सावधान बच्चे कहीं अलग दुनिया तो नहीं बना रहे. ऐसा हम नहीं काउंसलर के पास आ रहे केस बयां कर रहे हैं. जुबिली इंटर कॉलेज स्थित मनोवैज्ञानिक सेंटर के एक्सपर्ट की मानें तो वर्तमान समय में काफी बच्चों में अकेलापन समाज से कटे रहना और हमेशा ये सोचना कि मेरे साथ परिवार और सोसायटी गलत बिहैव कर रही है इस तरह के लक्षण देखने को मिल रहे हैं.


गोरखपुर (ब्यूरो)। एक्सपर्ट का कहना है कि समय रहते इसपर ध्यान नहीं दिया गया तो बच्चे गंभीर बीमारी की चपेट में कोई खतरनाक कदम उठा सकते हैं। अमेरिका में हुई घटना पर आज हर देश गमगीन है, वहां पर भी एक 18 साल के युवा द्वारा किया गया दुस्साहस देखकर हर कोई हैरान है। पेरेंट्स भी कर रहे लापरवाहीएक्सपर्ट की मानें तो बहुत से मामले आते हैं, जिनमें पेरेंट््स की लापरवाही से बच्चे गलत रास्ते पर निकल जाते हैं। उन्होंने बताया कि बच्चे मौन बनकर घर के अंदर बैठा रहता है और पेरेंट््स ये सोचते हैं मेरा बच्चा तो घर के अंदर ही रहता है और बहुत सीधा है। लेकिन बच्चा अगर समाज से कट रहा है तो उसके अंदर कुछ कमजोरी है, जिससे वो समाज से आंखे चुरा रहा है। बात-बात में गुस्सा जाता है बच्चा
ऐसा ही एक केस कांउसिंलिंग के लिए आया था, 11 वीं का बच्चा बात-बात में गुस्सा कर रहा था। उसे लगता था कि सभी लोग उसके साथ गलत व्यवहार करते हैं, उसे कोई नहीं समझता है। उन्होंने बताया कि बच्चों के अंदर हाइपर होकर बिहैव करने की प्रॉब्लम के साथ ही उनके अंदर सेक्सुअल, पर्सनैलिटी और एंटी सोशल डिशऑर्डर का कॉम्बीनेशन भी डेवलप हो रहा है।


वीडियो गेम भी बना रहा बीमार

एक्सपर्ट ने बताया कि बच्चों के समाज से कटने का एक बहुत बड़ा कारण वीडियो गेम में बिजी रहना भी है। मोबाइल में एक से बढ़कर एक गेम बच्चे देखकर उनके जैसा ही बिहैव करना चाहते हैं। एक्सपर्ट ने बताया कि मेरा पास एक बच्चा काउंसिलिंग के लिए आया। उस बच्चे को मोबाइल गेम खेलते समय बीच में डिस्टर्ब करने पर वो गुस्से से तमतमा जाता था। कभी-कभी तो वो हमला भी कर देता था। समय पर उसकी काउंसिलिंग हुई, तो उसके अंदर धीरे-धीरे सुधार होने लगा।प्रो। अनुभुति दूबे ने बताई सावधानियां- पेरेंट््स को बच्चों की एक्टिवीटि पर ध्यान देना चाहिए।- बच्चे को डोमिनेट नहीं करना चाहिए।- सबके बीच में बच्चे को डांटना नहीं चाहिए। - बच्चा अगर उदास और अकेला रहता है तो उसकी काउंसिलिंग करानी चाहिए।अकेले रहने वाले बच्चे अपनी अलग दुनिया बनाने लगते हैं, उनका समय रहते काउंसिलिंग कराना चाहिए। ताकि उन्हें समझाया जा सके उनकी असली दुनिया क्या है।सीमा श्रीवास्तव, एक्सपर्ट, मनोवैज्ञानिकबच्चे अकेलापन के शिकार हो रहे हैं, इसके कई कारण हैं। काउंसिलंग के बाद ही ये पता चलता है कि क्या प्रॉब्लम है। पेरेंट्स को बच्चों को समझना होगा और उन्हें अधिक टाइम देना ही होगा।
प्रो। अनुभुति दूबे, विभागाध्यक्ष, डीडीयू मनोवैज्ञानिक

Posted By: Inextlive