जिसका डर था आखिर वही हुआ. डेंगू के डंक की वजह से 117 लोग डेंगू की चपेट में आ गए. मच्छरों के बढ़ते प्रकोप की वजह सरकारी मशीनरी का सुस्त होना और संसाधनों का अभाव है. शहर में फॉगिंग और एंटी लार्वा के छिड़काव के दम पर 70 वार्डो में मच्छरों के खात्मे के दावे किए जा रहे हैं. सच तो यह है कि कई एरिया में फॉगिंग के नाम पर कागजी खानापूर्ति की जा रही है. 249 वर्ग किलोमीटर में फैले शहर में डेली अधिकतम 20 किलोमीटर के दायरे मेें फॉगिंग हो रही है. यह फॉगिंग भी दिखावे वाली ही है क्योंकि धुआं से मच्छर तो मरते नहीं एक जगह से दूसरी जगह चले जाते हैं. कई बार तो एंटी लार्वा ही खत्म हो जाता है.


गोरखपुर (ब्यूरो).एडीज मच्छरों पर काबू पाने के लिए नगर निगम अभियान चला रहा है, लेकिन इसका कोई असर नहीं दिख रहा है। दैनिक जागरण आईनेक्स्ट ने शुक्रवार को शहर में फॉगिंग और एंटी लार्वा के छिड़काव की व्यवस्था की पड़ताल की तो हैरान करने वाली स्थिति मिली। 4 में दो बड़ी मशीनें कबाड़ शहर के ज्यादा हिस्सों में फॉगिंग करने के लिए नगर निगम ने लाखों रुपए की लागत से चार बड़ी मशीनों की खरीदारी की थी। इन मशीनों से रोजाना पांच किलोमीटर से ज्यादा भाग में फॉगिंग का दावा किया जाता था। अब इनमें से दो मशीनें कबाड़ हो चुकी हैं। शेष दो में से एक मशीन ही डेली एरिया में भेजी जाती है। दूसरी मशीन के लिए तेल और दवा नहीं मिल पाती है। 30 में से 28 साइकिल मशीन कर रहीं काम


वर्तमान में शहर में 70 वार्ड हैं। हर वार्ड कई किलोमीटर क्षेत्रफल में फैला है। यानी एक वार्ड के लिए ही 10 से ज्यादा साइकिल वाली फॉगिंग मशीन होनी चाहिए, पर हैं पूरे शहर के लिए सिर्फ 30. इनमें भी दो खराब हैं। यानी 28 मशीन से पूरे शहर में फॉगिंग का दावा किया जा रहा है। 500 मीटर हीं चलती है साइकिल

नगर निगम के स्टोर में रखी साइकिल वाली फॉगिंग मशीन स्टार्ट होने के बाद आधे घंटे तक चलती हैं। इसे आधे घंटे में कर्मचारी बहुत ज्यादा 500 मीटर चलते हैं। मशीन बंद होने के बाद दोबारा फॉगिंग की कोई व्यवस्था नहीं की जाती है। कर्मचारी साइकिल लेकर घर चले जाते हैं। बड़ी मशीन भी 45 मिनट चलती है। यानी यह भी पांच किलोमीटर से ज्यादा नहीं जा पाती है। फैक्ट फाइल 4 बड़ी फॉगिंग मशीनें 70 वार्डों के लिए नगर निगम के पास 2 बड़ी फॉगिंग मशीनें खराब हैं 30 साइकिल फॉगिंग मशीनें हैं 2 साइकिल फॉगिंग मशीनें खराब हैं साइकिल फॉगिंग मशीन साइकिल फॉगिंग मशीन को डेली 5 लीटर डीजल, 1 लीटर पेट्रोल, 25 मिलीलीटर दवा मिलती है, लेकिन क्षेत्र अधिक होने के कारण यह सब पहले ही खत्म हो जाता है। बड़ी फॉगिंग मशीन बड़ी फॉगिंग मशीन को डेली 50 लीटर डीजल, 7 लीटर पेट्रोल और 750 मिलीलीटर दवा मिलती है, लेकिन क्षेत्र अधिक होने के कारण यह सब पहले ही खत्म हो जाता है। छिड़काव में खानापूर्ति

मलेरिया विभाग नगर निगम को डेली लिस्ट देती है कि किन इलाके में छिड़काव करना है। नगर निगम नालियों में एंटी लार्वा का छिड़काव करता है। जबकि एंटी लार्वा का छिड़काव सूर्योदय से पहले हो जाना चाहिए। लेकिन ऐसा नहीं होता है। खानापूर्ति करने के लिए दिन में छिड़काव कराया जाता है। उस समय लोगों के घरों से पानी निकलता रहता है, इस कारण दवा का कोई असर लार्वा पर नहीं होता है। शहर में फॉगिंग कराई जा रही है। कुछ रोज पहले बैठक में सभी जोनल अफसरों को छिड़काव के लिए किंगफाग दवा दी गई है। यदि फॉगिंग और छिड़काव नहीं हो रहा है तो इसके जिम्मेदार जोनल अफसर माने जाएंगे। जांच कराकर कार्रवाई की जाएगी। अविनाश सिंह, नगर आयुक्त

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