आपके बच्चे को स्कूल में केवल शिक्षा ही नहीं बल्कि इसके अलावा भी कई इंपॉटेंट बातें सीखने को मिलती हैं. स्कूल में डिसिप्लीन बोलने और बात करने का तरीका सिखाने के साथ्ज्ञ ही अच्छे संस्कार भी दिए जाते हैं. साथ ही उनकी पर्सनॉलिटी भी यहां डेवलप होती है. किसी भी हाल में 11वीं व 12वीं में बच्चों का नाम मत कटवाइएगा.


गोरखपुर (ब्यूरो)। यह निर्णय उसके भविष्य पर असर डालेगा। सीआईएससीई स्कूलों में हर साल सीनियर क्लासेज यानी 11, 12वीं में स्टूडेंट की संख्या घट रही है, इसको देखते हुए स्कूलों में मीटिंग के दौरान टीचर्स पैरेंट्स को इस तरह से अवेयर कर रहे हैं।प्राइमरी और जूनियर में खूब एडमिशनये बता दें कि सीआईएससीई स्कूलों में प्राइमरी और जूनियर क्लासेज में एडमिशन के लिए होड़ मची रहती है। बहुत से स्कूलों में नए सेशन की शुरुआत से पहले सीटें भी फुल हो जाती हैं। वहीं इंटर की बात करें तो पिछले साल करीब 2 हजार बच्चों ने बोर्ड एग्जाम दिया था। वहीं साल 2024 बोर्ड एग्जाम में इंटर के स्टूडेंट की संख्या घटकर 1393 हो गई है।सीनियर स्टूडेंट इसलिए छोड़ रहे स्कूल
स्कूलों के टीचर्स की मानें तो 11वीं और 12वीं में स्टूडेंट की घटती संख्या की वजह नॉन स्कूलिंग प्रचलन का तेजी से बढऩा है। पैरेंट्स हाईस्कूल में बच्चों के अच्छे नंबर देख इतराने लग रहे हैं। उन्हें कम उम्र में ही जेईई, नीट जैसे कॉम्प्टीशन बीट कराकर इंजीनियर, डॉक्टर बनाने का सपना देखने लग रहे हैं। नॉन स्कूलिंग को लेकर सीआईएससीई में रूल बहुत सख्त है, इसलिए सीनियर क्लासेज में जाते ही स्टूडेंट किसी दूर दराज के सीबीएसई स्कूल में बोर्ड एग्जाम देने के लिए एडमिशन ले रहे हैं। लेकिन स्कूल वह नहीं जाते हैं। दिन भर अपना समय कोचिंग और तैयारी में दे रहे हैं। यही वजह है कि सीबीएसई स्कूलों की संख्या तो बढ़ रही है, लेकिन सीआईएससीई स्कूल की संख्या केवल 19 रह गई है।पहले अच्छे परसेंट पर मिलता था मनचाहा स्ट्रीमआईसीएससीई स्कूलों में पहले मैथ्स, साइंस, बायो, आर्ट, कॉमर्स स्ट्रीम होता था। जो बच्चा अधिक नंबर लाता था उसे ही मैथ्स या साइंस सब्जेक्ट से पढऩे का अवसर दिया जाता था, लेकिन बच्चे कम होने के साथ ही यह प्रचलन अब स्कूलों से खत्म होता जा रहा है। सीबीएसई स्कूल - 125आईसीएससीई स्कूल - 19पैरेंट्स को यह समझना होगा कि स्कूल की शिक्षा कहीं और नहीं मिल सकती है। स्कूल की शिक्षा बच्चों को पूरी करने तक जरा भी डिस्टर्ब नहीं करना चाहिए। यह निर्णय बच्चों के भविष्य पर असर डालता है।गिरिश चंद्रा, डायरेक्टर, सेंट पॉल स्कूलगार्जियन का रूझान बड़ी तेजी से नॉन स्कूलिंग की तरफ बढ़ा है। वह बच्चों को हाई स्कूल के बाद ही डॉक्टर, इंजीनियर बना देना चाह रहे हैं। वह बच्चों को कोचिंग पढ़ाने के चक्कर में स्कूल से दूर कर दे रहे हैं।फादर जोश जॉर्ज, फादर, लिटिल फ्लावर स्कूल


आईसीएससीई में साइंस स्ट्रीम बच्चे तेजी से घट रहे हैं। जिसका मेन कारण बच्चों का कोचिंग की तरफ रूझान है। बच्चों की काउंसलिंग कराई जाती है और पैरेंट्स को भी अवेयर किया जाता है। अजय शाही, डायरेक्टर, आरपीएम एकेडमीइधर कुछ वर्षों में यह देखने को मिला है कि सीनियर क्लासेज में बच्चों की संख्या घट रही है। हाई स्कूल तक तो बच्चों की भरमार रहती है। नॉन स्कूलिंग प्रथा के जरिए बच्चों के दिमाग पर बोझ लादा जा रहा है। राजीव गुप्ता, डायरेक्टर, स्टेपिंग स्टोन इंटर कॉलेज

Posted By: Inextlive