कहीं अगला नंबर आपका तो नहीं?
-एक साल में ओपीडी में गए बढ़ एक 15 फीसदी से मरीज
-यंगस्टर्स आए बीमारियों के निशाने पर, डॉक्टर्स भी हैं हैरान ALLAHABAD: लाइफ स्टाइल और खानपान में बदलाव नहीं किया तो भविष्य में आपको भी मरीजों की लिस्ट में शामिल होना पड़ सकता है। यह हम नहीं, बल्कि डॉक्टर्स कह रहे है। उनकी मानें तो बीमारियां तेजी से पांव पसार रही हैं। हॉस्पिटल्स की ओपीडी में मरीजों की संख्या भी तेजी से बढ़ रही है। सबसे अहम बात यह है कि नए मरीजों में यंगस्टर्स की संख्या अधिक है। 10 से 15 फीसदी नए मरीज -250 मरीज पहले आते थे रोजाना। 280-290 तक पहुंचने लगी है संख्या। 10 से 15 फीसदी नए मरीज आ रहे। यह बीमारियां बढ़ीं ब्लड प्रेशर, थायरायड, डायबिटीज इसलिए चिंता की बातयह ऐसी बीमारियां हैं, जिनकी चपेट में आने के बाद आजीवन सचेत रहना पड़ता है। हालांकि शुरुआती दौर में आने वाले मरीज बेहतर इलाज के जरिए ठीक भी हो जाते हैं।
घट गई बीमार पड़ने की उम्रजो नए मरीज आ रहे हैं, उनमें कम उम्र वालों की संख्या अधिक है। पहले आने वाले मरीजों की उम्र 50-55 वर्ष तक होती थी। अब यह घटकर 35-40 वर्ष तक आ गई है। इससे साफ है कि बीमारियां के लड़ने की शारीरिक क्षमता कमजोर पड़ रही है। यही कारण है कि लोग जल्दी इनकी चपेट में आ रहे हैं। खासकर यंग एज मरीजों की इम्यूनिटी तेजी से कम होती जा रही है।
यह हैं बीमारी के मुख्य कारण -काम का बहुत अधिक तनाव। -भरपूर नींद नहीं लेना। -जंक फूड और बाजार के खाने का अधिक सेवन। -लाइफ स्टाइल में एक्सरसाइज का महत्व खत्म हो जाना। -बात-बात पर गुस्सा और नाराजगी। बचकर रहना है तो यह करिए -अधिक से अधिक खुश रहिए। -तनाव से दूर रहें। -घर का बना ताजा भोजन करिए। -रोजाना एक्सरसाइज करने की आदत डालें। -कम से कम 7 से 8 घंटे की नींद लें। ओपीडी में एक साल में 15 फीसदी तक मरीजों की संख्या बढ़ गई है। इनमें यंगस्टर्स अधिक हैं। कहीं न कहीं काम का दबाव और खानपान में कमी इसका मेन रीजन है। स्वस्थ रहना है तो आसपास का वातावरण बेहतर रखना होगा। -डॉ। मनोज माथुर, फिजीशियन, एसआरएन हॉस्पिटल शरीर की प्रतिरोधक क्षमता कम हो रही है। प्रदूषण भी एक बड़ा कारण हो सकता है। लेकिन, लोगों को खुद को मजबूत बनाना होगा। स्वस्थ दिमाग से ही स्वस्थ शरीर की रचना की जा सकती है। -डॉ। ओपी त्रिपाठी, फिजीशियन, बेली हॉस्पिटल