सैयद अली सईद गोरखपुर की सरजमी का ऐसा चमकता सितारा जिसकी वजह से हॉकी का नाम आते ही गोरखपुर का सिर फक्र से ऊपर उठ जाता है. शहर के एक मात्र ओलंपिक गोल्ड मेडलिस्ट ने सोमवार देर रात इस फानी दुनिया को अलविदा कह दिया.


गोरखपुर (ब्यूरो)।1964 के टोक्यो ओलंपिक में हॉकी का टिकट हासिल कर गोल्ड मेडलिस्ट टीम इंडिया का हिस्सा रहे एसएम अली सईद की मौजूदगी में पाकिस्तान को फाइनल में रौंदकर गोल्ड मेडल पर कब्जा जमाया। आउट साइड लेफ्ट खिलाड़ी के तौर पर अली सईद का अहम योगदान रहा। अली सईद के अलावा प्रेम माया ने 1980 और प्रीति दुबे ने 2016 के ओलंपिक में स्टिक का मुजाहिरा किया, लेकिन टीम इंडिया मेडल पाने में नाकाम रही। वापस लौटना पड़ा गोरखपुर


एसएम अली सईद को टीम इंडिया के प्लेइंग 11 में शामिल होने का मौका मिला। इन्हें मैदान पर उतारा गया। भारत सरकार में वह अच्छे पदों पर भी रहे, लेकिन पिता के बीमार होने पर वह वापस लौट आए और 1991 से लगातार गोरखपुर में ही रह रहे थे। एसएम अली सईद ने 1953 में एमएसआई इंटर कॉलेज से अपने हॉकी जीवन की शुरुआत की थी। हायर एजुकेशन के लिए वह अलीगढ़ चले गए और एमएमयू में पढ़ाई की। इस दौरान उन्होंने हॉकी नहीं छोड़ी और कड़ी मेहनत और लगातार परफॉर्मेंस को देखते हुए एनका सेलेक्शन टीम इंडिया के लिए कर लिया गया। स्कूली स्तर से बढ़ावा देने की पैरवी

इंटरनेशनल हॉकी प्लेयर जिल्लुर्रहमान बताते हैं कि अली सईद हमेशा ही स्कूल लेवल से ही हॉकी को आगे बढ़ाने के पैरोकार रहे। उन्होंने कहा कि हॉकी स्कूल में अगर इंटरेस्ट नहीं रहेगा तो खेल आगे नहीं बढ़ पाएगा। स्कूलों की उदासीनता की वजह से ही आज हॉकी गर्त में जा रही है। उन्होंने बताया कि वह हमेशा ही कहते रहे कि पहले हर स्कूल में खेल होता था। हॉकी में प्रैक्टिस के वक्त भी दोनों टीम से 11-11 खिलाड़ी हो जाते थे। अली सईद की उपलब्धियां10 जुलाई 1942 को जन्मे एसएम अली सईद शुरुआती दिनों में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया में अधिकारी रहे। इसके बाद सऊदी अरब के जेद्दाह में इंडियन एंबेसी में कॉमर्शियल सेक्रेटरी की जिम्मेदारी निभाई। लेकिन पिता एसएम अली सगीर को कैंसर हो जाने के बाद वह 1991 में गोरखपुर लौट आए और यहीं के होकर रह गए। उन्होंने इंडियन हॉकी टीम के लिए करीब 35 टेस्ट मैच खेले। कई इंटरनेशनल दौरों में इंडियन हॉकी टीम का हिस्सा रहे। नेशनल लेवल कॉम्प्टीशन में उन्होंने यूपी, बंगाल व मुंबई के लिए मैच खेले। अली सईद 1980 से 1983 तक इंडियन जूनियर हॉकी टीम के सेलेक्टर्स भी रहे।

हॉकी में गोरखपुर में अगर कोई नाम है तो वह है एसएम अली सईद। अब यह सितारा भी दुनिया से चला गया। गोरखपुर को ओलंपिक मेडल दिलाने के लिए हमेशा ही याद किया जाएगा। - प्रेम माया, ओलंपियन, हॉकीएमएस अली सईद का नाम जुबां पर आते ही ओलंपिक की टीम ही याद आती है। पाकिस्तान के खिलाफ खेले गए फाइनल मैच में भी वह टीम इंडिया का हिस्सा रहे और टीम ने गोल्ड मेडल जीता। उन्हें गोरखपुर हमेशा याद रखेगा।- जिल्लुर्रहमान, इंटरनेशनल हॉकी प्लेयरहॉकी में गोरखपुर का नाम ऊंचा करने का अगर किसी को क्रेडिट जाता है तो वह सैयद अली सईद ही थे। उन्होंने मेडल जीतकर गोरखपुर के यंगस्टर्स में एक दम भरा, जिसके बाद बहुत से लोगों ने हॉकी में अपना कॅरियर बनाया।- गुलाम सरवर, इंटरनेशनल हॉकी प्लेयरएसएम अली सईद अपने पूरे जीवन काल में अनगिनत हॉकी खिलाडिय़ों को हॉकी खेल की शिक्षा दी। आज उनके सिखाए खिलाड़ी अच्छे स्थान पर पहुंच चुके हैं। उनके निधन से हॉकी और खेल जगत को अपूरणीय क्षति हुई है।- धीरज सिंह हरीश, वाइस प्रेसिडेंट, हॉकी यूपीमुकामी कब्रिस्तान में किए गए सुपुर्द-ए-खाक
देश के बेहतरीन हॉकी प्लेयर सैयद एम अली सईद का लंबी बीमारी के सोमवार देर रात निधन हो गया। 20 दिसंबर को दोपहर 2.30 बजे उन्हें बड़ेकाजीपुर स्थित पुश्तैनी कब्रिस्तान में सुपुर्द-ए-खाक किया गया। इनके निधन से हॉकी जगत को अपूरणीय क्षति हुई है। उनके निधन पर एमएसआई इंटर कॉलेज में एक शोक सभा आयोजित की गई। इसकी अध्यक्षता कैप्टन राधेश्याम सिंह ने की। इसमें नए व पुराने हॉकी खिलाडिय़ों ने शामिल होकर दिवंगत आत्मा की शांति के लिए दो मिनट का मान रखा। इस दौरान काजिम जमील, एसवाई जफर, नियाज अहमद, आनंद सिंह, एनपी गौड़, हमजा खान, गुलाम सरवर, सैयद शमशुल हसन के साथ बड़ी तादाद में खिलाड़ी और खेल प्रेमी मौजूद रहे।

Posted By: Inextlive