GORAKHPUR : पॉल्यूशन कंट्रोल करने की कोशिश में लगे यूथ्स का हुनर रेडटेपिज्म का शिकार हो रहा है. अपने टैलेंट से इंस्ट्रूमेंट बनाकर पॉल्यूशन से लडऩे की जुगत में लगे स्टूडेंट को गवर्नमेंट से मदद की दरकार है. लेकिन जिम्मेदार अफसर उनके इंस्ट्रूमेंट का प्रैक्टिकली प्रूफ कराने के बजाय मजाक उड़ा रहे हैं. आईएएस की तैयारी में लगे स्टूडेंट का दावा है कि उसके तैयार किए गए इस इंस्ट्रूमेंट से डीजल से चलने वाले व्हीकल्स से होने वाले पॉल्यूशन को 80 परसेंट तक कम करने में मदद मिलेगी.


पांच स्टेज में काम करता है यह अनोखा इंस्ट्रूमेंट


गोला के नरायनपुर खुर्द गांव के केशरी नंदन त्रिपाठी डीडीयू से बीए कर चुके हैं। बारहवीं में साइंस के स्टूडेंट रहे केशरी को टेंपो से निकलने वाला धुंआ काफी परेशान करता था। इसका हार्मफुल केमिकल्स को कम करने के लिए वह इंस्ट्रूमेंट बनाने में जुट गए। 2010 में उन्होंने वर्क शुरू किया तो टिन के डिब्बों के सहारे पाइप लगाकर प्लास्टिक और रबड़ के वाल्व और जूट के साथ कपड़ों का यूज करके एक इंस्ट्रूमेंट बनाया। किसी व्हीकल के सायलेंसर से जोडऩे पर यह पांच स्टेज में काम करता है। पहले स्टेज में ये टेम्प्रेेचर रेगुलेट करता है। उसके बाद कार्बन रोकने वाले फिल्टर से होकर धुंआ आगे बढ़ता है। तीसरे चरण में धुंआ इकट्ठा हो जाता है। चौथे चरण में वह दूसरे बाक्स में पहुंचता है जहां पानी भरा होता है। पांचवें चरण में स्मोक रिलीज हो जाता है। इसके बाद जो धुंआ निकलता है उसमें हार्मफुल केमिकल्स लगभग 80 परसेंट कम हो जाते हैं।  इकालॉजिकल बैलेंस बनाने में होगा हेल्पफुल

केशरी दावा करते हैं कि इस इंस्ट्रूमेंट की मदद से इकोलॉजिकल बैलेंस को मेंटेन किया जा सकेगा। इसमें एनवायरमेंटल साइंस के सभी स्टैंडर्ड्स का ख्याल रखा गया है। इस इंस्ट्रूमेंट की जानकारी एनवायर्नमेंट मिनिस्ट्री को दी जा चुकी है। केशरी ने बताया कि वे अमेरिका की एनवायरमेंट मिनिस्ट्री से भी कांटैक्ट कर चुके हैं लेकिन इंडियन गर्वनमेंट की मदद के बिना यह एक्सपेरिमेंट आगे नहीं बढ़ पा रहा है।पॉल्यूशन रोकने में हेल्पफुल इस इंस्ट्रूमेंट को परखने के लिए मैंने जिम्मेदार अफसरों से बात की। लेकिन किसी ने इस पर ध्यान नहीं दिया। सरकार को चाहिए कि छोटे शहरों में होने वाले इस तरह के आविष्कारों को इम्पार्टेंस दे। केशरीनंदन त्रिपाठी, स्टूडेंट

Posted By: Inextlive