थ्रीमा एप से आतंकियों के संपर्क में हैं गोरखपुर के युवा!
GORAKHPUR: यूपी में तेजी से बढ़ रही आईएसआईएस (इस्लामिक इस्टेट) की गतिविधियों से गोरखपुर जोन के युवा भी जुड़ रहे हैं। आईएसआईएस ने युवाओं को जोड़ने के लिए एक नया ट्रेंड अपनाया है। युवाओं को सोशल मीडिया के थ्रीमा एप के जरिए इससे तेजी से जोड़ने का काम चल रहा है। इसका खुलासा बीते दिनों यूपी एटीएस के हत्थे चढ़े आईएसआईएस के संदिग्ध आतंकी अबु जैद ने किया है। चार दिनों रिमांड पर यूपी एटीएस के सामने अबु जैद ने कई चौंकाने वाले खुलासे किए हैं। इसके बाद ही एटीएस सहित पुलिस व सुरक्षा एजेंसियां अलर्ट हो गई हैं। इसके लिए यूपी एटीएस की ओर से गोरखपुर सहित कई पुलिस जोन को अलर्ट भी जारी किया गया है। ताकि सोशल मीडिया के इस एप के जरिए आईएसआईएस जुड़ रहे युवाओं पर पुलिस नजर रख सके.
आईजी ने जारी किया अलर्टएटीएस ने अलर्ट जारी करते हुए कहा है कि वह अपने साइबर सेल को मजबूत करते हुए सोशल मीडिया पर इस तरह की एक्टीविटी पर पूरी तरह से नजर बनाए रखें। साथ ही ऐसी किसी भी तरह की सूचना को गंभीरता से लेते हुए इसकी जानकारी एटीएस और अन्य सुरक्षा एजेंसियों की दी जाए। एटीएस के इस अलर्ट पर आईजी जोन मोहित अग्रवाल ने भी गोरखपुर जोन की पुलिस को सख्त निर्देश दिया है कि वह क्राइम कंट्रोल के साथ ही साइबर सेल पर विशेष ध्यान दें। आईजी ने पुलिस को सख्त हिदायत दी है कि सोशल मीडिया पर इस तरह के मैसेज ग्रुप और ऐसी सूचनाओं को पुलिस गंभीरता से लेते हुए तत्काल इस पर कार्रवाई करे और तत्काल इसकी जानकारी एसटीएस व अन्य सुरक्षा एजेंसियों को दे।
ग्रुप बनाकर रचते हैं खतरनाक साजिशदरअसल अबू जैद और अप्रैल में गिरफ्तार उसके चार साथियों समेत नौ आईएस संदिग्ध थ्रीमा ऐप के जरिए जुड़े थे। इस पेड ऐप पर इन लोगों ने शरारती बच्चे के नाम से ग्रुप बना रखा था। इसी पर आतंकी साजिशों से जुड़ी सारी बात होती थी। एटीएस अन्य राज्यों की पुलिस की मदद से इस ग्रुप से जुड़े पांच लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है लेकिन चार की अब भी शिनाख्त और गिरफ्तारी बाकी है। एटीएस के मुताबिक, बाकी जो चार सदस्य बचे हैं उनमें से कुछ के नंबरों के बारे में पता नहीं चल पा रहा है। इन नंबरों को फर्जी आईडी के जरिए लिया गया है। इस ग्रुप में अबू जैद के अलावा एक और सदस्य है जो विदेश में रहकर ग्रुप को हैंडल कर रहा है। लेकिन वह भी अभी ट्रेस नहीं हो पाया है। एटीएस की पड़ताल के मुताबिक इस ग्रुप में दो तरीके से लोगों को जोड़ा जा रहा था। जालंधर से गिरफ्तार अबू जैद का साथी नाजिम ऑनलाइन लोगों को जोड़ रहा था जबकि, बिजनौर से गिरफ्तार मुफ्ती उर्फ फैजान लोगों से मिलकर उन्हें ग्रुप का हिस्सा बना रहा था।
कई संदिग्धों पर एटीएस की नजरइसके अलावा अबु जैद ने यह भी खुलासा किया है कि उसे यूपी में इस तरह से युवाओं को इससे जोड़ने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। वहीं, यूपी एटीएस के मुताबिक चूंकि अबु जैद आजमगढ़ का रहने वाला है और वह इससे पहले ज्यादातर इसी इलाके के लोगों से वाकिफ है। ऐसे में वह पूर्वी उत्तर प्रदेश के तमाम लोगों को अब तक इससे जोड़ चुका है। एटीएस का मानना है कि सिर्फ अबु जैद ही नहीं बल्कि इस तरह के कई ऐसे संदिग्ध आतंकी सक्रिय हैं, जो युवाओं को जेहाद के नाम पर भ्रमित कर तेजी से इससे जोड़ रहे हैं। इतना ही नहीं यूपी एटीएस ने गोरखपुर और वाराणसी जोन में अब तक करीब ऐसे दर्जन भर संदिग्धों को चिह्नित कर उनपर पैनी नजर रख्ा रही है.सोशल मीडिया पर चलने वाली सूचनाओं और इस तरह के एप के जरिए होने वाली हर संदिग्ध गतिविधि पर विशेष नजर रखने का निर्देश दिया गया है। सभी जिलों में सोशल मीडिया सेल बनाई गई है, जो इस पर लगातार नजर रखे हुए है। अगर ऐसी कोई सूचना मिलती है तो तत्काल उस पर कार्रवाई करते हुए एटीएस और अन्य सुरक्षा एजेंसियों को इससे अवगत कराया जाएगा।मोहित अग्रवाल, आईजी जोन
कोडवर्ड में हाेती है बात
इन लोगों की सबसे सबसे बड़ी खास बात यह है कि यह लोग इस तरहकी बात करने के लिए कोडवर्ड बना रखे हैं। इन लोगों ने खटमल, उन्हें मारने और हमले के लिए घेवर और लड्डू खिलाना और रिवॉल्वर के लिए छह नंबर की किताब व पिस्टल के लिए 14 नंबर की किताब कोडवर्ड बनाया था। सोशल मीडिया पर इस तरह तरह के एप के जरिए संदिग्ध आतंकी युवाओं को भ्रमित कर इससे जोड़ रहे रहे हैं। इसके लिए वे लोग पेड एप थ्रीमा और अन्य कई एप का इस्तेमाल कर रहे हैं। ताकि वह बच सके। लेकिन उनका बच पाना संभव नहीं है। लगातार एटीएस ऐसे संदिग्धों को गिरफ्तारी कर रही है और कई संदिग्धों पर नजर रखी हुई है।असीम अरुण, आईजी, यूपी एटीएस