फ्लैग: रामगंगा आवासीय योजना में मकान लेने के लोग बुन रहे सपने

- बीडीए अफसरों की सुस्ती के कारण हुई फॉर्म की कमी, खरीदने वालों की बढ़ी गिनती

- दो महीने से फॉर्म की किल्लत, घर के लिए बरेलियंस लगा रहे फॉर्म की दौड़

बरेली : रामगंगा आवासीय योजना की लांचिंग के 15 साल बाद बरेली विकास प्राधिकरण यानि बीडीए किसानों की अधिग्रहीत जमीनों के लिए सबसे बड़ा मुआवजा हाल में जारी किया है। 54.99 करोड़ रुपये जारी करते हुए बीडीए उपाध्यक्ष दिव्या मित्तल ने किसानों से अपील की थी कि इस दफा फसल कटने के बाद दोबारा बुआई न की जाए। लेकिन इस मुआवजे की रकम बीडीए ने योजना में बने आवासों से हुई आय से की है। अब चौंकाने वाली बात सामने आई है कि आवास की बिक्री के लिए लोगों के लिए जो फॉर्म बीडीए देता है, उसका टोटा हो गया है। जिस कारण खरीदारों की परेशानी बढ़ गई है।

54 प्लॉट की बुकिंग की तैयारी, लेकिन फॉर्म ही नहीं

रामगंगा आवासीय योजना में चार गांव अहीरोड, चंद्रपुर बिजपुरी, डोहरा और मोहनपुर के 650 गाटे संख्या शामिल हैं। 2005 में भूमि अध्याप्ति अधिकारी ने 228.63 करोड़ रुपये की डिमांड की थी। प्राधिकरण ने कई साल में किस्तों में 174 करोड़ रुपये चुकाए थे। हाल में बीडीए ने सेक्टर तीन, चार, सात और नौ के भूखंडों की बिक्री शुरू की है। 19 फरवरी तक प्राधिकरण ने भूखंडों की बिक्री के जरिए 54.99 करोड़ रुपये की रकम जुटाई है। भूखंडों की नीलामी से पहले बीडीए उत्साहित है। दरअसल 154 फार्म की बिक्री के सापेक्ष 54 लोगों ने भूखंड खरीदने में रुचि दिखाई है। बीडीए मान रहा है कि अभी उसको करीब दस करोड़ रुपये और मिलेंगे। लेकिन फार्म का टोटा होने से बीडीए को राजस्व हानि भी झेलनी पड़ रही है।

ऐसे भरना होता है फार्म

इस योजना में लाभार्थियों को एक प्रोस्पेक्टस दिया जा रहा है, जिसमें आवास का सेक्टर, उसकी लोकेशन होती है। एक फॉर्म भी होता है, जिसमें डिटेल भरनी होती है। इस फार्म की कीमत 250 रुपए होती है।

कब से आ रही दिक्कतें

बीडीए अफसरों के मुताबिक दो माह से फॉर्म की कमी है। कभी-कभी एक साथ कई फॉर्म बिक जाते हैं, लेकिन इसकी संख्या बढ़ानी चाहिए। जिससे लोग न लौटें। इससे बीडीए को ही राजस्व हानि हो रही है।

दो माह से लोगों की रुचि आवास लेने के लिए बढ़ी है। फॉर्म जल्दी बिक जा रहे हैं, इसलिए कमी हो रही है। अब फॉर्म की संख्या बढ़ाई जाएगी।

दिव्या मित्तल, बीडीए वीसी।

Posted By: Inextlive