मेरा बच्चा मोबाइल का आदती हो गया है. जब देखो मोबाइल पर गेम खेलता रहता है. सुना है पबजी खेलने वाले मां-बाप पर भी हमला कर देते हैं. ऐसी कोई अप्रिय घटना हमारे साथ ना घटे. इसलिए सर आप हमारी मदद कीजिए.


गोरखपुर (ब्यूरो)। ये गुहार इन दिनों पेरेंट्स स्कूल टीचर से लगा रहे हैं। आए दिन मोबाइल की वजह से हो रही घटनाओं से अब पेरेंट्स भी भयभीत हैं। पेरेंट्स टीचर्स मीटिंग में तो मोबाइल का मुद्दा ही अहम होता है। पेरेंट्स का यहां तक कहना है कि बच्चे के नंबर कम हो जाएं, गम नहीं है किसी भी तरह स्कूल उनके बच्चों के हाथों से मोबाइल छुड़ा दे। स्कूल पहुंच रही बच्चोंं की शिकायतस्कूलों के प्रिंसिपल ने बताया कि आए दिन पेरेंट्स की शिकायतें आ रही हैं। उनका कहना है कि बच्चा मोबाइल के लिए लडऩे को तैयार है। ना दो तो अजीब सी हरकतें करने लगता है। उनका कहना है कि होमवर्क भी मोबाइल पर देना बंद कर देना चाहिए। इस तरह बच्चों की सुधारें आदत


- बच्चे के स्क्रीन टाइम की लिमिट तय करें। पेरेंट्स बच्चों को पढ़ाई से संबंधित बातें करने के लिए अपना समय दें।

- बच्चों के लिए एक स्पेसिफिक टाइम सेट कर सकते हैं जैसे कि वह अपना होमवर्क खत्म करने के बाद यह पर्टिकुलर चीज देख सकते हैं, या वीकेंड पर कुछ स्पेशल देखने की इजाजत दें।

- बच्चों को यह सोचने के लिए प्रेरित करें कि उन्हें कौन-कौन से काम अच्छा लगता हैं या किस-किस एक्टिविटीज को वह शौक से कर सकते हैं, उन्हें अपने शौक को पूरा करने के लिए समय दें। - घर को डेकोरेट करना, बागवानी करना, घर सजाना, पेंटिंग करना, कोई वाद्ययंत्र बजाना, कुछ व्यायाम करना जैसी चीजें अगर बच्चें करें तो उन्हें ना टोकें। उन चीजों को प्रमोट करें।- बच्चों को फैमिली एक्टिविटीज में इंवॉल्व करें, जैसे त्योहार या उत्सव की तैयारियां हो, या घर में कोई मेहमान आने वाला हो, खाने पीने में खिलाने पिलाने में उन्हें इंवॉल्व करना आदि। - रात में अपने बच्चों से मोबाइल को दूर रखें। हो सके तो नींद आने तक उनसे बातें करें या खेले।- बच्चों से कहानियों के रूप में मोबाइल एडिक्शन के विषय में भी बात करनी चाहिए। - बच्चों को इनडोर और आउटडोर एक्टिविटीज के विषय में बताएं उनके साथ कुछ-कुछ एक्टिविटीज में खुद भी प्रतिभाग करें।- बच्चों के सामने पेरेंट्स मोबाइल में कतई ना बिजी हों। इससे बच्चे भी मोबाइल की तरफ आकर्षित होते हैं। यूपी बोर्ड स्कूल- 489सीबीएसई स्कूल- 125आईसीएससीई स्कूल- 25
बच्चा जब अधिक समय मोबाइल के साथ गुजारने लगता है, तब पता नहीं चलता है कि एंजाइटी, डिप्रेशन और अन्य बदलाव उसके अंदर कब आ गए। पेरेंट्स थोड़ा समय देकर और अच्छा व्यवहार कर बच्चों को मोबाइल एडिक्शन से दूर कर सकते हैं। डॉ। सीमा श्रीवास्तव, साइकोलॉजिस्ट, मंडलीय मनोविज्ञान सेंटरमेरे पास स्कूली बच्चों के ऐसे कई केस आते हैं। अभी एक बच्चे का केस आया था, वह दिन भर पबजी में बिजी रहता है और पेरेंट्स से भी मिसबिहेव करता है। उसकी अच्छे से काउंसिलिंग चली। आज वह बच्चा मन लगाकर पढ़ाई कर रहा है। डॉ। आकृति पाण्डेय, साइकोलॉजिस्टबच्चों की ऐसी शिकायतें आती हैं, वह घर पर मोबाइल की वजह से पेरेंट्स से मिसबिहेव भी करते हैं। स्कूल में बच्चे मोबाइल से कोसों दूर हैं। पेरेंट्स को घर पर थोड़ा समय देना होगा, बच्चों को समझना होगा, उनसे बातें करनी होगी। मोबाइल तभी दूर हो सकता है।लता द्विवेदी, प्रिंसिपल, आरपीएम एकेडमीबच्चों का मोबाइल यूज करना एक गंभीर मुद्दा है। टीचर हमेशा बच्चों को आउट डोर गेम खेलने के लिए प्रेरित करते हैं। पेरेंट्स को भी पढ़ाई के साथ ही बच्चों को बाहर किसी भी एक खेल में इनवॉल्व जरूर करना चाहिए। तब बच्चे के पास मोबाइल देखने का समय ही नहीं मिलेगा। राहुल उपाध्याय, आरएसएम

Posted By: Inextlive