Bareilly: पेशे से एक्सेज बैंक एम्प्लॉई प्रेरित इन दिनों काफी परेशान है. उनकी परेशानी जायज भी है. अपनी प्यारी कार के इलेक्शन ड्यूटी में लगने की बात सोचकर प्रेरित की रातों की नींद उड़ी हुई है. दरअसल बरेली डिवीजन में इलेक्शन ड्यूटी में छोटी-बड़ी गाडिय़ों की रिक्वायरमेंट बहुत ज्यादा है. इलेक्शन कमिशन से जारी निर्देश में यह साफ कहा गया है कि इलेक्शन में ड्यूटी के लिए अगर व्यावसायिक वाहनों की कमी हो तो प्राइवेट वाहनों को भी केप्चर किया जा सकता है. अधिकारियों की माने तो तय डिमांड के अनुसार फिलहाल गाडिय़ों की संख्या पूरी नहीं हो पा रही है.


डिमांड नहीं हो रही पूरीइलेक्शन में गवर्नमेंट ऑफिर्सस को लाने ले जाने के लिए वाहनों की रिक्वायरमेंट इस बार इसलिए भी ज्यादा है क्योंकि बरेली के इलेक्शन में ड्यूटी पर छोटे-बड़े अधिकारियों की संख्या तकरीबन 12,236 है इसलिए हल्के वाहनों की रिक्वायरमेंट को रोडवेज और आरटीओ पूरा नहीं कर पा रहा है.  253 हल्के वाहन की जरूरत विधान सभा निर्वाचन 2012 में बरेली सिटी से 858 छोटे-बड़े वाहनों की रिक्वायरमेंट है। उठने लगी आपत्तियां
यह परेशानी किसी एक से प्रेरित की नहीं है। बरेली के हर उस सिटीजन की है, जिसके पास फोर व्हीलर है। इलेक्शन में सिटी से वाहनों की डिमांड को देखते हुए इस बात की पॉसिबिलिटी अभी से बनती नजर आ रही है कि वाहनों को इलेक्शन में ड्यूटी पर लगाया जाएगा। पेशे से डेन्टिस्ट सुधीर मिश्र ने बताया कि डेमोक्रेसी में अगर इलेक्शन कमिशन को यह राइट है तो इसी संविधान ने हर भारतीय को भी राइट दिया है। हम उसी राइट का यूज करेंगे.  डिपार्टमेंट अपनी जिम्मेदारी पूरी करें लेकिन मैं अपनी फोर व्हीलर को उन्हे सौंपने से साफ मना कर दूंगा।कार्रवाई का है प्रावधान


इलेक्शन कमिशन से जारी निर्देशों के अकॉर्डिंग डिस्ट्रिक्ट का मण्डलायुक्त डीएम को यह निर्देश देता है। इसके बाद डीएम ऑफिस से जारी निर्देशों के पालन में प्राइवेट वाहनों को विभाग अपने अधिकार में ले सकता है। इलेक्शन के टाइम धारा 144 पहले से अप्लाई रहती है ऐसे में अगर कोई सिटीजन इससे इनकार करता है तो उसके खिलाफ एफआइआर दर्ज करने के प्रावधान है।  डीएम ने पहले ही जारी किया निर्देश बरेली में इलेक्शन 3 मार्च को होना है। ऐसे में डिपार्टमेंट्स पर जल्द से जल्द गाडिय़ों के एरेंजमेंट का बर्डन है। सिटी डीएम ने इलेक्शन में तैयारियों का जायजा लेते हुए यह निर्देश पहले ही जारी कर दिए है कि अगर टाइम रहते कॉमर्शियल गाडिय़ों का अरेंजमेंट न हो सके तो प्राइवेट गाडिय़ों को भी इलेक्शन में लगाया जा सकता है। ऐसे में नॉर्मल सिटीजन की बड़ी गाडिय़ों पर इलेक्शन कमिशन की निगाह टेढ़ी होने के चांसेज बनते नजर आ रहे है।

यह इलेक्शन बोर्ड का जनरल डायरेक्शन है कि अगर हल्के वाहनों की कमी को गवर्नमेंट ऑफिस पूरी न कर पाएं तो प्राइवेट वाहनों को इलेक्शन ड्यूटी पर लगाया जा सकता है। डीएम ऑफिस से फ्यूचर में जो भी डायरेक्शन मिलेगा उसे फॉलो किया जाएगा। -शिवपूजन त्रिपाठी, आरटीओ


यह लोकतंत्र का मजाक उड़ाने जैसा है मेरी मर्जी के बिना मेरी गाड़ी को ड्यूटी में यूज किया जाता है तो मैं तो धरने पर बैठ जाऊंगा। -पवन अग्रवाल, बिजनेस मैन इस बारे में मुझे पता है। यह रूल्स ठीक नहीं है। अगर मुझसे भी ऐसा कहा गया तो परेशानी होना स्वभाविक है। देश में अच्छी सरकार के लिए सेक्रीफाइज करना पड़े तो मैं कर सकता हूं लेकिन यह मेरे लिए दुखदायी होगा।-अंकित, बैंक इंपलॉईReport by: Abhishek Mishra

Posted By: Inextlive