चुनावी समर के लिए देश तैयार है. उम्मीद की जा रही है कि मार्च के पहले हफ्ते में इलेक्शन डिक्लेयर हो जाएंगे. इसलिए जहां पॉलिटिकल पार्टीज ने अपनी तैयारियां काफी तेज कर दी हैं.वहीं वोटर्स भी इस बार अपने वोटिंग राइट्स का दिल नहीं बल्कि दिमाग के साथ इस्तेमाल करने को तैयार हैं.


गोरखपुर (ब्यूरो) दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की ओर से खास यूथ के लिए ऑर्गनाइज 'राजनी-टी की चर्चा का दौर मंगलवार से शुरू हो गया। गोरखपुर यूनिवर्सिटी कैंपस में चुनाव से जुड़े मुद्दों पर खूब चर्चा हुई। युवाओं ने अपने-अपने मुद्दे रखे, जिसमें उन्होंने बेरोजगारी, प्रतियोगी परीक्षाओं को सकुशल संपन्न कराना, करप्शन, परिवारवाद आदि पर खुलकर अपने विचार रखे।यूजी, पीजी रिसर्च स्कॉलर्स हुए शामिल दैनिक जागरण आईनेक्स्ट की टीम जब गोरखपुर यूनिवर्सिटी कैंपस में पहुंची। चुनावी चर्चा 'राजनी-टीÓ में यूजी, पीजी समेत रिसर्च स्कॉलर्स शामिल हुए। इस दौरान उन्होंने बड़े ही बेबाकी से आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर अपने मुद्दे रखे। वर्तमान समय में जिस प्रकार से बेरोजगारी के दौर में पुलिस भर्ती की परीक्षा हुई, लेकिन उसमें पारदर्शिता नहीं हुई। पेपर आउट हो गया, जो कहीं न कहीं सिस्टम में आज भी कमी को दर्शाता है। मेरा मुद्दा


सरकारी खाली पदों पर अप्वाइंटमेंट के लिए टाइमलाइन हो।बेरोजगारों के लिए नौकरी ज्यादा जरुरी है, पिछले कई वर्षो से वैकेंसी नहीं आई। पार्टी के साथ-साथ जरुरी है कैंडिडेट्स कैसा है। क्या वह जीतने के बाद अपने निर्वाचन क्षेत्र में आएगा भी या नहीं। लड़कियों और महिलाओं के खिलाफ अपराध पर अंकुश लगा है। कानून व्यवस्था में और सुधार की जरुरत है।

राजनीति में परिवारवाद को लेकर यूनिफार्म सिविल कोड की भी जरूरत है। प्राइवेटाइजेशन होना भी जरूरी है, लेकिन काम में पारदर्शिता लाने के साथ उसमें सुधार की जरूरत है। प्रमुख मुद्दे बेरोजगारी की समस्या हो दूर युवा वर्ग ने बताया कि इस वक्त सबसे बड़ी समस्या बेरोजगारी है। इसे दूर किया जाना बिल्कुल जरूरी है। आज एक पद पर हजारों की संख्या में कैंडिडेट्स जॉब के लिए अप्लाई कर रहे हैं। साल दर साल बेरोजगारी भी बढ़ती जा रही है। सरकार को कोई ऐसा प्लान बनाना चाहिए, जिससे सभी को रोजगार मिल सके। रोजगार न मिलने युवा वर्ग भटक रहा है, इससे समाज पर भी बुरा प्रभाव पड़ रहा है। आगामी लोकसभा चुनाव में जो भी पार्टी युवा वर्ग का ख्याल रखेगी, उसकी तरफ युवाओं का झुकाव होगा। क्राइम कंट्रोल पर हो फोकस क्राइम कंट्रोल को लेकर सरकार और भी कड़े कदम उठाने चाहिए। हत्या, लूट, रेप की घटनाएं बढ़ती जा रही है। गल्र्स की सेफ्टी के लिए ठोस कदम होने चाहिए। 'राजनी-टीÓ में युवा वर्ग ने बताया कि सरकार क्राइम कंट्रोल तो कर रही है, लेकिन प्रभावी तौर पर अंकुश नहीं लग पा रहा है। किसी शहर में क्राइम का ग्राफ बढऩे से समाज प्रभावित होता है। प्रमुख मुद्दे

- पार्टी नहीं, कैंडिडेट्स को देखकर वोट देना। - श्रीराम मंदिर निमार्ण और वर्षो पुराना विवाद हुआ समाप्त, लोगों के आस्था के साथ हुआ सम्मान - ऑनलाइन वोटिंग के बजाय बैलेट पेपर पर जोर - लोकसभा 2024 के चुनाव में इंप्लायमेंट की गारंटी होनी चाहिए। - पार्टी और कैंडिडेट्स को देखकर वोट देने के छाए रहे मुद्दे - नेताओं के बच्चो को चुनाव लडऩे पर रोक लगाने व उनके क्षेत्र में प्रभाव को देखते हुए उनका चयन। मौजूदा समय में जो कानून व्यवस्था है। उसको लेकर हम संतुष्ट हैैं। शासन और प्रशासन के सख्ती का ही नतीजा है कि आज हम खुद को सुरक्षित महसूस करते हैैं। आने वाले लोकसभा चुनाव में बेरोजगारी और अच्छी शिक्षा व्यवस्था के साथ-साथ पब्लिक की समस्या सुनने वाला पार्लियामेंट मेंबर होना चाहिए। सृष्टि यादवमहिलाओं के लिए बनाए गए कानून से हम संतुष्ट हैैं, लेकिन अभी भी सख्ती की जरूरत है। रोजगार हमारे लिए जरूरी है। आज हम हायर एजुकेशन कंप्लीट कर चुके हैैं, लेकिन वैकेंसी जो आती हैैं, वह लंबे समय तक अटकी रहती है, जिसकी वजह से युवा बेरोजगार होकर घूम रहे हैं। कहीं न कहीं हमारी मेहनत पर पानी फिर जाता है। प्रियंका मिश्रा
हमारे लिए सबसे अहम मुद्दा है जलवायु परिवर्तन। जिसे इग्नोर किया जा रहा है। रोजगार और शिक्षा बड़ा मुद्दा होगा। यह लोकसभा के बड़े मुद्दे होने चाहिए। क्योंकि समाज को शिक्षित होना और बेरोजगारों के लिए रोजगार बहुत जरूरी है। अभिनेश्वर गोस्वामी युवाओं के नौकरी के लिए एक तो भर्ती लेट आती है। भर्ती आती भी है तो परीक्षा में ही स्कैम हो जाता है, कम से कम हम सभी के भविष्य के साथ खिलवाड़ नहीं होना चाहिए। डिजिटल युग में ऑनलाइन वोटिंग नहीं होनी चाहिए। राकेश देखिए, लोकसभा चुनाव में बेरोजगारी एक अहम मुद्दा है, क्योंकि आज की डेट में वैकेंसी नहीं आ रही है। जो आ भी रही हैैं वह सभी थर्ड पार्टी एजेंसी के थ्रू भरे जा रहे हैैं। इसमें स्टेबिल्टी नहीं है। इसके साथ ही जो हम जनप्रतिनिधि चुनते हैैं, उन्हें भी हमारे हक में बोलना चाहिए। सूरज देश में युवाओं की आबादी सबसे ज्यादा है, इसलिए लोकसभा चुनाव के लिए बेरोजगारी एक बड़ा मुद्दा है। युवाओं के बारे में सोचा जाना चाहिए, क्योंकि युवा ही देश के भविष्य हैैं। किसी भी कैंडिडेट को चुनने से पहले यह भी देखूंगा कि वह हमारे संसदीय क्षेत्र के लिए क्या कर सकते हैैं। कैंडिडेट का फेस बहुत मायने रखता है। सुधांशु सिंह
वोटर व्यू आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर मैैं बेहद एक्साइटेड हूं। लोकतंत्र के इस महापर्व पर हमें जहां अपने वोटिंग राइट का इस्तेमाल करना चाहिए। वहीं हम दूसरों को भी जागरुक करते हैैं। इस बार के चुनाव थोड़ा इंटे्रस्टिंग हैैं। चूंकि हाल में राम मंदिर जो वर्षो पुराना विवाद था, वह सॉर्टआउट हो चुका है। आस्था का मामला था, इसलिए यह भी जरूरी था। एक वोटर होने के नाते इन सबके अलावा युवाओं को रोजगार, अच्छी शिक्षा, चिकित्सा, विकास आदि भी चाहिए। बेरोजगारी एक बड़ा मुद्दा है। वह भी युवाओं के लिए इसलिए हमें रोजगार ऐसा मिले जो स्थाई हो, जिसमें भविष्य हो। जो भी प्रतियोगी परीक्षाएं हों, उसमें पारदर्शिता हो, हम युवाओं के लिए लोकसभा चुनाव में यह बेहद बड़ा मुद्दा होगा। जाह्वïवी, पीजी स्टूडेंट, डीडीयूजीयू

Posted By: Inextlive