लखनऊ के एक होटल में आगजनी के बाद गोरखपुर में 5 दिन में फायर सेफ्टी डिपार्टमेंट की ओर से की गई जांच पर एडीजी जोन अखिल कुमार ने सवाल खड़े किए है. एडीजी ने नाराजगी जताते हुए सभी होटल मॉल और कॉम्पलेक्स का पुन: सत्यापन कराने के निर्देश दिए हैं. चर्चा यह है कि होटल मॉल कॉम्पलेक्स नर्सिंग होम को एनओसी तो दे दी गई पर मापदंडों का पालन कराने में फायर सेफ्टी डिपार्टमेंट के अफसर विफल रहे. इसीलिए मॉकड्रिल के दौरान होटल मॉल कॉम्पलेक्स नर्सिंग होम का स्टाफ अक्सर फेल हो जाता है. प्रतिष्ठानों में फायर एक्सपर्ट तक नहीं हैं. ऐसे में यदि गोरखपुर में कहीं भी लखनऊ जैसी घटना हुई तो हालात बेकाबू हो सकते हैं.


गोरखपुर (ब्यूरो).पर्यटन विभाग के रिकॉर्ड में शहर के 500 से अधिक होटल, मॉल, मैरिज हॉल और कॉम्पलेक्स हैं, लेकिन अधिकांश जगहों पर फायर सेफ्टी क्रियाशील नहीं होने की वजह से सुरक्षा मानकों में चूक नजर आती है। अधिकांश होटल का किचन भी भीड़भाड़ के नजदीक रहने और सुरक्षा मानकों से सटीक नहीं होने के कारण हादसे का अंदेशा बना रहता है। हालांकि, फायर सेफ्टी को लेकर मॉकड्रिल भी समय-समय पर होती है, लेकिन छोटे होटलों में ऐसी व्यवस्था नहीं दिखती। इलेक्ट्रिशियन के भरोसे इमारतें अग्निशमन विभाग के पैरामीटर के मुताबिक होटल, मॉल और कॉम्प्लेक्स में फायर सेफ्टी अधिकारी की नियुक्ति होनी चाहिए, लेकिन जांच में कहीं भी फायर सेफ्टी अधिकारी तैनात नहीं हैं। विभाग के अनुसार सभी जगहों पर इलेक्ट्रिशियन के भरोसे भवनों की सुरक्षा है। फायर सेफ्टी के पैरामीटर - भवन के चारों और दमकल वाहनों की आवाजाही के लिए पर्याप्त जगह होनी चाहिए।


- ऐसे भवनों की छत या ग्राउंड फ्लोर पर पानी का पर्याप्त भंडारण हो। - बहुमंजिली इमारतें सड़क से कम से कम 12 मीटर दूर हों। - बहुमंजिली भवनों में आगजनी सुरक्षा अधिकारी की नियुक्ति अनिवार्य है। - इमारत के भूतल का वाहनों की पार्किंग के अलावा अन्य किसी भी उद्देश्य के लिए उपयोग नहीं किया जाना चाहिए।

- आगजनी तथा अन्य आपातकाल के दौरान निकास के लिए कम से कम दो मार्ग होने चाहिए।

Posted By: Inextlive