Bareilly : रोड सेफ्टी वीक के नाम पर आरटीओ डिपार्टमेंट सिर्फ खानापूर्ति करते नजर आ रहा है. सिटी के डिफरेंट एरियाज में कैंप तो अॅार्गनाइज किए जा रहे हैं. मगर इन कैंप्स में हो रही जांच महज दिखावा है. व्हीकल्स को चेक किए बिना ही ओनर को पॉल्यूशन फ्री सर्टिफिकेट दिए जा रहे हैं. बस पैसे दीजिए और सर्टिफिकेट हासिल कर लीजिए. साथ ही वाहनों में मानक से अधिक धुआं निकलता मिल रहा है उनके खिलाफ भी डिपार्टमेंट कोई एक्शन नहीं ले रहा है.


जांच के नाम पर खिलवाड़आरटीओ की तरफ से चल रहे रोड सेफ्टी वीक के तहत लगे कैंप में अब तक करीब 400 वाहनों की जांच की गई है। इनमें से मैक्सिमम लोगों के पास पॉल्यूशन जांच के सर्टिफिकेट ही नहीं थे। जबकि 15 से अधिक व्हीकल्स में मानक से अधिक धुआं निकलता पाया गया। कैंप में टू व्हीलर को 30 रुपए व फोर व्हीलर वाहनों को 40 रुपए में सर्टिफिकेट बनाकर दिए जा रहे हैं। वहीं तीन दिनों तक चले कैंप में कॉमर्शियल वाहनों की चेकिंग तो हुई पर प्राइवेट वाहनों को किसी ने छुआ तक नहीं।कनेक्शन है नहीं, जांच पूरीकैंप में लगाए गए गैस एनालाइजर मशीन को चलाने के लिए कनेक्शन दिए बिना ही वाहनों की जांच जारी है। मशीन के पास बैटरी तो रखी गई है, मगर उसका कनेक्शन गैस एनालाइजर मशीन से किए बिना ही वाहनों की जांच की जा रही है।


ऑफिसर्स की बेतुकी बात

जब इस मामले में ऑफिसर्स से बात की गई तो उनका भी जवाब बेतुका ही रहा। उनका कहना था कि प्राइवेट वाहन ओनर अपने वाहनों की जांच खुद ही करा लेते हैं, लेकिन सच्चाई इससे बिल्कुल इतर नजर आती है। रोड पर दौड़ रही मैक्सिमम प्राइवेट गाडिय़ां स्टैंडर्ड मानक से अधिक धुआं उगलते देखी जा सकती हैं। वहीं एमवी एक्ट के तहत धुआं उगलते वाहनों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का प्रावधान है। स्टैंडर्ड मानक से अधिक धुआं निकलने पर चालान काटा जा सकता है। मगर जांच के दौरान धुआं उगलते पाए गए 15 वाहनों में से एक भी वाहन का चालान नहीं काटा गया।  व्हीकल्स की बढ़ती संख्याएयर पॉल्यूशन बढऩे का मेन रीजन व्हीकल्स की बढ़ती संख्या है। धुआं उगलते वाहनों की संख्या कम नहीं है। आरटीओ में रजिस्टर्ड व्हीकल्स की बात करें तो बाइक, जीप, ऑटो, टैक्टर, ट्रक और बस सहित अन्य वाहनों की संख्या 5 लाख से भी अधिक है। व्हीकल्स द्वारा निकले वाले पॉल्यूशन की जांच के लिए कोई प्रॉपर व्यवस्था नहीं है। इस वजह से सिटी में बढ़ रहे पॉल्यूशन को कंट्रोल करना मुश्किल होता जा रहा है।अवेयनेस के लिए 50 हजारबढ़ते पॉल्यूशन पर कंट्रोल लगाने के उद्ेश्य से गवर्नमेंट की ओर से बाकायदा फंड भी मिलता है। पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड को हर साल करीब 50 हजार फंड मिलता है। जबकि आरटीओ को हर साल करीब 25 हजार रुपए फंड मिलता है, ताकि अवेयनेस प्रोग्राम चलाकर लोगों को जागरूक कर सकें। मगर लापरवाही के चलते एंवॉयरमेंट में पॉल्यूशन का बढऩा जारी है।
'कैंप में कॉमर्शियल वाहनों की प्रॉपर जांच की जा रही है। प्राइवेट व्हीकल ओनर्स अपने वाहन की जांच खुद ही करा लेते हैं। मानक से अधिक धुआं फेंक रहे वाहनों को सही कराने की बात भी कही जा रही है.'आरके वर्मा, एआरटीओ, प्रशासन

Posted By: Inextlive