साउथ अफ्रीका का केपटाउन दुनिया का पहला शहर बन चुका है जहां पीने का पानी लगभग समाप्त हो चुका है. इसके अलावा दुनिया के कई और शहरों में भी केपटाउन जैसे हालात है. वहां अंडरग्राउंड वॉटर खाली हो चुका है.


गोरखपुर (ब्यूरो)। गोरखपुर की बात करें तो यहां पर फिलहाल ग्राउंड वॉटर सेफ जोन में है। लेकिन हर साल धीरे-धीरे इसका लेवल नीचे आ रहा है। यहां की पब्लिक अगर अलर्ट नहीं हुई तो जल्द ही केपटाउन जैसे हालात यहां भी देखने को मिल सकते हैं। गोरखपुर सेफ जोनग्राउंड वॉटर डिपार्टमेंट की असेसमेंट रिपोर्ट के अनुसार वाटर लेवल गिरने के बाद भी गोरखपुर सेफ जोन में है। यहां के किसी भी ब्लॉक में पानी की समस्या नहीं है। हालांकि यही हाल रहा तो धीरे-धीरे गोरखपुर भी सेमिक्रिटिकल जोन में आ जाएगा। ऐसे में सभी लोग पानी का दुरुपयोग न करें, बल्कि इसके संरक्षण की ही सोचें। ओवर एक्सप्लॉइटेशन से नुकसान
ग्राउंड वाटर डिपार्टमेंट के अधिकारियों की मानें तो बढ़ती पॉपुलेशन और अर्बनाइजेशन के कारण वाटर लेवल दिन प्रतिदिन नीचे जा रहा है। गोरखपुर में हर 10 साल से 15 सेमी पानी नीचे जा रहा है। लोगों में अवेयरनेस की काफी कमी है। वहीं, कोई भी ब्लॉक अगर ओवर एक्सप्लॉटेशन की कैटेगरी में हो तो वहां पानी के कॉमर्शियल यूज के लिए एनओसी नहीं मिलेगी। इसके साथ ही वहां बिना रेन वाटर हार्वेस्टिंग के मैप भी पास नहीं होगा।वाटर लेवल गिरने की वजह तेजी से बढ़ती पॉपुलेशनएग्रीकल्चर और इंडस्ट्रीज में पानी का एक्सेस यूज


जरूरत से कम बारिश होनाअर्बनाइजेशन का बढऩातालाबों की कमी या सही से देख रेख नहीं हो पानीवॉटर लेवल गिरने की वजह लोगों में अवेयरनेस की कमी प्रति घर रोजाना औसत पानी की सप्लाई : 132 एलपीसीडी प्रति घर रोजाना औसत पानी की सप्लाई की जरूरत : 135 एलपीसीडी पानी की खपत : 228 एमएलडीपानी की उपलब्धता 198 एमएलडीट्यूबवेल बड़े : 145ट्यूबवेल छोटे : 100पेयजल टैंकरों की संख्या 26मार्डन पोस्ट : 55स्टैंड पोस्ट : 489हैंडपंप इंडिया मार्क : करीब 5000पेयजल के लिए निर्धारित समयसुबह पांच से 10दोपहर में 12 से 2शाम पांच से 10पानी बचाने के करें उपायघर में पानी न करें वेस्टरेन वाटर हार्वेस्टिंग करेंपानी बचाने के लिए लोगों को अवेयर करेंवेस्ट वाटर का प्यूरिफिकेशन करेंअधिक से अधिक पेड़ लगाएं।पानी को दूषित होने से बचाएंरामगढ़ताल की वजह से गोरखपुर सेफ

ग्राउंड वाटर डिपार्टमेंट गोरखपुर के टेक्निकल असिस्टेंट दिनेश जायसवाल ने बताया, पिछले कुछ वर्षों में हुई अच्छी बारिश के कारण गोरखपुर के सभी ब्लॉक अभी सेफ जोन में है। अभी सिटी में एवरेज वाटर लेवल 5 से 6 मीटर है। वहीं रुरल एरिया में 2.5 से 3 मीटर है। रामगढ़ताल और राप्ती नदी के होने की वजह से यहां पानी लंबे समय तक रहता है। गोरखपुर में कच्चे एरिया ज्यादा होने की वजह से यहां पानी काफी आसानी से रिचार्ज हो जाता है। 10 वार्डों में वाटर सप्लाई नहीं 80 वार्डों वाले शहर में अभी बड़ी आबादी वाटर सप्लाई के पानी के लिए तरस रही है। नगर निगम में शामिल 10 नए वार्डों में वाटर सप्लाई का पाइपलाइन नहीं बिछ सका है। हालांकि नगर निगम का कहना है कि टेंडर हो चुका है। जल्द ही पाइपलाइन बिछाकर पानी की आपूर्ति की जाएगी। जलकल के असिस्टेंट इंजीनियर सत्येश कुमार सिंह ने बताया कि गर्मी के दिनों में पानी की दिक्कत रहती है लेकिन उसके लिए पहले ही उपाय कर लिए जाते हैं। जिससे प्राब्लम नहीं आने पाती है। पाइप बढ़ाकर सप्लाई
नगर निगम गर्मी के दिनों में डायरेक्टर पानी की सप्लाई करने वाले मोटर का पाइप बढ़ा देता है। करीब 10 सेमी पाइप बढ़ाने के बाद वाटर लेवल मेंटेंन हो जाता है। गर्मी के दिनों में ट्यूबेल में हंटिंग होने पर इसकी जानकारी होने लगती है कि पानी कम आ रहा है। जलकल के असिस्टेंट इंजीनियर सत्येश के अनुसार गर्मी में कुछ दिन प्राब्लम रहती है। हालांकि दूसरे जिलों की अपेक्षा यहां उतनी प्रॉब्लम नहीं होती है।200 में बचे सिर्फ 70 पोखरे दस साल पहले नगर निगम सीमा क्षेत्र में पोखरे, पोखरियों की संख्या करीब 200 थी। अब वह घटकर करीब 70 हो गई है। भू वैज्ञानिकों ने बताया कि पोखरे पहले झील के रूप में होते थे। अवैध निर्माण और कब्जे के चलते कई पोखरे विलुप्त हो गए। पोखरे के रहने से बारिश का पानी एकत्र होता था। इनसे मिट्टी में नमी बनी रहती थी। इससे गर्मियों में भी विशेष दिक्कत नहीं होती थी।गर्मी के दिनों में हैंडपंप का पानी काफी कम पानी देने लगता है। ऐसे में वाटर सप्लाई के पानी पर निर्भर रहना पड़ता है। दो महीने पानी की दिक्कत झेलनी पड़ती है। दिनेश कुमार पांडेय, झरना टोला पानी के फिजूलखर्ची के चलते गर्मी के दिनों में प्रॉब्लम होती है। हैंडपंप तो लगभग जवाब दे जाता है। दो से तीन महीने वाटर सप्लाई के पानी पर निर्भर रहते हैं। उत्कर्ष पांडेय, इंजीनियर कॉलेज टेंप्रेचर के बढऩे के साथ ही हैंडपंप का पानी कम आना शुरू हो जाता है। वाटर सप्लाई के चलते पानी तो आता है लेकिन कई बार उसमें भी खराबी जाती है, जिससे परेशानी होती है।
सरिता त्रिपाठी, रामजानकी नगरगर्मी के दिनों में वाटर लेबल काफी कम हो जाता है। इससे हैंडपंप के साथ मोटर पंप से पानी भी मुश्किल से आता है। वाटर सप्लाई पर दो से तीन महीने निर्भर रहना पड़ता है। प्री मानसून की स्थिति स्थान 2019 2020 2021 2022 2023नौसड़ 6.35 5.85 5.95 6.00 6.05मंडी परिषद 7.95 7.00 6.45 6.85 7.15 हांसूपुर 10.40 9.70 8.95 9.05 9.55चरगांवा 4.98 2.60 3.95 4.70 7.35सिक्टौर 6.78 5.67 5.95 7.05 5.95बडग़ो 4.50 6.11 5.83 5.70 4.65पोस्ट मानसून की स्थिति स्थान 2019 2020 2021 2022 2023नौसड़ 3.55 2.45 1.85 1.65 3.05मंडी परिषद 2.90 3.58 2.45 3.25 5.90 हांसूपुर 8.40 6.95 7.95 5.95 8.65चरगांवा 4.12 4.06 4.15 5.10 6.10सिक्टौर 1.90 1.90 1.15 1.45 3.40बडग़ो 2.95 2.25 1.45 1.45 2.40चलाया जा रहा अवेयरनेस कैंपेनग्राउंड वाटर डिपार्टमेंट की हाइड्रोलॉजिस्ट रागिनी सरस्वती ने बताया कि लोगों की लापरवाही एवं दोहन के कारण वाटर लेवल काफी प्रभावित हो रहा है। इसको मेंटेन रखने के लिए उनके और एक्सईएन विश्वजीत सिंह की ओर से अलग-अलग जगहों पर अवेयरनेस कैंप आयोजित कर लोगों को पानी बचाने के लिए अवेयर किया जा रहा है।गोरखपुर सेफ जोन में है। यहां की स्थिति दूसरे जिलों से बिल्कुल अलग है। हालांकि कम होते वाटर लेवल की प्रॉब्लम को लोगों को भी समझना होगा। इसके लिए लोगों को अवेयर होना होगा। पानी का संरक्षण करने से ही भविष्य में भी यह उपलब्ध होगा। विश्वजीत सिंह, एक्सईएन, ग्राउंड वाटर डिपार्टमेंट गर्मी के दिनों में सभी घरों तक सुचारू रूप तक पानी पहुंचाने के लिए जलकल की ओर से सभी व्यवस्थाएं कर ली गई हैं। ग्राउंड वाटर लेवल के कम होने से थोड़ी बहुत दिक्कत होती है लेकिन किसी को परेशानी नहीं होने दी जाती है। गोरखपुर में वाटर लेवल की समस्या अन्य जिलों की अपेक्षा कम काफी कम है। सत्येश कुमार सिंह, असिस्टेंट इंजीनियर, जलकल

Posted By: Inextlive