बढ़ते रुतबे ने बढ़ाई इनकी परेशानी
प्लेसमेंट के दम पर ही मिलेंगे स्टूडेंट्स
यूनिवर्सिटी हो या कोई टेक्निकल इंस्टीट्यूट, अगर वहां का प्लेसमेंट अच्छा है तो उसके चर्चे अपने आप ही होने लगते हैं। किसी भी मल्टीनेशनल कंपनीज में वर्क करने वाला एंप्लाई न सिर्फ खुद को रिप्रेजेंट करता है बल्कि वह अपने इंस्टीट्यूशन को भी रिप्रेजेंट करता है। ऐसे में जितनी बड़ी तादाद में इंस्टीट्यूशन से स्टूडेंट्स का प्लेसमेंट होगा, वैसी ही उस इंस्टीट्यूशन की ब्रांडिंग होगी। इसलिए इंस्टीट््यूशन की अलग पहचान बनाने के लिए प्लेसमेंट को बेहतर करना जरूरत के साथ मजबूरी भी है।
लगातार गिर रहा है रिकॉर्ड
एमएमएम यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी के प्लेसमेंट की बात करें तो पिछले कुछ सालों से इसका रिकॉर्ड बिगड़ता जा रहा है। स्टूडेंट्स की मानें तो 4-5 साल पहले जहां यूनिवर्सिटी में प्लेसमेंट के लिए 24-26 कंपनीज आती थीं, वहीं अब गिनी चुनी 2-4 कंपनीज ही कैंपस में कदम रख रही हैं। मौजूदा वक्त की बात करें तो हाल ही में एक नामी गिरामी कंपनी डेट देने के बावजूद कैंपस सेलेक्शन के लिए नहीं पहुंची। अगर ऐसा ही हाल रहा तो यूनिवर्सिटी का दर्जा पाने वाले एमएमएम की हालत आगे और भी खराब हो जाएगी।
टैलेंट की कमी नहीं
ऐसा भी नहीं कि स्टूडेंट्स में टैलेंट की कमी हो, जिसकी वजह से यूनिवर्सिटी में कोई कंपनी न आ रही हो। अगर सिर्फ यूपी की बात करें तो इस वक्त सीएमडी जैसी टॉप मोस्ट पोस्ट पर मालवियंस ने ही जलवा बिखेर रखा है। इसमें सबसे इंपॉर्टेंट पॉवर कॉर्पोरेशन के सीएमडी इंजीनियर एपी मिश्रा भी मालवियन हैं। यही नहीं एब्रॉड में भी बड़ी तादाद में मालवियंस ने अपनी पहचान बना रखी है। इसके साथ ही कुछ कॉम्प्टीशन में भी मालवियंस ने अपनी हुनर का जलवा बिखेरा है। तो यह कहा जाना कि स्टूडेंट्स में टैलेंट की कमी है, बेमानी होगा।
रिसेशन की वजह से लास्ट इयर काफी कंपनीज नहीं आ सकी थी। वहीं जो कंपनीज आई भी थी, उनमें स्टूडेंट्स ने इंटरेस्ट नहीं दिखाया। प्लेसमेंट मास पर डिपेंड होता है। कुछ बड़ी कंपनीज जनवरी में कैंपस के लिए आएंगी, वहीं सीएमसी, और एलएनटी कैंपस सेलेक्शन के लिए आ चुकी हैं। न्यू जेन का इंटरव्यू 7 दिसंबर को लखनऊ में होना है।
प्रो। प्रमोद प्रसाद, टी एंड पी ऑफिसर, एमएमएमयूटी