शहर के पांच फ्लाईओवर में पांच पेंच
- शासन, रक्षा मंत्रालय और विभागों के फेर में फंसा फ्लाईओवर का निर्माण कार्य
BAREILLY: बरेली में विकास के पहिए को रफ्तार देने के लिए तैयार हो रहे पांचों फ्लाईओवर में अड़ंगा लग गया है। दो फ्लाईओवर का निर्माण कार्य जहां अधूरा पड़ा है, तो दो शासन स्तर पर लम्बित हैं। वहीं एक फ्लाईओवर का एस्टीमेट अभी तक तैयार नहीं हो सका है। ऐसे में, जाहिर है कि निर्माण कार्य पूरा करने की जो फाइनल डेट तय की गई है उस डेटलाइन तक फ्लाईओवर का निर्माण कार्य पूरा हो पाना मुश्किल नजर आ रहा है। लालफाटक - फ्लाईओवर - 82.49 करोड़ फ्लाईओवर निर्माण की लागत। - 32.80 करोड़ फ्लाईओवर निर्माण में रेलवे का हिस्सा। - 963 मीटर मीटर फ्लाईओवर की लंबाई। - 15 मीटर फ्लाईओवर की चौड़ाई होगी।- वर्ष 2011 में सेतु निगम ने बनाया प्रस्ताव वर्ष 2012 में स्वीकृति को भेजा। वर्ष 2013 में शासन ने मंजूरी दी।
- वर्ष 2015 में रेलवे से एनओसी मिली।पेंच - सेतु निगम ने शासन से धनराशि न मिलने पर लाल फाटक पर ओवरब्रिज निर्माण कार्य जुलाई 2017 में ही रोक दिया था। शासन ने सेतु निगम को एक करोड़ की टोकन मनी जारी की थी। ये पैसा खर्च होने के बाद प्रथम किस्त न मिलने पर सेतु निगम ने काम बंद कर दिया। किस्त मिलने पर निर्माण कार्य शुरू हुआ तो सेना की तरफ से मामला फंस गया। एक दर्जन लेटर लिखे जाने के बाद भी रक्षा मंत्रालय से एनओसी नहीं मिली है। जबकि, फ्लाईओवर बनाने का लक्ष्य दिसम्बर 2020 है।
किला - नया फ्लाईओवर - फ्लाईओवर का निर्माण खर्च अभी तय नहीं सेतु निगम ने विभागों से एस्टीमेट मांगे हैं। - फिजिबिलिटी सर्वे का काम पूरा हो चुका है। - 850 मीटर फ्लाईओवर की होगी लम्बाई। - 28 पिलर फ्लाईओवर के बनेंगे। - 10 मीटर रेलवे क्रॉसिंग और 5 मीटर दूल्हे मियां की मजार के पास होगी पुल की ऊंचाई। - 30-30 मीटर की दूरी पर बनेंगे पिलर। पेंच - सेतु निगम ने 20 दिन पहले ही फिजिबिलिटी सर्वे कर चुका है। 15 दिन के अंदर बीडीए, रेलवे, जलकल और सीयूजीएल से एस्टीमेट मांगी गई है। जलकल ने 5 लाख रुपए का एस्टीमेट सौंपा है। लेकिन सीयूजीएल ने फ्लाईओवर के निर्माण कार्य में अड़ंगा डाल दिया है। सीयूजीएल का कहना है कि किला पुल से सीएनजी की मेन लाइन जा रही है। ऐसे में लाइन शिफ्ट कर पाना सम्भव नहीं हैं।सेटेलाइट -फ्लाईओवर
- 34.58 करोड़ फ्लाईओवर निर्माण की लागत। - 600 मीटर फ्लाईओवर की होगी लम्बाई। - 8 मीटर होगी जमीन से होगी फ्लाईओर की ऊंचाई। - 7.5 मीटर फ्लाईओवर की चौड़ाई होगी। - जून 2017 में सेतु निगम ने एस्टीमेट तैयार किया। - 6 महीने पहले सेतु निगम ने शासन से अनुमति मांगी है। पेंच - शासन से अभी तक फ्लाईओवर बनाने की अनुमति नहीं मिली है। जबकि, सेतु निगम से सीयूजीएल और अन्य विभागों से एस्टीमेट मांग बजट तैयार कर चुका है। फ्लाईओवर की लम्बाई-चौड़ाई के साथ एस्टीमेट तैयार कर शासन को 6 महीने पहले ही भेज दिया था। लेकिन अभी तक शासन ने फ्लाईओवर के निर्माण कार्य के लिए स्वीकृति नहीं दी है। बजट जारी होने के बाद ही फ्लाईओवर का निर्माण कार्य शुरू हो सकेगा। आईवीआरआई- फ्लाईओवर - 38.23 करोड़ फ्लाईओवर निर्माण की लागत। - 28.85 करोड़ सेतु निगम खर्च करेगा। - 9.38 करोड़ रेलवे का हिस्सा। - 560 मीटर फ्लाईओवर की लंबाई। - दिसम्बर 2016 में रखी गई नींव। - मार्च 2018 निर्माण कार्य पूरा होने का था समय।पेंच - पूर्व सीएम अखिलेश यादव की घोषणा में शामिल आईवीआरआई रोड पर वाई शेप में फ्लाईओवर का निर्माण शासन ने स्वीकृत किया है। किशोर सदन के बराबर दीवार बनाए जाने पर सेंट्रल जेल के जेल अधीक्षक ने निर्माण का काम रोक दिया था। उन्होंने डीआईजी जेल से अनुमति बात कही थी। बीच में निर्माण कार्य प्रभावित होने से मार्च 2018 में फ्लाईओवर का काम पूरा नहीं हो सका। निर्माण की डेट बढ़ा कर दिसम्बर 2018 किया गया है।
चौपुला- फ्लाईओवर - 78.30 करोड़ फ्लाईओवर निर्माण की लागत। - 780 मीटर फ्लाईओवर की होगी लम्बाई। - 280 मीटर का छोटा टू लेन पुल अयूब खां की तरफ होगा फ्लाईओवर। - 84 मीटर छोटा टू लेन पुल बदायूं की तरफ मोड़ने का होना है काम। - 21 पीलर पुलिस लाइंस से मढ़ीनाथ आरओबी तक बनेगा। - 6 मीटर होगी जमीन से होगी फ्लाईओर की ऊंचाई।पेंच - सेतु निगम को चौपुला पुल की नई डिजाइन तैयार करनी पड़ सकती है। क्योंकि, कोर्ट ने पीली कोठी के ध्वस्तीकरण पर रोक लगा दी है। कोर्ट का कहना है कि कोठी पर पीडब्ल्यूडी का मालिकाना हक नहीं है। बता दें कि चौपुला पुल वाईशेप को तोड़ी जानी थी। वाईशेप फ्लाईओवर बनाए जाने को लेकर सेतु निगम शासन डिजाइन और निर्माण कार्य की लागत का एस्टीमेट भी बना कर भेज चुका है। ऐसे में कोर्ट से पीली कोठी तोड़ने पर रोक से सेतु निगम को दोबारा डिजाइन तैयार करनी पड़ सकती है।
इस समय ज्यादातर प्रोजेक्ट किसी न किसी वजह से लटके पड़े हैं। लाल फाटक के लिए रक्षा मंत्रालय से अभी तक एनओसी नहीं मिली है। जबकि, सेटेलाइट, व चौपुला फ्लाईओवर के लिए शासन से अनुमति मिलनी बाकी है। सूरज कुमार गर्ग, प्रोजेक्ट मैनेजर, सेतु निगम