-लैब बनाने के लिए बरेली सहित दिल्ली की कंपनी ने आवेदन किए

-अभी तक एक भी लैब न होने से वाहन ओनर्स को होती है दिक्कत

BAREILLY:

सब कुछ ठीक रहा तो, आने वाले दिनों में सीएनजी सिलेंडर की जांच अब शहर में ही हो सकेगी। फ्यूल टैंक की रीटेस्टिंग के लिए वाहन ओनर्स को अब दूसरे सिटीज की ओर रुख नहीं करना पड़ेगा। क्योंकि, सीयूजीएल शहर में लैब की व्यवस्था की तैयारियों में जुट गया है। इसके लिए निविदाएं मांगी गई हैं। बरेली सहित दूसरे सिटीज की कंपनियों ने लैब बनाने के लिए अपनी इच्छा जतायी है। ऐसे में शहर में लैब बनने की उम्मीद और जग गई है। अभी तक शहर में एक भी लैब नहीं है। जिसके चलते अधिकतर वाहन ओनर्स फ्यूल टैंक की जांच के बिना ही शहर की सड़कों पर फर्राटा भर रहे हैं। जिसकी वजह हादसे का खतरा भी बना रहता है।

फ्यूल टैंक की हो सकेगी जांच

सीयूजीएल निविदाएं मांगे जाने पर अभी तक तीन कंपनियों ने अपनी इच्छा लैब बनाने के लिए जतायी है। इनमें से दो बरेली और एक दिल्ली की कंपनी है। सीयूजीएल से जुड़े अधिकारियों ने बताया कि, बरेली से आदर्श इंजीनियरिंग व वीएन इंडस्ट्रीज और दिल्ली की हाईटेक हाइड्रोटेस्टिंग ने अभी लैब बनाने के लिए आवेदन किया है। आने वाले दिनों में अभी और भी कंपनियों के आवेदन आने की उम्मीद हैं।

परमीशन मिलने भर की देरी

तीनों कंपनियों के आवेदन को सीयूजीएल अधिकारियों ने लैब की परमीशन के लिए मिनिस्ट्री ऑफ पेट्रोलियम एंड नैचुरल गैस को फॉरवर्ड कर दिया है। बस मिनिस्ट्री और चीफ एक्सप्लोसिव कंट्रोलर ऑफिसर से हरी झंडी मिलने भर की देरी है। यदि, परमीशन मिल जाती है तो, बहुत जल्द ही फ्यूल टैंक की जांच के लिए लैब बनाए जाने का काम शुरू हो जाएगा। लैब बनने से एक फायदा यह होगा कि, वाहन ओनर्स को फ्यूल टैंक की रीटेस्टिंग के लिए दिल्ली, आगरा, लखनऊ और कानपुर जैसे शहरों की ओर रुख नहीं करना पड़ेगा। इससे न सिर्फ लोग समय-समय पर फ्यूल टैंक की जांच करवाएंगे। बल्कि, एक्स्ट्रा पैसे भी खर्च नहीं होंगे।

वाहन ओनर्स बरत रहे लापरवाही

शहर में एक भी लैब नहीं होने के चलते अधिकतर वाहन ओनर्स फ्यूल टैंक की रीटेस्टिंग नहीं करा रहे हैं। जबकि, फ्यूल टैंक के रीटेस्टिंग की मियाद खत्म हुए महीनों बीत जाते हैं। जबकि, एक्सप्लोसिव कंट्रोलर ऑफिसर ने बरेली सहित प्रदेश के सभी सीएनजी पंप इंचार्ज को एक निर्देश जारी कर वाहनों में लगे फ्यूल टैंक की रीटेस्टिंग की जांच करें। इसमें पाया गया कि, शहर में सीएनजी से चलने वाले क्0,000 वाहनों में से भ्00 से अधिक वाहन ओनर्स ने फ्यूल टैंक की जांच नहीं कराई है। जबकि, रीटेस्टिंग का समय भी दो से तीन साल तक बीत चुका है। जिन लोगों ने फ्यूल टैंक की रीटेस्टिंग नहीं करायी है उनकी लिस्ट सीयूजीएल इंचार्ज ने आरटीओ विभाग को कार्रवाई हेतु भेज भी दिया गया है। इनमें कार, ऑटो, टेम्पो सहित अन्य सीएनजी युक्त वाहन शाि1मल हैं।

हर तीन साल में जांच जरूरी

रूल्स के मुताबिक अकॉर्डिग हर तीसरे साल सीएनजी सिलेंडर का हाईड्रोटेस्ट होना आवश्यक है। जबकि, बहुत पहले यह समयावधि पांच साल के लिए होती थी। इसका मेन परपज टैंक की स्टे्रंथ को जांचना होता है। क्योंकि समय के साथ टैंक कमजोर पड़ जाता है। ऐसे में जब सीएनजी पंप पर फ्यूल टैंक में भरने के लिए प्रेशर दिया जाता है तो, फ्यूल टैंक गैस का प्रेशर दबाव सह नहीं पाता है। गैस रिसाव के साथ फ्यूल टैंक के फटने का डर बना रहता है। फ्यूल टैंक प्राय: मेटल की बनी होती है। समय के साथ सिलेंडर में क्रोजन हो जाता है। जिसकी वजह से दिक्कत आती है।

लैब बनाए जाने की तैयारी चल रही है। लैब के लिए फिलहाल तीन लोगों ने आवेदन किए हैं। बस परमीशन मिलने भर की देरी है। यदि, लैब खुल जाता है तो, सीएनजी वाहन ओनर्स को दूसरे शहरों पर डिपेंड नहीं रहना पड़ेगा। शहर में ही फ्यूल टैंक की जांच हो सकेगी। समय के साथ पैसे की भी बचत होगी।

मंसूर अली सिद्दीकी, इंचार्ज, सीयूजीएल

Posted By: Inextlive