-अकेले रहने वाले बुजुर्ग खाने और इलाज के अभाव में तोड़ रहे दम

-पिछले दिनों बरेली डिस्ट्रिक्ट में इस तरह के 4 मामले आ चुके हैं सामने

अकेले रहने वाले बुजुर्ग खाने और इलाज के अभाव में तोड़ रहे दम

-पिछले दिनों बरेली डिस्ट्रिक्ट में इस तरह के ब् मामले आ चुके हैं सामने

BAREILLY: BAREILLY: माता-पिता जिंदगी भर मेहनत से कमाकर घरबार इसलिए बसाते हैं। ताकि उनकी संतान या कोई अपना जीवन के आखिरी पड़ाव यानि बुढ़ापे में मदद करेगा, लेकिन कई बुजुर्ग ऐसे हैं, जिनकी जिंदगी किसी लाचार से कम नहीं रह जा रही है। वह अकेले पड़ जाते हैं और खुद न तो कुछ कर सकते हैं और न अपने खाने-पीने के सामान से साथ दवा ला सकते हैं। ऐसे में कई बार उनके साथ लूटपाट और मर्डर की भी वारदातें होती हैं। बरेली में पिछले दिनों इस तरह के फ् केस सामने आ चुके हैं, जिनमें अपनों ने उनसे दूरी बना रखी थी। यही नहीं अपनों के साथ-साथ पुलिस ने भी उनसे दूरी बना ली है, जबकि पुलिस को इस तरह अकेले रहने वाले बुजुर्गो पर नजर रखने और उनकी हेल्प करने के निर्देश हैं, लेकिन बरेली पुलिस के पास अकेले रहने वाले सीनियर सिटिजन का कोई रिकॉर्ड ही नहीं है।

केस क्-

चार बेटे फिर भी रहती थीं अकेली

सुभाषनगर थाना अंतर्गत खालसा इंटर कॉलेज के पास ख्9 अगस्त ख्0क्8 को 70 वर्षीय बुजुर्ग शीला विलसन की घर के अंदर लाश मिली थी। शीला विल्सन के पति रेलवे में थे। उनके चार बेटे हैं। जिनमें एक बेटा उसी मकान के दूसरे पोर्शन में रहता था, जिसमें वह रहती थीं। इसके बावजूद उनकी कोई देखरेख नहीं करता था। ब् दिन तक किसी ने उनकी सुध नहीं ली थी, जिसके चलते उनकी मौत हो गई थी। घर के ताले तोड़कर उनके शव को निकाला गया था।

केस ख्-

मजबूरी में रहना पड़ा अकेला

भमोरा के लंगूरा गांव में 9 सितंबर को भी शीला विल्सन की तरह ही 70 वर्षीय रिटायर्ड सैन्यकर्मी पुणेंद्र प्रकाश वर्मा की घर के अंदर संदिग्ध हालात में लाश मिली थी। उनके दो बेटे हैं जो नौकरी के चलते उनसे अलग मुरादाबाद में रहते हैं। उनकी पत्‍‌नी आखिरी समय में उनका सहारा थीं, लेकिन उन्हें भी पैरालाइसिस हो गया तो वह भी बेटे के पास रहने चली गई थीं।

केस फ्-

बीमारी से नहीं लड़ सकीं

कैंट के मदारियों की पुलिया के पास भी 9 सितंबर की सुबह 70 वर्षीय बुजुर्ग हबीबन की लाश मिली थी। हबीबन के कोई संतान नहीं थी। पड़ोस में रहने वाले देवर देखरेख करते थे। उनकी पति की भी मौत हो चुकी थी, जिसकी वजह से वह भी अकेले पड़ गई थीं। सही से देखरेख न होने और बीमारी की वजह से वह जिंदगी से हार गई। जब तक वह जिंदा थीं तब तक किसी ने सुध नहीं लेकिन बाद में प्रॉपर्टी को लेकर हक जताने वाले जरूर आ गए।

पुलिस को यह हैं निर्देश

-पुलिस को अकेले रहने वाले सीनियर सिटिजन का रिकॉर्ड रखना है

-एरिया के बीट कॅान्स्टेबल के पास इसकी जिम्मेदारी होती है।

-बीट कॉन्स्टेबल को सीनियर सिटिजन की फोटो, फोन नंबर व अन्य डिटेल रखनी होती है।

-बीट कॉन्स्टेबल सीनियर सिटिजन को अपना और पुलिस अधिकारियों का नंबर देता है।

-बीट कॉन्स्टेबल सप्ताह या क्भ् दिन में सीनियर सिटीजन के घर जाकर विजिट करेगा।

-जरूरत पड़ने पर वह उन्हें सामान पहुंचाएगा और उन्हें हॉस्पिटल में भी एडमिट कराएगा।

-सीनियर सिटिजन से मिलने कौन-कौन आता है, उन पर भी नजर रखनी है।

-एसपी रैंक के नोडल अधिकारी को समय-समय पर समीक्षा करनी होती है

-जब भी सीनियर सिटिजन के साथ वारदात होती है तो निर्देश कागजों में जारी हो जाते हैं।

Posted By: Inextlive