कम उम्र में यंगेस्टर्स और बच्चों की आंखें कमजोर हो रही हैं और आईसाइट कम होने पर उन्हें भी चश्मा लग जा रहा है. लंबे समय तक चश्मा लगाना चैलेंजिंग भी होता है. ऐसे में अधिकांश लोग जश्मा से छुटकारा पाना चाहते हैं.


गोरखपुर (ब्यूरो)। बीआरडी मेडिकल कॉलेज के नेत्र रोग विभाग में पेशेंट की इलाज की सुविधा जल्द ही शुरू होने वाली है। यहां एडवांस टेक्नोलॉजी यानी लेसिक सर्जरी कर आंखों से चश्मा हटाया जाएगा। मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने लेसिक मशीन के लिए करीब 2 करोड़ रुपए का प्रपोजल तैयार कर शासन को भेजा है। उम्मीद है कि जल्द ही मशीन आ जाएगी। गोरखपुर और आसपास के पेशेंट्स को बेहतर चिकित्सकीय सुविधा मुहैया कराने के लिए आई डिपार्टमेंट में लेसिक मशीन जल्द ही लगाई जाएगी। वैसे तो यहां इस तकनीक को लाने के लिए तीन साल पहले प्लान तैयार किया गया था लेकिन इसे धरातल पर लाने में काफी समय लग गया है। हालांकि इस स्कीम को लेकर मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने कवायद शुरू कर दी है। दूर दराज से आने वालों का होगा ट्रीटमेंट
दूर दराज से आने वाले पेशेंट्स लेसिक मशीन से सर्जरी कराने के लिए प्राइवेट हॉस्पिटल का रूख करते थे लेकिन जल्द ही बीआरडी मेडिकल कॉलेज के आई विभाग में यह सुविधा शुरू होने वाली है। इसमें पेशेंट के आंखों की सर्जरी कर उन्हें इस लायक बनाया जाएगा कि उन्हें आगे चलकर चश्मा लगाने की जरूरत न पड़े और वह बिना चश्मा लगाए ही सब कुछ क्लियर देख सकें। आई स्पेशलिस्ट डॉ। राम कुमार ने बताया कि चश्मा हटाने के लिए प्रमुख तौर पर 3 तकनीकों का इस्तेमाल किया जाता है। ये सभी सर्जिकल प्रोसेस होती हैं और मशीनों की सहायत से आंखों का नंबर हटाया जाता है। इसमें पहली लेसिक है, जिसमें लेजर सर्जरी के जरिए कॉर्निया को पतला किया जाता है। ऐसा करने से लोगों का विजन ठीक हो जाता है और चश्मे का नंबर हट जाता है। लेजर से पहले की जाती है स्क्रीनिंग किसी भी व्यक्ति की आई सर्जरी कर चश्मा हटाने से पहले एक स्क्रीनिंग की जाती है। इसमें कॉर्निया की थिकनेस, कॉर्निया की शेप, कार्निया मजबूजी, आंखों की ड्राइनेस और रेटिना का टेस्ट होता है। इसमें पता लगाया जाता है कि क्या पेशेंट की सर्जरी की जा सकती है या नहीं। साथ ही सर्जरी के लिए कौन सी तकनीक इस्तेमाल करना बेहतर रहेगा। यह भी स्क्रीनिंग के बाद ही पता चलता है। 25 से 30 प्रतिदिन आई सर्जरी 200 आई ओपीडी तीन साल पहले लेसिक मशीन के लिए शासन का प्रपोजल भेजा गया था। अभी इसकी कवायद चल रही है। शासन से स्वीकृति मिलने के बाद मशीन लगा दी जाएगी। डॉ। रामयश यादव, एचओडी आई विभाग बीआरडी मेडिकल कॉलेज

Posted By: Inextlive