GORAKHPUR : इंटरमीडिएट पास करने के बाद कुछ स्टूडेंट्स को न चाहते हुए भी टेक्निकल पढ़ाई करनी पड़ती है. इंटरमीडिएट में फॉर्मली पढ़ाई करने के बाद स्टूडेंट्स जब इंजीनियरिंग में पहला कदम रखते हैं तो सिलेबस देखते ही होश फाख्ता हो जाता है. समझ में नहीं आता कि क्या करें क्या न करें? मगर अब ऐसा नहीं होगा. सिटी के बुद्धा इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी ने इस परमानेंट प्रॉब्लम को दूर करने के लिए एक प्रोपोजल तैयार किया है जिससे स्टूडेंट्स को इंटरमीडिएट लेवल पर ही इंजीनियरिंग की इतनी जानकारी हो जाएगी जिससे कि उन्हें आगे प्रॉब्लम फेस नहीं करनी पड़ेगी.


बडिंग इंजीनियर्स टीचर्स को देंगे बेसिक ट्रेनिंगबीआईटी के एडमिनिस्ट्रेटिव ऑफिसर दीपक अग्रवाल ने बताया कि इस प्रॉब्लम से निपटने के लिए इंजीनियरिंग की इनिशियल क्लासेज में स्टूडेंट्स को पढ़ाई जाने वाली बेसिक्स इंटरमीडिएट कॉलेज के टीचर्स को भी दी जाएगी। इसके लिए बडिंग इंजीनियर्स फस्र्ट फेज में उन टीचर्स और प्रिंसिपल्स को ट्रेनिंग देंगे, जिससे कि उनको पता चल सके कि स्टूडेंट्स को इंजीनियरिंग करने के लिए क्या बेसिक इंफॉर्मेशन चाहिए। दोनों को ही मिलेगा फायदाबीआईटी की इस पहल से न सिर्फ इंटरमीडिएट के स्टूडेंट्स को बल्कि बडिंग इंजीनियर्स को भी काफी फायदा होगा। एक तरफ जहां इंटरमीडिएट के बाद इंजीनियरिंग की चाह रखने वाले स्टूडेंट्स के आगे की राह आसान हो जाएगी, वहीं दूसरी ओर बडिंग इंजीनियर्स के भी सिलेबस का रीविजन हो जाएगा।टीचर्स की करेंगे हेल्प
इंजीनियरिंग लेवल की गाइडेंस देने वाले टीचर्स को अगर इसमें कोई प्रॉब्लम आती है तो इसके लिए भी बडिंग इंजीनियर्स हेल्प करेंगे। वह टीचर्स को थ्योरेटिकली और प्रैक्टिकली दोनों ही तरह से हेल्प करेंगे, जिससे कि इंजीनियरिंग की चाह रखने वाले स्टूडेंट्स को कोई दिक्कत न आए। दीपक अग्रवाल ने बताया कि ऐसा इसलिए किया गया है क्योंकि टेक्नोलॉजी का जमाना है और देश को आगे बढ़ाना है तो टेक्नोलॉजी में एडवांसमेंट भी जरूरी है, मगर जब बेसिक्स ही कमजोर होगी तो इस टेक्नोलॉजिकल एरा में सर्वाइव करना काफी मुश्किल हो जाएगा।

Posted By: Inextlive