वीडियो सिनेमा की ओर से जीवन के अनुभवों सच्चाई आदि को समझ सकते हैं. समाज शास्त्रीय परिप्रेक्ष्य में हिंदी सिनेमा के अध्ययन से कई गंभीर सामाजिक समस्याओं को समझने में मदद मिलती है. सिनेमा समाज का दर्पण है. सिनेमा वर्तमान ही नही अपितु भविष्य की चुनौतियों को भी प्रस्तुत करने वाली होनी चाहिए.


गोरखपुर (ब्यूरो)। यह बातें गोरखपुर यूनिवर्सिटी के यूजीसी एचआरडीसी की ओर से आयोजित ऑनलाइन गुरु दक्षता प्रोग्राम के तीसरे सत्र में बाबा साहब भीम राव अम्बेडकर सेंट्रल यूनिवर्सिटी लखनऊ के स्कूल ऑफ मीडिया एंड मास कम्युनिकेशन के डीन प्रो। गोविंद पांडेय ने अंडर स्टैंडिंग रिसर्च टेक्निक विषय पर शोधपूर्ण व्याख्यान में कही। बच्चों की प्रताडऩा महामारीप्रोग्राम के प्रथम सत्र में गोरखपुर यूनिवर्सिटी की मनोविज्ञान की पूर्व अध्यक्ष प्रोफेसर सुषमा पांडेय ने अंडरस्टैंडिंग चाइल्ड एब्यूज साइकोसोशल कंसेंसस विषय पर ऑनलाइन व्याख्यान को संबोधित करते हुए कहा कि, बच्चों की प्रताडऩा आज एक अंतरराष्ट्रीय महामारी का रूप लेकर अंतराष्ट्रीय समस्या बन चुकी है। इसके समाधान के लिए शोध और अनुसंधान का माध्यम से रास्ता निकालना चाहिए। महान व्यक्ति समाज के लिए आदर्शप्रोग्राम के दूसरे सत्र में महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी यूनिवर्सिटी वर्धा के साहित्य विद्यापीठ के डीन प्रो। अवधेश कुमार ने व्यक्तित्व विकास एवं श्रेष्ठ जीवन पद्धति निर्माण विषय
पर उद्बोधन देते हुए कहा, महान व्यक्तित्व हमेशा समाज के लिए आदर्श होते हैं। शिक्षक के लिए यही आदर्श व्यक्तित्व का मानक होने चाहिए। शिक्षक समाज का पथ प्रदर्शक होता है और विद्यार्थी गढऩे का मूल साधक शिक्षक ही होता है। अतिथियों का स्वागत कोर्स समन्वयक प्रो। अजय कुमार शुक्ला किया। प्रोग्राम में एचआरडी सेंटर के डायरेक्टर प्रो।


रजनीकांत पाण्डेय, कोऑर्डिनेटर डॉ। मनीष पांडेय, डॉ। तनु श्रीवास्तव, डॉ। अकील अहमद, डॉ। सत्यनारायण तिवारी, शोभा प्रजापति, डॉ। अविनाश प्रताप सिंह, डॉ। शालिनी धुसिया ने प्रमुख भूमिका निर्वहन किया।

Posted By: Inextlive