- पिछड़े क्षेत्रों में खोले जाएंगे 11 नए डिग्री कॉलेज, स्टेट यूनिवर्सिटीज में स्थापित होगा रिसर्च सेंटर

GORAKHPUR: उत्तर प्रदेश में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए सरकार विभिन्न स्टेट यूनिवर्सिटीज में रिसर्च सेंटर स्थापित कर रही है। उत्तर प्रदेश की सरकार पिछड़े क्षेत्रों में ग्यारह सरकारी डिग्री कॉलेज खोलने जा रही है। उन्होंने ऑनलाइन शिक्षण को बढ़ावा देने के लिए डिजिटल लाइब्रेरी खोलने पर भी ध्यान दिया और कहा कि ई-लर्निग पार्क की स्थापना होगी, जो पीपीपी मॉडल पर आधारित होगी। यह बातें अतिरिक्त मुख्य सचिव उच्च शिक्षा मोनिका एस गर्ग ने कही। वह गोरखपुर यूनिवर्सिटी में ऑर्गनाइज नेशनल वेबीनार व संगोष्ठी के तीसरे दिन सातवें सत्र को संबोधित कर रही थी। इस दौरान सामाजिक क्षेत्र के अंतर्गत कुल 3 टेक्निकल सेशन में माध्यमिक और उच्च शिक्षा, अनुसंधान और विकास संस्थान, तकनीकी शिक्षा व स्वैच्छिक प्रयास, स्वयं सहायता समूह, गैर सरकारी संगठन इत्यादि विषयों पर विचार विमर्श किया गया।

शिक्षक-छात्र अनुपात पर हो रहा काम

मोनिका गर्ग ने कहा कि पूर्वांचल में सकल नामांकन दर 20 प्रतिशत है जिसे रणनीतिक रूप से बढ़ाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में आठ पिछड़े जिले हैं और उनमें से पांच पूर्वांचल में आए हैं। उन्होंने कहा कि कौशल विकास के लिए सभी तकनीकी संस्थान एमएसएमई विभाग के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करेंगे। उच्च शिक्षा निदेशक डॉ। अमित भारद्वाज ने भारत में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को लागू करने पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि शिक्षा राष्ट्र निर्माण के लिए समाज का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। उन्होंने यह भी बताया कि पूर्वांचल क्षेत्र में शिक्षक छात्र अनुपात बहुत कम है और उत्तर प्रदेश सरकार इस स्थिति पर गंभीरता से काम कर रही है। राजनीति शास्त्र विभाग के एचओडी प्रो। गोपाल प्रसाद ने कहा कि व्याख्यान पूर्वांचल में सतत विकास लक्ष्यों के संदर्भ में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की स्थिति और अवसरों पर केंद्रित था। उन्होंने सतत विकास लक्ष्य योजना के तहत सभी के लिए शिक्षा के लिए शोध किया। ग्रामीण और दूरस्थ क्षेत्रों से संबंधित छात्रों की बेहतरी के लिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, गुणवत्तापूर्ण शिक्षण, मुहल्ला पाठशाला, सामुदायिक पुस्तकालय पर चर्चा की।

उच्च शिक्षा में गिरावट, मंथन जरूरी

आठवें टेक्निकल सेशन की अध्यक्षता करते हुए एमएमएमयूटी के पूर्व वीसी प्रो। श्रीनिवास सिंह ने कहा कि हमारी अर्थव्यवस्था कृषि पर आधारित है और हमें टिकाऊ कृषि की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि उच्च शिक्षा में एक उच्च गिरावट है, जिसे गंभीरता से लेने की आवश्यकता है। नौकरी चाहने वाले होने के बावजूद हमें नौकरी सृजक बनना चाहिए। उन्होंने बेरोजगारी और प्लेसमेंट चुनौतियों से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर भी चर्चा की। उन्होंने कहा कि हमें महत्वपूर्ण सोच क्षमता पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए और आउट ऑफ बॉक्स सोच विकसित करनी चाहिए। उनके विचारों में, समय-प्रबंधन, अनुशासन, कड़ी मेहनत और समर्पण किसी भी लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए प्राथमिक साधन हैं। आरएमएलएयू के डॉ। एनके चौधरी ने कहा कि नियोक्ता और श्रमिकों की मांग को ध्यान में रखा जाना चाहिए। उन्होंने नौकरी के अवसरों के लिए तकनीकी क्षेत्र में युवाओं की अपर्याप्त योग्यता जैसी समस्या की ओर ध्यान दिलाया। सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज आजमगढ़ के निदेशक प्रो। सत्य प्रकाश पांडेय, सीनियर साइंटिस्ट सीएसआईआर डॉ। जयती त्रिवेदी ने अपनी बातें रखीं।

Posted By: Inextlive