नगर निगम का एक निर्णय एक बार फिर चर्चा में है. उसने बाल विहार के कूड़ाघर को अस्थायी रैन बसेरे में तब्दील कर दिया. हालांकि उसके बाद अफसर वहां झांकने नहीं गए. आलम यह है कि अब इसमें राहगीर बाथरूम के लिए जाते हैं और आस-पास गाडिय़ों की पार्किंग होने लगी है.


गोरखपुर (महेंद्र प्रताप सिंह)।इधर, तैयार किए गए रैन बसेरे में तख्त, रजाई और बिस्तर भी नहीं हैं। एक दिसंबर को तैयार किए गए रैन बसेरे में आज तक किसी राहगीर ने शरण नहीं ली है। यहां सुबह और शाम नगर निगम के सफाई कर्मी जुटते हैं और फिर काम पर चले जाते हैं। बता दें, एक दिसंबर को स्वच्छ भारत मिशन के चले तीन दिन के अभियान में कूड़ाघर को समाप्त कर वहां अस्थायी रैन बसेरा तैयार कर दिया गया था। सिर्फ दिखावे के लिए रैन बसेरा


अस्थायी रैन बसेरा सिर्फ दिखावे का है। यहां कोई भी ठहरने के लिए इंट्रेस्ट भी नहीं दिखा रहा है। इसका कारण है यह है कि यहां ठहरने में लोगों की मुश्किलें और बढ़ जाएंगी। अस्थायी रैन बसेरे में कोई शौचालय भी नहीं है। जबकि शहर में और भी रैन बसेरे हैं जहां ठंड के अनुरूप व्यवस्थाएं हैं। नगर निगम का कहना है कि पास में ही सुलभ शौचालय है, अगर किसी को यहां ठहराने की जरूरत पड़ती है तो वह सुलभ शौचालय का इस्तेमाल करेगा। डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन भी ठीक नहीं

नगर निगम ने कूड़ाघर को खत्म तो कर दिया लेकिन कोई ठोस निदान नहीं किया। डोर टू डोर अभियान भी पूरी तरह से सफल नहीं साबित हो रहा है। इसकी वजह से लोगों को कूड़ा निस्तारण में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। अब बाल विहार के कूड़ाघर को खत्म करने से लोगों की समस्याएं खड़ी हो गई हैं। डोर टू डोर सफाई कर्मचारियों के न आने से कई लोग खुद ही अपने कूड़े को आरटीओ ऑफिस के पास बने कूड़ाघर पर फेंक रहे हैं। सिटी के स्थायी रैन बसेरेकचहरी बस स्टेशन बीआरडी मेडिकल कॉलेजमहेवा ट्रांसपोर्टनगरधर्मशाला बाजाररेलवे स्टेशन के पासमोहरीपुर पंचायत भवनवार्ड 34 आवास विकास कालोनी शाहपुरहांसुपुरशिवपुर सहबाजगंजबशारतपुरझूलेलाल मंदिर के सामनेझूलेलाल मंदिर के पीछेबीआरडी मेडिकल कॉलेज 75 घंटे 75 जिला, 750 निकाय अभियान के तहत महानगर में 75 जगहें चिह्नित की गई थीं। जहां लोग कूड़ा फेंकते थे। बाल विहार के कूड़ाघर पर लोग कूड़ा फेंककर चले जाते थे, जिससे सड़क तक गंदगी फैली रहती थी। इसलिए उसे खत्म कर अस्थायी रैन बसेरे का निर्माण करा दिया गया है। इसकी वजह से कूड़ा फेंकना बंद हो गया है। हालांकि अस्थायी रैन बसेरे में लोगों को ठहराने की जरूरत तब पड़ेगी जब शहर के स्थायी रैन बसेरे फुल हो जाएंगे। डॉ। मणि भूषण तिवारी, नोडल अधिकारी, स्वच्छ भारत मिशन

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