-दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ऑफिस में नगर निगम चीफ इंजीनियर ने सुनी पिंक टॉयलेट से रिलेटेड प्रॉब्लम्स

-महिला संगठन पदाधिकारियों संग गोरखपुर की विमेंस ने मार्केट जाने पर होने वाली प्रॉब्लम्स को किया शेयर

GORAKHPUR: दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की एक्सक्यूज मी मुहिम के जरिए महिलाएं शहर में पिंक टॉयलेट को लेकर मुखर हुई हैं। बेहतर प्लेटफॉर्म मिलने के बाद महिलाएं अब जिम्मेदारों के सामने अपने सवालों को लेकर सामने आने लगी हैं। महिलाओं का कहना है कि एक्सक्यूज मी कैंपेन ने हमारे दिल की आवाज उठाई है। यह प्रॉब्लम हम बरसों से फेस करते आ रहे हैं, लेकिन किसी से कह पाने की हिम्मत नहीं जुटा पाते थे, इसे अब दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने उठाया है और हमारे लिए इसे बुलंद किया है, जिससे हमारी एक बड़ी प्रॉब्लम का बेहतर सॉल्युशन मिला है। रविवार को इसको लेकर ग्रुप डिस्कशन ऑर्गनाइज किया गया, जिसमें नगर निगम के प्रतिनिधि के तौर पर चीफ इंजीनियर सुरेश चंद ने महिलाओं की बातें संजीदगी से सुनी और उनके मन में उठ रहे सवालों के जवाब दिए। इतना ही नहीं फोन और वॉट्सएप के जरिए आई क्वेरीज का भी उन्होंने जवाब दिया।

सवालों के दिए जवाब -

अनीता श्रीवास्तव- हम लोग जब मार्केट जाते हैं तो नेचुरल कॉल को लेकर बहुत परेशान रहते हैं। इसकी तैयारी हम लोगों को घर से करके निकलना पड़ता है। कभी-कभी तो अधूरा काम छोड़कर घर लौटना पड़ता है?

चीफ इंजीनियर- इस परेशानी को लेकर ही हम लोगों ने शहर के ऐसे एरियाज को सेलेक्ट किया है जहां पर अधिक महिलाएं आती हैं। इन जगहों पर पिंक टॉयलेट का निर्माण कराया जाएगा, जिससे महिलाओं को परेशानी ना हो।

शशिकला यादव- घंटाघर मार्केट गई थी, अचानक मुझे टॉयलेट की जरूर महसूस हुई। खोजती रह गई, लेकिन कहीं टॉयलेट नहीं मिला। एक जगह पर ग्रीन टॉयलेट दिखा, जिसमे सब्जी बिक रही थी। ऐसे में हम कहां जाएं?

चीफ इंजीनियर- अक्सर ऐसा होता है कि कहीं पर कुछ कमियां होती हैं, लेकिन उसकी जानकारी हम लोगों को नहीं हो पाती है। ऐसे में पब्लिक अगर अवेयर हो और कहीं कुछ गलत दिखे तो उसकी कम्प्लेन करे तो हम प्रॉब्लम को तुरंत दूर कर सकते हैं।

प्रियंका तिवारी- मैं मेडिकल कॉलेज एरिया में रहती हूं। अक्सर मै मार्केट करने असुरन जाती हूं। एक दिन मुझे जरूरत पड़ी तो वहां स्थित टॉयलेट पहुंची, लेकिन वहां की गंदगी देख में घर लौट गई?

चीफ इंजीनियर- जहां भी टॉयलेट है। उसे क्लीन रखना वहां के इंचार्ज की जिम्मेदारी है। अगर वे उसमें लापरवाही कर रहे हैं तो उनके खिलाफ कार्यवाही की जाएगी।

अलका अरोड़ा- घर से बच्चियां बाहर निकलती हैं तो उनकी चिंता लगी रहती है। कहीं नेचुरल कॉल महसूस हो जाए, तो क्या करेंगी। इस टेंशन से कब मुक्ति मिलेगी।

चीफ इंजीनियर- शहर में हर जगह टॉयलेट है। कई टॉयलेट का रेनोवेशन भी होने जा रहा है। साथ ही महिलाओं के लिए स्पेशली पिंक टॉयलेट की सुविधा बहुत जल्द आपको मिलने लगेगी।

कोट-

महिला सशक्तिकरण के लिए पिंक टॉयलेट का होना भी बहुत जरूरी है। बैंक रोड, विजय चौक और पार्क रोड जैसी मार्केट जहां पर महिलाएं अधिक आती हैं। यहां पर पिंक टॉयलेट का ना होना दुर्भाग्यपूर्ण है। यहां पर पिंक टॉयलेट मस्ट है।

कल्पना रानी, अध्यक्ष, महिला सर्वोदय मंडल

शहर में कहीं भी जाओ तो जेंट्स टॉयलेट दिख जाएंगे। लेकिन महिलाओं के लिए पिंक टॉयलेट कहीं नहीं दिखते हैं। इसके लिए सरकार को भी सोचना चाहिए। आधी आबादी केवल नाम के लिए सुविधा के नाम पर हमें क्या मिलता है कोई बताएगा।

आरती श्रीवास्तव,

गोरखपुर में मार्केट, ग‌र्ल्स स्कूल और कॉम्प्लेक्स के आस-पास पिंक टॉयलेट होना चाहिए। इसकी कमी हमेशा महसूस होती है। लेकिन कोई आगे नहीं आता है। महिलाएं मार्केट जाती हैं लेकिन संकोच में कुछ कहती नहीं वो अधूरा काम छोड़ घर लौट आती हैं।

निक्की रानी,

शहर में जो टॉयलेट है उसमे जाना बीमारी को बुलावा देना है। इसमें मैं निगम के साथ ही पब्लिक को भी दोष दूंगी। यहां पर घर तो सब लोग साफ रखना चाहते हैं, लेकिन जब बाहर कुछ भी करते हैं तो वहां पर स्वच्छता भूलकर गंदगी फैलाने से बाज नहीं आते हैं।

निशा जिंदल,

शायद ही कोई ऐसा टॉयलेट होगा जहां पर हाईजीन मेनटेन किया जाता है। इस वजह से हर महिला घर से ही सारा काम निपटाकर निकलती हैं ताकि उन्हें मार्केट में टॉयलेट की जरूरत ना पड़े। इससे कम उम्र में कई बीमारियां भी जकड़ रही हैं। आखिर ऐसे कब तक चलेगा।

स्मिता अग्रवाल, मेम्बर, इनर व्हील होराइजन क्लब

कितना भी अच्छा कर लोग जब तक कैजुअल इंसान हैं कोई भी वर्कआउट नहीं हो सकता है। टॉयलेट ना होना और जहां पर है वहां गंदगी का होना इस वजह से छोटी उम्र में ग‌र्ल्स यूटीआई की चपेट में आ रही हैं। जिम्मेदारों को इस बारे में सोचना ही चाहिए।

श्रुति अग्रवाल

यहां पर पेट्रोल पंप पर भी जो टॉयलेट होते हैं, वहां भी सफाई के नाम कुछ नहीं होता है। ऐसे में वहां जाना भी गलत साबित होता है। हर हाल में महिलाओं को एक ही डिसीजन लेना पड़ता है कि घर चलो। जहां भी गंदगी मिले उनके ऊपर जुर्माना लगना चाहिए।

विजेता सिंहानियां

एच सिंह चौराहे की सड़कें चौड़ी हो रही है। अब सरकार को चाहिए इसी समय यहां पर टॉयलेट की जगह निकाल लें। इस रोड पर मार्केट तो तमाम है लेकिन टॉयलेट कहीं नहीं मिलेगा। यूटीआई की प्रॉब्लम की वजह से कहीं भी जाने में बहुत डर लगता है।

वीथिका माथुर

Posted By: Inextlive