मोबाइल फोन का अधिक इस्तेमाल बन रहा कारण

बच्चों के व्यवहार में भी आ रहा परिवर्तन

आगरा। सोशल मीडिया और कई ऑनलाइन गेम्स में सक्रिय बच्चे अनजाने में और पेरेंट्स की अनदेखी से साइबर अपराधी बन रहे हैं। शहर में ऐसे कई मामले सामने आ चुके हैं जब बच्चे क्रिमिनल्स एक्टिविटीज में शामिल पाए गए हैं। कोरोना वायरस महामारी के चलते वर्तमान में सभी बच्चे अपने घरों में कैद हैं। वहीं स्कूल और कॉलेज भी पूरी तरह बंद हैं। ऐसे में बच्चे मोबाइल फोन के इस्तेमाल से घर में आक्रामक व्यवहार कर रहे हैं। यह कहना है मनोवैज्ञानिक डॉ। पूनम तिवारी का। उन्होंने बताया कि बच्चों की ऊर्जा गलत जगह डायवर्ट हो रही है, जिससे वह मोबाइल फोन पर गेम्स के जरिए क्रिमिनल एक्टिविटी भी सीख रहे हैं। इसके भविष्य में घातक परिणाम हो सकते हैं।

पेरेंट्स की अनदेखी बन रही कारण

डॉ। पूनम के अनुसार पेरेंट्स की लगातार अनदेखी से बच्चों के व्यवहार में परिर्वतन आ रहा है। लगातार मोबाइल इस्तेमाल के चलते बच्चे अलग-अलग एक्टिविटी सीख रहे हैं। सोशल मीडिया पर उम्र से पहले ऐसी सामिग्री के बारे में जानकारी कर रहे हैं, जो उन्हें नहीं करनी चाहिए। पेरेंट्स बच्चों की ओर कोई ध्यान नहीं देते और वह गलत आदतों का शिकार हो रहे हैं।

कुछ घटनाएं

पिता के क्रेडिट कार्ड से खेला 17 हजार का गेम

कोरोना वायरस को लेकर लगाए गए लॉकडाउन में पिता के अकाउंट से क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल कर एक बच्चे ने 17 हजार रुपये गंवा दिए। जब पिता को इसकी जानकारी की तो उनके होश उड़ गए। उन्होंने साइबर पुलिस से शिकायत की। मामले की जांच में यह रकम उन्हीं के मोबाइल से पेड होने की जानकारी मिली। इस पर बेटे से पूछताछ के यह खुलासा हुआ।

किशोर ने की दोस्त की आईडी हैक

दयालबाग में रहने वाले एक किशोर ने अपने साथी की एफबी अकाउंट आइडी हैक कर ली। उसे काफी दिन तक ब्लैकमेल किया। अंत में मामला के पेरेंट्स के संज्ञान में आने पर थाने तक पहुंच गया। पुलिस ने बच्चे के साथ उनके पेरेंट्स को हिदायत देते हुए छोड़ दिया।

पिता के नंबर से मांगे करोड़ों रुपये

एत्माद्दौला थाना क्षेत्र में एक किशोर ने अपने पिता के फोन नंबर से उनके मालिक का नंबर डायल कर दिया। वह एक निजी कंपनी में कार्य करते है। किशेार ने करोड़ों रुपए की मांग कर दी। इससे दहशत में आए व्यापारी ने कोतवाली पुलिस से शिकायत की। मामले की जांच करने पर किशोर की हरकतें सामने आई। इसके बाद से मुकदमा दर्ज कर जेल भेज दिया गया।

बच्चों की देखभाल में सबसे बड़ा योगदान उनके पेरेंट्स का होता है। बच्चे अपने पेरेंट्स को कॉपी करते हैं। ऐसे में जो पेरेंट्स बच्चों पर ध्यान नहीं देते, इससे बच्चे निरंकुश हो जाते हैं। बाद में अंकुश लगाने पर आक्रामक बन जाते हैं। ऐसे में पेरेंट्स को खास ध्यान देना चाहिए। बच्चे की प्रत्येक एक्टिविटी को बारीकी से देखना चाहिए।

डॉ। पूनम तिवारी, मनोविज्ञान काउंसलर

बच्चों के लिए मोबाइल सेफ्टी टिप्स

-बढ़ते बच्चों के लिए मोबाइल फोन से संबंधित सुरक्षा के सही उपाय बेहद जरूरी है।

-15 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को सेल फोन देने से बचें।

-छोटे बच्चों के मस्तिष्क की खोपड़ी की हड्डियों में आवश्यक घनत्व और सुरक्षात्मक टिश्यू का विकास नहीं हुआ होता है, जिससे वे विकिरण के प्रभाव के प्रति संवेदनशील हो जाते हैं।

-जब आपका बच्चा फोन पर बात करता है, तो उसे फोन को कान से पकड़ने के बजाय वायर्ड हेडसेट का उपयोग करने के लिए कहें।

-यात्रा करते समय, अपने बच्चे को लगातार अपना मोबाइल फोन देने से बचें।

-वाहन का मेटल कवच सिग्नल ब्लॉक करती है इसलिए फोन अपनी पॉवर बढ़ाता है, जो कि बच्चों के लिए हानिकारक है।

-अपने बच्चों को उन क्षेत्रों में मोबाइल फोन का उपयोग न करने दें, जहां सिग्नल कमजोर हैं।

-पेरेंट्स बच्चों के आसपास होने पर मोबाइल फोन के उपयोग को प्रतिबंधित करें।

मोबाइल इस्तेमाल बच्चों को नुकसान

-ट्यूमर

-ब्रेन एक्टिविटी में गड़बड़ी

-शैक्षिक कार्यक्षमता के गड़बड़ी

-व्यक्तिगत व्यवहार पर असर

-जीवन पर प्रभाव

-नींद में खलल

-चिकित्सा संबंधी समस्याएं

-मानसिक स्वास्थ्य