएंगे।

Posted By: Inextlive