हां, मैं बिजली चोर हूं..
- चारों डिवीजन में छह से अधिक कंज्यूमर्स ने किया आवेदन
- बिजली चोरी करने वाले कंज्यूमर्स यदि गुनाह कबूल किए तो माफ हो जाएगी की चोरी, - जमा करना होगा फिक्स राजस्व निर्धारण, मिनिमम हो जाएगा शमन शुल्क sunil.trigunayat@inext.co.inGORAKHPUR: 'हां, मैं बिजली चोर हूं। मैंने गलती की है और अब इसे सुधारना चाहता हूं। बिलजी विभाग का जो भी राजस्व बनता है, उसे मैं देने के लिए तैयार हूं.' अगर इतना लिख देने भर से जिंदगी की उलझने कम हो जाती हैं। चंद पैसा जमा करने के बाद अगर पुलिस थाने के चक्कर से आजादी मिल जाए, तो भला इससे बेहतर क्या हो सकता है। यही वजह है कि बिजली विभाग के दिए मौके का फायदा उठाने के लिए लोग अब खुद को चोर मानने में गुरेज नहीं कर रहे हैं। विजलेंस की आहट से पहले ही शहर में गलत तरीके से बिजली इस्तेमाल करने वालों ने गुनाह कबूल करना शुरू कर दिया है। फरवरी की शुरुआत में जहां एक व्यक्ति ने इसके लिए अप्लीकेशन दी थी, वहीं माह खत्म होने तक छह लोग अपना गुनाह कबूल कर एक नंबर की बिजली जलाने के लिए तैयार हैं।
कई केस हुए दर्जबिजली चोरी रोकने के लिए बिजली निगम ने टीम दौड़ाई, तो ऑनस्पॉट दर्जनों केस दर्ज करवाए गए। कई लोगों ने बेइज्जती से बचने के लिए तत्काल शमन शुल्क के साथ ही राजस्व निर्धारण शुल्क जमा कर दिया, तो वहीं कुछ मौके पर न जाकर विभाग पहुंचे और अपना बिल क्लीयर कराया। इसके बाद भी हाई लाइनलॉस वाले इलाकों में ऐसे भी बिजली इस्तेमाल करने वाले मौजूद थे, जो विभाग को चूना लगा रहे थे और राजस्व का नुकसान कर रहे थे।
विभाग ने दिया एक मौका ऐसे लोगों को बजाए ढूंढने के विभाग ने एक मौका दिया और इसका फायदा भी उन्हें मिलता नजर आ रहा है। कार्रवाई की उलझनों से बचने के लिए गलत तरीके से बिजली इस्तेमाल करने वाले सामने आने लगे हैं और अपना कनेक्शन दुरुस्त कराने में लग गए हैं। हालांकि बिजली विभाग ने ऐसे सभी लोगों का नाम गोपनीय रखा है और उनका कनेक्शन अप-टू-डेट करने की प्रॉसेस में लग गए हैं। ऐसे हो सकता है बचाव - - यदि कंज्यूमर बिजली चोरी कर रहे हैं या मीटर से छेड़छाड़ की है तो वह खुद ही घोषणा कर सही मीटर लगवा सकते हैं। - इसके लिए बिजली निगम ने छूट दी है। - उन्हें इसके लिए खुद ही अपने बिजली घर पहुंचाना होगा।- यहां पर संबंधित अधिकारी को आवेदन देना होगा।
- आवेदन के माध्यम से अधिकारी मामले की जांच कर उन्हें इससे छुटकारा मिल सकता है। - अगर कोई ऐसा नहीं करता है और विजिलेंस या विभाग की छापेमारी में पकड़ा जाता है, तो उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई जा रही है। - वहीं उन्हें राजस्व निर्धारण शुल्क के साथ ही शमन शुल्क भी जमा करना पड़ता है। - चोरी की घोषणा करने के बाद कंज्यूमर्स को सिर्फ राजस्व निर्धारण शुल्क ही जमा करना होगा। ऐसे मामले ज्यादा - मीटर में शंट और टेंपरिंग के ज्यादातर मामले सामने आए हैं। - मीटर के पास बाइपास कर बिजली चोरी की जाती है। - कुछ खुले तारों के कारण कुछ प्रतिशत लाइन लॉस भी है। लखनऊ से आई है विजिलेंस टीमलखनऊ की विजिलेंस की टीम जिले में दस्तक दे चुकी है। यह टीम ज्यादा समय तक रहेगी। टीम खुद अपना रूट तय करेगी या चीफ इंजीनियर की ओर से बताए गए इलाके में जाएगी। टीम के साथ परीक्षण खंड के भी अफसर रहेंगे, ताकि मीटर में मिलने वाली गड़बड़ी की तत्काल जांच कराई जा सके। कंज्यूमर यदि कोई आपत्ति करता है तो इसका समाधान भी मौके पर कराने की योजना है।
घने इलाके में ज्यादा है लाइनलास बिजली निगम का सबसे ज्यादा और घने इलाकों और ज्यादा लाइनलॉस वाले इलाकों की जांच पर है। घने इलाकों में कटिया डालकर बिजली जलाने के मामले अब भी मिल रहे हैं। यही हाल गांवों का भी है। कई जगहों पर तो बिजली निगम से जुड़े कुछ कर्मचारियों पर ही बिजली चोरी कराने के आरोप लगते रहते हैं। वर्ष 2020 शहर के बिजली चोरी के मामले में बिजली थाने में दर्ज केस--257 ग्रामीण में बिजली चोरी के मामले में दर्ज केस- 403 बिजली थाने में कुल केस दर्ज-662 45 मामले में जमा शमन शुल्क-1067000 राजस्व की वसूली-2661000 ----------- वर्ष 2019 शहर और ग्रामीण में बिजली चोरी के मामले में दर्ज केस-303 35 मामले में राजस्व वसूली-2025000 शमन शुल्क जमा-0967000 ऐसे निर्धारित होता है राजस्व निर्धारण -विजलेंस की जांच में पकड़े जाने पर कंज्यूमर्स के घर पर लगे सभी उपकरण, सभी स्विच, पॉवर स्विच आदि की लिस्ट बनाई जाती है। इसके बाद विभाग की ओर से निर्धारित रेट के हिसाब से जुर्माना चार्ज किया जाता है। विभाग की जांच में जितनी खपत होगी, उसके अकॉर्डिग बिल बनेगा। इसके अलावा शमन शुल्क, जोकि लोड पर डिपेंड होता है, उसके अकॉर्डिग उसे तय किया जाता है।
यह है विभाग का मानक - उपकरण की क्षमता वोल्टेज मासिक खपत (यूनिट) बल्ब 25 4.2 सीएफएल पांच वाट 7 1.26 ट्यूब लाइट 55 9.9 इलेक्ट्रिक चोक 35 6.3 लैंप 15 2.7 छत का पंखा 50 9 टेबल फैन 40 7.2 प्रेस 450 81 से 26 गीजर 2000 360 हीटर 800 144 टीवी 60 से 20 10.8 प्यूरीफायर 5 0.9 कंप्यूटर 100 से 150 18 से 27 वॉशिंग मशीन 325 से 1000 38.5 एयर कूलर 170 30.6 एसी एक टन 1400 252 नोट- बिजली यूनिट की मासिक खपत प्रतिदिन छह घंटा। कंज्यूमर यदि मीटर में शंट लगाने या किसी अन्य तरह की कोई गड़बड़ी कर रहे हैं, तो इसकी जानकारी विभाग को दे दें। ऐसे में कंज्यूमर्स के खिलाफ एफआईआर दर्ज नहीं कराई जाएगी। नाममात्र शमन व राजस्व निर्धारण शुल्क ही जमा कराया जाएगा। देवेंद्र सिंह, चीफ इंजीनियर