- डीडीयू के पूर्व वीसी ने फाइल किया नॉमिनेशन

- प्रो। मिश्र के पास नहीं है कोई व्हीकल और ज्वेलरी

GORAKHPUR : गोरखपुर लोकसभा क्षेत्र से आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार प्रोफेसर राधे मोहन मिश्र ने मंडे को अपना नॉमिनेशन फाइल किया। हालांकि उनके नॉमिनेशन में कुछ गलतियां थीं, जिन्हें सुधारने के लिए उन्हें ख्ब् अप्रैल तक का वक्त दिया गया है। वे दोपहर करीब साढ़े क्ख् बजे कलेक्ट्रेट पहुंचे। उनके साथ विजय कुमार त्रिपाठी, हरेंद्र यादव, मोहम्मद मतीन उद्दीन और जर्नादन सिंह मौजूद रहे। पूर्व कुलपति ने एक सेट में पर्चा दाखिल किया।

प्रोफेसर साहब के पर्चे में हो गई चूक

डीडीयू के पूर्व कुलपति, डीडीयू से पीएचडी करने वाले फिजिक्स के प्रोफेसर राधे मोहन मिश्र के नामाकंन में गड़बड़ी देखकर अफसर चौंक गए। गोरखपुर लोकसभा क्षेत्र के रिटर्निग ऑफिसर रविकुमार एनजी ने बताया कि नामाकंन में अटैच फार्म ख्म् में एफडेविट नहीं लगा है। डीएम ने क्0 रुपए के स्टैंप पर नोटरी बनवाकर उसके साथ नो ड्यूज, इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने की कॉपी लगाने को कहा। इसके लिए नामांकन की लॉस्ट डेट यानि ख्ब् अप्रैल की दोपहर तीन बजे तक समय दिया गया है। ऐसा न करने पर प्रोफेसर राधे मोहन मिश्र का नामांकन खारिज हो सकता है। डीएम ने बताया कि इसमें एसेट्स की जानकारी दी जाती है। यह एक बड़ी गलती है।

सीनियर सिटीजन प्रोफेसर से रुठी हैं लक्ष्मी

प्रोफेसर राधे मोहन मिश्र के पास 'लक्ष्मी' नहीं है। नामांकन के दौरान दाखिल ब्यौरे में प्रोफेसर ने बताया कि वह 77 साल के पेंशनर हैं। उनके खिलाफ कोई आपराधिक मामला दर्ज नहीं है। किसी तरह की ज्वेलरी नहीं है। नकदी के रूप में महज क्ख् सौ रुपए, बैंक के दो अलग अलग खातों में क्फ्ख्फ् और भ्भ् सौ रुपए हैं। अंबेडकर नगर स्थित पैतृक गांव में .ब्म् एकड़ भूमि और तारामंडल रोड पर भ्ब् सौ वर्गफुट का मकान है। यह मकान ख्00ख् में खरीदा गया था जिसकी तत्कालीन कीमत नौ लाख भ्7 हजार ख्क्8 रुपए थी। कुल मिलाकर प्रोफेसर के पास एक करोड़ ब्भ् लाख रुपए की प्रॉपर्टी है। प्रोफेसर के पास कोई व्हीकल नहीं है।

भीड़ में खो गए थे प्रस्तावक

प्रोफेसर राधे मोहन मिश्र जब नामांकन करने के लिए पहुंचे तो उनको कचहरी चौराहे पर काफी देर तक खड़ा रहना पड़ा। उनके नामाकंन में गए प्रस्तावक अचानक भीड़ में कहीं खो गए। प्रस्तावकों के न आने पर परेशान समर्थक इधर-उधर फोन करते रहे। प्रोफेसर राधे मोहन मिश्र भी उनको बुलाने के लिए फोन लगाते रहे। उनके इंतजार में पुलिस-प्रशासन के अफसर और कर्मचारी भी राह ताकते रहे। कलेक्ट्रेट गेट पर पहुंचकर प्रस्तावकों ने बताया कि वह लोग भीड़ में फंस गए थे इसलिए विलंब हो गया।

अधिकारियों ने कान लगाकर सुनी शपथ

प्रोफेसर राधे मोहन मिश्र के नामाकंन में खामियां मिलने पर समर्थक भी निराश हो गए। अफसरों ने बताया कि वे गड़बड़ी को सुधार सकते हैं तो उनके चेहरे पर रौनक लौटी। इस दौरान नामांकन के दौरान ली जाने वाले शपथ को पढ़ने में प्रोफेसर की आवाज काफी धीमी रही। रिटर्निग ऑफिसर रवि कुमार एनजी सहित अन्य सहयोगी अफसरों को कान लगाकर प्रोफेसर की आवाज सुननी पड़ी।

Posted By: Inextlive