इसे ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट की अनदेखी कहें या साठगांठ. गोरखपुर में पीयूसी सर्टिफिकेट के नाम पर बड़ा फर्जीवाड़ा हो रहा है. प्रदूषण जांच केंद्र तक वाहन लाए बगैर पॉल्युशन सर्टिफिकेट बनाए जा रहे हैं. बुधवार को इस फर्जीवाड़े का भण्डाफोड़ आरटीओ के वाहन से ही हो गया.


गोरखपुर (ब्यूरो)। बुधवार को दोपहर 1.39 बजे आरटीओ कार्यालय में आरटीओ प्रशासन की गाड़ी (यूपी53डीएस2793) खड़ी थी। उरुवा स्थित अंकित प्रदूषण जांच सेंटर संचालक ने वाहन की फोटो मंगाई और कुछ देर में प्रदूषण प्रमाणपत्र जारी भी हो गया। जबकि गाड़ी सेंटर तक जांच के लिए पहुंची ही नहीं थी। यह एक ही सेंटर का मामला नहीं है। ऐसे कई और पीयूसी सेंटर है, जहां यह खेल धड़ल्ले से चल रहा है। ऐसे खुली पोल


लंबे समय से पीयूसी सेंटर से वाहनों का भौतिक सत्यापन किए बगैर फर्जी पीयूसी (पॉल्युशन अंडर कंट्रोल सर्टिफिकेट) बनाने की सूचना आ रही थी। शासन ने टू व्हीलर की फीस 55 रुपए और फोर व्हीलर की फीस 100 रुपए निर्धारित की है, लेकिन सड़क किनारे पीयूसी सेंटर्स के वाहन 200 रुपए में पीयूसी सर्टिफिकेट बना रहे हैं। उरुवा स्थित पीयूसी सेंटर के संचालक ने 130 रुपए लेकर वाहन की जांच किए बिना पीयूसी जारी कर दिया। जांच के लिए वाहन जरूरी

प्रदूषण नियंत्रण प्रमाणपत्र बनाते समय वाहन का मौका पर होना जरूरी है। वाहनों के प्रदूषण की जांच की प्रक्रिया सोसायटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैनुफैक्चरर्स द्वारा विकसित की गई है। प्रदूषण की जांच को गैस एनालाइजर के एक ऐसे कंप्यूटर से जोड़ा जाता है, जिसमें कैमरा और प्रिंटर भी जुड़ा हो। यह गैस एनालाइजर गाड़ी से निकलने वाले प्रदूषण के आंकड़ों की जांच करता है। इसे कंप्यूटर को भेजता है। जबकि कैमरा गाड़ी के लाइसेंस प्लेट की फोटो लेता है। कार्बन मोनो आक्साइड, हाइड्रो कार्बन आदि गैसों की जांच होती है। अगर गाड़ी से निश्चित दायरे के अंदर प्रदूषण निकल रहा है तो पीयूसी सर्टिफिकेट जारी कर दिया जाता है। यदि मानकों से अधिक प्रदूषण निकल रहा है तो सर्टिफिकेट जारी नहीं होगा। क्या है पीयूसी प्रदूषण की जांच के बाद ही किसी गाड़ी का पीयूसी (पॉल्युशन अंडर कंट्रोल सर्टिफिकेट) जारी किया जाता है। यह सर्टिफिकेट 6 माह के लिए मान्य होता है। बीएस-4 गाडिय़ों के लिए समय सीमा एक साल की होती है। पीयूसी न होने पर 10 हजार जुर्माना अगर आपकी गाड़ी के पीयूसी की समय सीमा खत्म हो चुकी है। चेकिंग में पकड़े जाते हैं तो 10 हजार रुपए का जुर्माना भरना पड़ सकता है। नया कानून लागू होने से पहले जुर्माने की राशि पहली बार गलती के लिए एक हजार और इसके बाद दो हजार रुपए जुर्माना लिया जाता है। फैक्ट एंड फीगर गोरखपुर जिले में 63 प्रदूषण जांच सेंटर टू व्हीलर की फीस 55 रुपए और फोर व्हीलर की फीस 100 रुपए निर्धारित है

पीयूसी लेने की प्रॉसेस -अपने वाहन टू व्हीलर व फोर व्हीलर को निकटतम पीयूसी सेंटर पर ले जाएं।- पीयूसी सेंटर संचालक आपके वाहन से निकलने वाले उत्सर्जन को टेस्ट करेंगे।- ऑपरेटर उत्सर्जन रीडिंग के साथ पीयूसी प्रमाणपत्र तैयार करेगा।- शुल्क का पेमेंट करें और प्रदूषण प्रमाण पत्र प्राप्त करें। - नए वाहन का एक साल और पुराने वाहन का छह महीने के लिए प्रदूषण प्रमाण पत्र जारी होता है। कहां-कहां हैं सेंटर ट्रासंपोर्ट नगर गीडा उरुवासोनबरसा सिविल लाइंस तारामंडल अशोक नगर बशारतपुर हरैया नौसढ़ सदर गोरखपुर महादेव झारखंडी भीटीरावत न्यू शिवपुर कॉलोनी मिर्जापुर कालेपुर कुसम्ही बाजार सोनौली रोड मानीराम सहजनवां पीयूसी सेंटर वाले बिना प्रदूषण जांच के वाहनों का प्रमाण पत्र जारी कर रहे हैं तो यह गंभीर मामला है। मामले की जांच करवाकर सेंटर्स के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। संजय कुमार झा, आरटीओ प्रवर्तन

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