-पानी में क्लोरीन की मात्रा न के बराबर पायी गई

-स्वास्थ्य के लिए यह पानी हो सकता है हानिकारक

BAREILLY:

सप्लाई का जो पानी आप पी रहे हैं, उसे पीने से पेट जनित तमाम गंभीर बीमारियां हो सकती हैं। जांच में पानी के 70 परसेंट सैंपल फेल होने पर नगर निगम के स्वास्थ्य विभाग ने इस बात की आशंका जाहिर की है। डॉक्टर यहां तक कह रहे है कि इस बात से इनकार नहीं किया सकता है कि दूषित पानी पीकर तमाम लोग बीमारी की चपेट में आ भी गए हों। हैरत की बात यह है कि जलकल के अफसर शुद्ध पानी सप्लाई करने का इंतजाम करने की बजाय रिपोर्ट को ही झुठलाने में दिमाग लगा रहे हैं।

हर महीने 500 सैम्पल लिए जाते हैं

बता दें कि, 32 टैंक के जरिए 70 हजार लोगों के घरों में सप्लाई हो रहे पानी का सैम्पल जलकल विभाग के अलावा स्वास्थ्य विभाग भी ले रहा है। 15-20 सैम्पल रोजाना लिए जाते हैं। महीने में करीब 500 सैम्पल लिए जा रहे हैं। इनमें से 6 सैम्पल लखनऊ लैब जांच के लिए भेजा जाता है। जबकि, बाकी सैम्पल की जांच अधिकारी खुद ही करते हैं। स्वास्थ्य विभाग द्वारा लिए गए सैम्पल में से 70 फीसदी सैम्पल में क्लोरीन नहीं पाया गया। टैंक की प्रॉपर साफ-सफाई और ब्लीचिंग प्रॉपर नहीं डाले जाने से पानी में क्लोरीन ही नहीं है। बिना क्लोरीन वाले पानी की सप्लाई शहर की घनी आबादी वाले क्षेत्र में ही नहीं बल्कि, पॉश कॉलोनियों में भी हो रही है।

इन एरिया के सैम्पल फेल

नगर निगम स्वास्थ्य विभाग की मानें तो दर्जनों एरिया के सैम्पल फेल हुए हैं। इनमें शाहबाद, जिला परिषद, सराय, खिन्नी मस्जिद के पास, सिकलापुर, साहूकारा, इंग्लिशगंज, खन्नू मोहल्ला, छोटी बमनपुरी, वेस्ट एंड कॉलोनी रामपुर रोड, निगम कॉलोनी, माधोबाड़ी, रोहलीटोला, जिला पंचायत, बिहारीपुर ढाल, मलूकपुर, मोहल्ला खत्रीयान, किला सब्जी मंडी, अलखनाथ मंदिर के पास और सिविल लाइंस आदि है, जिसकी रिपोर्ट बनाकर स्वास्थ्य विभाग ने संबंधित अधिकारियों को सौंप दी है।

सैंपल लेट लेने का कुतर्क

जब स्वास्थ्य विभाग ने जलकल विभाग को अपनी रिपोर्ट बनाकर भेजी तो, जलकल विभाग के अधिकारियों ने स्वास्थ्य विभाग के रिपोर्ट को ही झुठला दिया। जलकल विभाग का कहना है कि ओटी टेस्ट पानी सप्लाई के समय ही किया जाता है। लेकिन स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी सुबह 9 बजे के बाद सैम्पल लेते है इसलिए क्लोरीन की मात्रा नहीं मिलती। यदि पानी कुछ समय तक स्टोर रहता है, तो टेस्ट में क्लोरीन की मात्रा नहीं मिलती है, जिससे टेस्ट निगेटिव आता है।

यह होती है प्रॉब्लम्स

फिजिशियन डॉ। सुदीप सरन ने बताया कि पीने के पानी में क्लोरीन की मात्रा नहीं होने से पानी में वायर पैदा हो जाते हैं। वायरस, बैक्टीरिया, फंगस और अमीबा जैसे जर्म पेट के अंदर जाकर तमाम बीमारियों को जन्म देते हैं। जी मिचलाना, पेट में दर्द, दस्त, खाना खाने के बाद टॉयलेट, टॉयलेट के साथ खून आना, भूख न लगना, पाचन तंत्र का खराब होना, विषम परिस्थितियों में पीलिया और टाइफाइड हो सकता है। डाक्टर्स की मानें तो इस समय टाइफाइड के पेशेंट काफी बढ़े हैं।

सैम्पल लिए जाते हैं।

- 15-20 सैम्पल जलकल विभाग प्रतिदिन लेता है।

- जलकल विभाग के अलावा स्वास्थ्य विभाग अलग से पानी का सैम्पल लेता है।

- 6 सैम्पल हर महीने लखनऊ लैब जांच के लिए भेजा जाता है। बाकी

पानी सप्लाई एक नजर

- 32 टैंक से पानी सप्लाई की व्यवस्था है।

- 15 पम्प पर ही क्लोरीन मिलाने वाले डोजर लगे हैं।

- 70 हजार उपभोक्ता जलकल विभाग के शहर में हैं।

- 6 बजे सुबह और शाम 6 बजे पानी होती है सप्लाई।

- पानी सप्लाई के समय ही टैंक में ब्लीचिंग डालने का दावा।

क्लोरीन का काम

- क्लोरीन नहीं होने से पानी में दुर्गध पैदा हो जाती है।

- पानी का पीलापन और मटमैलापन खत्म करता है।

- पानी के अंदर मौजूद विषाणु को पनपने नहीं देता।

शहर में सप्लाई हो रहे पेयजल की जांच की गई है। पानी में क्लोरीन नहीं है। पानी में क्लोरीन न होने से गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ जाता हैं। फिलहाल, रिपोर्ट जलकल विभाग और अधिकारियों को सौंप दी गई है।

डॉ। अशोक कुमार, स्वास्थ्य अधिकारी, नगर निगम

स्वास्थ्य विभाग सुबह 9 बजे के बाद सैम्पल लेता है, जब क्लोरीन नहीं होता और निगेटिव रिपोर्ट बना कर सौंप देता है। पानी सप्लाई के दौरान ब्लीचिंग डाली जाती है।

पीसी आर्य, जेई, जलकल विभाग

Posted By: Inextlive