गोरखपुर (ब्यूरो)।हालत यह है कि नगर निगम के कंट्रोल रूम में रोजाना साफ-सफाई की काफी संख्या में शिकायतें आ रही हैं। पिछले तीन दिन में 30 से ऊपर शिकायतें पहुंच चुकी हैं। इसमें से कुछ का तो निस्तारण हुआ है, लेकिन ज्यादातर लोगों का कहना है कि फॉगिंग को लेकर नगर निगम कभी संजीदा नहीं रहा। मच्छरों से लोग खुद ही बचाव करते हैं। नगर निगम के भरोसे रहे तो वह डेंगू, मलेरिया के चपेट में आ जाएंगे।

साइकिल से 500 मीटर फॉगिंग

नगर निगम की साइकिल वाली फॉगिंग मशीन स्टार्ट होने के बाद आधे घंटे तक चलती है। इस आधे घंटे में कर्मचारी अधिक से अधिक 500 मीटर ही चल पाते हैं। मशीन बंद होने के बाद दोबारा फॉगिंग की कोई व्यवस्था नहीं की जाती है और कर्मचारी घर चले जाते हैं। जबकि बड़ी मशीन 45 मिनट चलती है। यह भी पांच किलोमीटर से ज्यादा नहीं चल पाती है।

चार में तीन बड़ी फॉगिंग मशीन खराब

शहर में फॉगिंग का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि चार बड़ी फॉगिंग मशीनों में तीन खराब हैं। यही नहीं छोटी मशीनों का भी बुरा हाल है। 31 में 9 मशीनों काम ही नहीं कर रही हैं। साइकिल वाली मशीनों का सहारा है, लेकिन वह भी वार्ड में दिखाई नहीं देती हैं।

नाली-नालियों गंदगी का अंबार

शहर के लगभग हर वार्ड में नाला नालियों में गंदगी का अंबार है। लोग नगर निगम के कंट्रोल रूम में शिकायत कर रहे हैं। उनके अनुसार उन्हें केवल आश्वासन मिल रहा है। गंदगी के चलते मच्छर तेजी से पनप रहे हैं। कुछ लोग धुआं करके मच्छरों को भगा रहे हैं तो कई बाजार में बिकने वाले प्रोडक्ट को इस्तेमाल कर रहे हैँ। हालांकि लोगों का कहना है कि बिना मच्छरदानी के कोई निजात नहीं मिल रही है। हालांकि हर वक्त मच्छरदानी में तो नहीं बिताया जा सकता है।

साइकिल फागिंग पर मशीन पर इतना खर्च

पांच लीटर डीजल

एक लीटर पेट्रोल

25 एमएल दवा

बड़ी मशीन पर इतना खर्च

50 लीटर डीजल

7 लीटर पेट्रोल

750 एमएल दवा

इनके भरोसे फॉगिंग

छोटी फॉगिंग मशीन- 31

बड़ी फॉगिंग मशीन- 4

फॉगिंग के लिए नया रोस्टर बनाने का दिया निर्देश

नवागत नगर आयुक्त गौरव सिंह सोगरवाल ने गुरुवार को मीटिंग की। उन्होंने अफसरों से कहा कि शहर में लोगों को मूलभूत सुविधाएं हर हाल में मिलनी चाहिए। किसी भी शिकायत का तत्काल निस्तारण करने की व्यवस्था की जाए। अगर इसमें कोई लापरवाही मिलती है तो क्षम्य नहीं होगा। मीटिंग में उन्होंने फॉगिंग के लिए नया रोस्टर बनाने का निर्देश दिया। कहा कि ऐसा रोस्टर बनाया जाए जिसमें सभी वार्डों में नियमित रूप से फॉगिंग हो सके। इसके साथ अन्य कई दिशा निर्देश दिए।

गोरखपुराइट्स बोले-

नगर निगम कर्मचारियों को आज तक वार्ड में फॉगिंग करते नहीं देखा है। वार्ड में मच्छरों का इस कदर प्रकोप है कि शाम होते ही बाहर खड़े होना मुश्किल हो जाता है। शिकायत पर भी कोई सुनवाई नहीं हो रही है।

- पवन उपाध्याय, तारामंडल

मच्छरों से बचने के लिए खुद ही प्रयास किया जाता है। नगर निगम की ओर से फॉगिंग कभी कभार होती है। मच्छरों का प्रकोप अब तेजी से बढ़ा है। शिकायत करने का कोई मतलब नहीं निकल रहा है।

- नितेश पांडेय, रुस्तमपुर

मच्छरों से खुद और परिवार को बचाना मुश्किल हो रहा है। नगर निगम से कई बार शिकायत कर चुकी हूं लेकिन कोई फॉगिंग के लिए नहीं आता है। बाजार से मच्छरों से निजात के लिए प्रॉडक्ट खरीद कर काम चला रही हूं।

पूनम, गीता वाटिका

नगर निगम की तरफ से फॉगिंग नहीं हो रही है। शिकायत करने का भी कोई मतलब नहीं है। वार्ड के लोग खुद ही मच्छरों से निजात के लिए अपने तरीके से उपाय कर रहे हैं।

- अरविंद अग्रहरि, गीता प्रेस