कोरोना के बढ़ते केसेज के बीच एक बार फिर से एंटी कोविड कोच की जरूरत महसूस की जाने लगी हैै. दरअसल 2020 में कोरोना की फस्र्ट वेव में रेलवे यांत्रिक कारखाना के इंजीनियरों की ओर से तैयार विशेष कोच में यात्रा करने वालों को कोरोना से संक्रमित होने की आशंका कम होने वाला कोच डिजाइन किया था. इस एंटी कोविड कोच के अंदरूनी हिस्से पर टाइटेनियम डाईआक्साइड की कोटिंग कराई गई है. यह केमिकल फोटो एक्टिव है. इस पर लाइट पड़ते ही फोटान एक्टिव हो जाएगा. इंजीनियरों का दावा है कि फोटान कोरोना वायरस के असर को कम कर देगा. अंदरूनी हिस्से पर की गई कोटिंग एक साल तक एक्टिव रहेगी. हालांकि इस कोच का इस्तेमाल तब किया जाएगा जब रेलवे के उच्च अधिकारियों द्वारा इसके इस्तेमाल के लिए हरी झंडी मिल जाएगी.


गोरखपुर (ब्यूरो), बता दें, एंटी कोविड कोच के लिए एलएचबी (लिंके हाफमैन बुश) कोच को लिया गया है। यांत्रिक कारखाना के इंजीनियरों ने 22 दिनों के कठिन परिश्रम के बाद इसे तैयार किया था। कोच के दरवाजों पर लगे हैंडिल, कुंडी आदि ऐसे स्थान जहां यात्रियों का हाथ बार-बार जाता है, उस पर कॉपर की कोटिंग की गई है, ताकि इस पर कोरोना वायरस का प्रभाव न हो। वहीं बेसिन के टैब पर किसी का हाथ गलती से भी न जाए, इसके लिए बेसिन में ऐसे टैब लगाए गए हैं। जिसमें खोलने या बंद करने वाला कोई नॉब नहीं है। बेसिन के ठीक नीचे पैडल लगा है। उसके दबाते ही टैब से पानी गिरने लगेगा। लिक्विड साबुन लेने के लिए भी इसी तकनीक का इस्तेमाल किया गया है।पैर से खुल जाएगा दरवाजा
टॉयलेट के दरवाजे को हाथ से खोलने की जरूरत नहीं होगी। पैर से दबाने पर दरवाजा खुल जाएगा। अंदर फ्लश से लेकर बेसिन तक सब कुछ पैडल से संचालित है। फ्लश भी पैर से दबाना होगा। बाहर निकलते समय दरवाजे को पैर से दबाना होगा। बाहर आने के बाद दरवाजा अपने आप बंद हो जाएगा।


एंटी कोविड कोच बनाया गया है। इसका ट्रायल हो चुका है। इसकी खासियत है कि बेसिन, फ्लश को चलाने के लिए हाथ की जरूरत नहीं पड़ेगी। सबकुछ पैर से ही ऑपरेट हो जाएगा।पंकज कुमार सिंह, सीपीआरओ एनईआर

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